बच्चे और बूढ़े हो जाएं सावधान, शहर में फिर दम घोटने लगी आब-ओ-हवा Kanpur News
उड़ती धूल जलता कूड़ा व अनियोजित ट्रैफिक ने वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगाड़ दिया है।
कानपुर, जेएनएन। अफसरों की सुस्ती और नकारेपन से एक बार फिर शहरवासियों की सेहत पर संकट के बादल घिर आए हैं। वातावरण में हानिकारक गैसों का स्तर मानक से कई गुना अधिक हो गया है। उड़ती धूल, जलता कूड़ा व अनियोजित ट्रैफिक की वजह से वाहनों का काला धुआं हर सांस पर भारी है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की फटकार के बावजूद जिम्मेदारों के कानों में जूं तक नहीं रेंग रही है। केवल एडवाइजरी जारी कर इतिश्री कर ली गई। उसके अनुपालन को लेकर कोई भी काम नहीं हुआ। अभी वायु गुणवत्ता सूचकांक बिगड़ गया है तो तापमान और गिरने पर हालात भयावह हो जाएंगे।
पिछले साल था सबसे प्रदूषित शहर
पिछले साल दिल्ली की एक संस्था ने कानपुर को सबसे अधिक प्रदूषित शहर की संज्ञा दी थी। उससे एक वर्ष पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट से जिले के नाम पर बदनुमा दाग लग चुका है। डब्ल्यूएचओ ने कानपुर को दुनिया का सबसे दूषित शहर बताया था। इस साल की शुरुआत में एनजीटी ने प्रदेश के 15 अति दूषित शहरों की हवा सुधारने का आदेश दिया था। इनमें कानपुर, आगरा, लखनऊ, वाराणसी, आगरा, गाजियाबाद आदि शामिल हैं। जगह-जगह जलता कूड़ा, बारिश में खस्ताहाल हुईं सड़कों पर उड़ती धूल व खटारा वाहनों से निकलने वाला काला धुआं सांस के रोगियों को अस्पताल पहुंचा रहा है।
फर्राटा भर रहे डेढ़ लाख खटारा वाहन
जिले में करीब दो लाख 60 हजार वाहनों की आयु सीमा 15 से अधिक है। इनमें महज 10 हजार ने पुन: पंजीकरण कराया है। आरटीओ की ओर से सभी को नोटिस भेजा जा रहा है। अमूमन डेढ़ लाख वाहन खटारा हो चुके हैं। उनके चलने से हानिकारक गैसें निकल रही हैं।
32 करोड़ खर्च फिर भी नहीं सुधरा ट्रैफिक
शहर में इंटेलीजेंट ट्रांसपोर्ट मैनेजमेंट सिस्टम (आइटीएमएस) के लिए 32 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं, लेकिन यातायात में सुधार नहीं हुआ। प्रमुख सड़कों और चौराहों पर जाम लगा रहता है। एक ही समय में इतने अधिक वाहनों के इंजन से दूषित गैसों का उत्सर्जन होता है।
वायु गुणवत्ता सूचकांक
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के नेहरू नगर स्थित मॉनिटङ्क्षरग स्टेशन से शनिवार शाम सात बजे जारी रिपोर्ट में स्थिति खतरनाक है। दूषित गैसों की अधिकतम मात्रा भी चौंकाने वाली आई है।
गैसों की अधिकतम मात्रा
गैस मात्रा
पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) 419
नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू) 160
सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) 38
गैसों की औसत मात्रा
गैस मात्रा
पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) 163
नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू) 83
सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) 17
यह है मानक
गैस मात्रा
पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) 60
नाइट्रोजन डाईऑक्साइड (एनओटू) 80
सल्फर डाईऑक्साइड (एसओटू) 80
नोट : मात्रा माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर में है।
एडवाइजरी में सौंपी गई थी जिम्मेदारी
डीएम विजय विश्वास पंत ने उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से जारी की गई एडवाइजरी के बाद बैठक बुलाई थी। नगर निगम, केडीए, आवास विकास, केस्को, आरटीओ, वन विभाग, जलकल समेत 17 विभागों को जिम्मेदारी सौंपी गई। कुछ दिन तो कवायद हुई, लेकिन उसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका।