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कानपुर में पेंशन धारकों को नहीं मिल रहीं दवाएं

सीजीएचएस के नोडल अफसर डॉ. श्याम मोहन शुक्ल का कहना है कि बजट की दिक्कत है, इसलिए बिना जरूरत के दवाएं नहीं दी जा रही हैं।

By Amal ChowdhuryEdited By: Published: Thu, 14 Dec 2017 02:55 PM (IST)Updated: Thu, 14 Dec 2017 02:55 PM (IST)
कानपुर में पेंशन धारकों को नहीं मिल रहीं दवाएं
कानपुर में पेंशन धारकों को नहीं मिल रहीं दवाएं

कानपुर (जागरण संवाददाता)। केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की डिस्पेंसरी में पेंशनर्स को आयरन, कैल्शियम एवं विटामिन की दवाएं नहीं मिल रही हैं। खर्चे में कटौती करने के लिए प्रबंधन इसे नहीं मंगा रहा है। इनकी लोकल खरीदारी भी आसानी से नहीं हो रही है।शहर में सीजीएचएस की नौ औषधालय हैं। यहां केंद्रीय सेवा में कार्यरत कर्मचारियों उनके आश्रित एवं पेंशनरों का इलाज होता है।

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इस बार दिल्ली स्थित सीजीएचएस मुख्यालय से बजट में कटौती होने पर स्थानीय प्रबंधन ने गैर जरूरी दवाओं में कटौती कर दी है। इसलिए कैमिस्टों को आयरन व कैल्शियम की टेबलेट एवं विटामिन-12 के लिए बीकासूल कैप्सूल को आर्डर नहीं दिए जा रहे हैं। इसलिए औषधालयों में इन दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है।

दवाएं नहीं मिलने से बुजुर्ग पेंशनर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उम्र के साथ आयरन, कैल्शियम व विटामिन-12 की जरूर होती है। पेंशनर्स फोरम ने इन समस्याओं को लेकर आवाज बुलंद की है। फोरम के महामंत्री आनंद अवस्थी का आरोप है कि सीजीएचएस के अपर निदेशक डॉ. पीके पचौरी एवं नोडल अफसर डॉ. एसएम शुक्ला जानबूझकर तानाशाही रवैया अपना रहे हैं।

उम्र बढ़ने के साथ खून की कमी, हड्डी संबंधी समस्याएं होती हैं। शरीर शिथिल पड़ने पर विटामिन की दवाओं की जरूरत होती है, लेकिन खर्च में कटौती के नाम पर इन दवाओं की आपूर्ति रोक दी गई है। लोकल स्तर पर भी दवाओं की खरीद नहीं हो रही है। उनका कहना है कि यह आवश्यक दवाएं हैं, स्थानापन्न ताकत की दवाएं नहीं हैं। इसे रोका नहीं जा सकता है।

वहीं सीजीएचएस के नोडल अफसर डॉ. श्याम मोहन शुक्ल का कहना है कि हम लोगों का उद्देश्य कम खर्चे पर बेहतर इलाज उपलब्ध कराना है। बजट की दिक्कत है, इसलिए बिना जरूरत के दवाएं नहीं दी जा रही हैं। अगर ब्लड रिपोर्ट में हिमोग्लोबिन की कमी होती है तो लोकल खरीदारी से आयरन की दवा दी जाती है। ऐसे ही कैल्शियम की कमी होने उसकी दवा दी जाती है।

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तीन किश्त में मिलता बजट: पहले 38.42 करोड़ रुपये मिले थे। सप्लीमेंट बजट के रूप में 55 करोड़ रुपये मांगे थे, जिसमें 49 करोड़ रुपये आवंटित हो गए हैं। मुख्यालय से लेटर आफ क्रेडिट मिलते ही सीजीएचएस के खाते में पैसा ट्रांसफर हो जाएगा।

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