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Lockdown Day 4 : हाईवे पर अब नहीं है रफ्तार, सिर्फ दिख रही भूखे प्यासे पैदल चलने वालों की कतार

कानपुर के आसपास जनपदों में वह चाहे झांसी राजमार्ग हो या फिर कानपुर दिल्ली हाईवे सभी जगह पैदल समेत अन्य साधनों से घर पहुंचने वालों की भीड़ नजर आ रही है।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 09:33 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 09:33 PM (IST)
Lockdown Day 4 : हाईवे पर अब नहीं है रफ्तार, सिर्फ दिख रही भूखे प्यासे पैदल चलने वालों की कतार
Lockdown Day 4 : हाईवे पर अब नहीं है रफ्तार, सिर्फ दिख रही भूखे प्यासे पैदल चलने वालों की कतार

कानपुर, जेएनएन। देश में लॉकडाउन की घोषणा के बाद गांवों से रोजगार की तलाश में पलायन कर चुके लोग अब घर वापसी की जद्​दोजहद से जूझ रहे हैं। लॉक डाउन के बाद परिवाहन न मिलने से कोई परिवार लेकर भूखे प्यासे पैदल ही निकल पड़ा है तो कोई ट्रक, ट्राला, बस और कंटेनर जो मिला उसमें भूसे की तरह भरकर सफर करने को मजबूर हो रहा है। शुक्रवार की रात जब सीमा पर कुछ देर के लिए वाहनों को निकलने की छूट दी गई तो ऐसा ही नजारा शनिवार को पूरे दिन कानपुर समेत आसपास जिलों में राष्ट्रीय राजमार्गों पर देखने को मिली।

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कुछ नहीं मिला तो जुगाड़ वाहन से ही निकल पड़े

कानपुर नगर में जीटी रोड, कानपुर सागर राजमार्ग, चकेरी इटावा नेश्नल हाईवे समेत सभी मार्गों पर पैदल, साइिकल आैर अन्य वाहनों से निकलने वाले नजर आए। दूसरे शहरों और प्रांतों से चले मजदूर परिवार भूखे प्यासे पैदल ही सफर तय करते नजर आए। नौबस्ता में तो प्रशासनिक अफसरों ने एक बस में ठूसकर भरे गए 120 यात्रियों को पकड़ा।

वहीं मंधना में जीटी रोड पर जुगाड़ वाहन पर एक परिवार जाता दिखाई दिया। पूछने पर उसने बताया कि नोएडा से बिहार जा रहा है, रास्ते में खाना न मिलने से भूख सता रही है लेकिन अबतो किसी तरह घर पहुंचना है। वहीं नारामऊ पेट्रोल पंप के सामने तेरह मजदूर पैदल जाते मिले, जो मजदूर गाजियाबाद से मूजफ्फरपुर मऊ जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि 26 मार्च को गाजियाबाद से निचले थे। भूखे प्यासे मजदूरों को देखकर बिठूर पुलिस ने उन्हें लंच पैकेट दिए। एक घंटे तक रुकने के बाद फिर पैदल रवाना हो गए।

सौ किमी चलने के बाद मिला खाना

झांसी-कानपुर हाईवे पर उरई के आटा के पास शनिवार सुबह करीब नौ बजे 15 युवकों का जत्था पीठ पर बैग लादे चला जा रहा था। किसी से कोई बात नहीं, चेहरा उदास, चाल में तेजी और शरीर थककर चूर था। आवाज देने पर रुकने के बजाए चाल में तेजी आ गई लेकिन टोककर पूछने पर बताया कि कोई राजमिस्त्री है तो कोई मजदूरी, रायबरेली व आसपास के गांवों में रहते हैं।

गेंदालाल, अजीत कुमार औरसागरमल बताते हैं कि तंगहाली से जूझ रहे हैं, कहीं कोई काम नहीं है। जितना था, खाने में खर्च हो गया। अब फूटीकौड़ी नहीं है, मजबूरी में शाम पांच बजे पैदल ही घर के लिए चल दिए और रातभर सौ किमी चलकर यहां तक आए हैं। उरई में बाइक से जा रहे कुछ लोगों ने लंच पैकेट दिए तब 24 घंटे बाद मुंह में निवाला गया।

किराए पर साइकिल लेकर निकल पड़े

कानपुर देहात के कसोलर गांव निवासी भाई शिवनाथ सिंह और राजकुमार मध्यप्रदेश के अशोक नगर में रहकर गुब्बारे बेचने का काम करते हैं। लॉकडाउन में धंधा बंद हो गया। शिवनाथ ने बताया कि बुधवार को परिचित से तीन रुपये प्रतिदिन के हिसाब से साइकिल किराये पर ली और घर के लिए चल दिए। रास्ते में साइकिल खराब हो गई तो पैदल चलना पड़ा। एक युवक ने मदद करके साइकिल बनवाई और भोजन कराया।

गाजियाबाद में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले रामऔतार, पुष्पेंद्र, नंदराम, दीपक व जयकुमार समेत 25 लोग परिवार के साथ राठ हमीरपुर के लिए पैदल चल दिए। शनिवार को महिलाओं और बच्चों की भूख से हालत खराब हो गई। कस्बे के युवकों ने भोजन कराया और कुलदीप मिश्रा ने पुलिस की अनुमति लेकर लोडर से सभी को उरई भिजवाया। थकान से चूर रामऔतार ने बताया कि वह लोगबेलदारी (लकड़ी) का काम करते हैं।


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