बेटे का शव ले जाने को गिड़गिड़ाते रहे माता-पिता, नहीं पिघले डॉक्टर
अस्पताल के बाहर बेटे के शव को लेकर बैठ गए जूनियर डॉक्टर और नर्स ने इमरजेंसी के अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन निराशा हाथ लगी।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। कानपुर में मानवता को शर्मसार करने वाला मामाला सामने आया है। यहां कलेजे का टुकड़ा दुनिया को अलविदा कह चुका था। बेबस माता-पिता उसके शव को ले जाने में असमर्थ थे। जो रुपये सहेज कर रखे थे वो इलाज में खर्च हो गए। उन्होंने डॉक्टरों व स्टॉफ से मिन्नतें की लेकिन किसी ने नहीं सुनी। ऐसे में उनका दुख आंखों से आंसू बनकर फूट पड़ा। वहां आते जाते लोगों को दंपती की हालत पर दया आ गई। उन्होंने चंदा कर एंबुलेंस से उन्हें कन्नौज स्थित घर भिजवाया। हृदय को झकझोर देने वाला यह दृश्य था एलएलआर अस्पताल (हैलट) का।
गुरसहायगंज के आमपुरवा गांव निवासी मोतीलाल का बेटा गौरव (10) चार दिन पहले पुलिया से गिरकर घायल हो गया था। हालत बिगड़ने पर उसे कन्नौज के जिला अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे एलएलआर अस्पताल रेफर कर दिया। शुक्रवार सुबह बाल रोग विभाग में उसे भर्ती कराया गया। उसे सेप्टीसीमिया हो गया था। शनिवार की सुबह करीब नौ बजे उसने दम तोड़ दिया।
खबर मिलते ही दंपती बेसुध हो गए। रोते बिलखते बच्चे को बचा लेने की गुहार लगाते रहे। उनके पास शव ले जाने के लिए रुपये भी नहीं थे। अस्पताल के बाहर बेटे के शव को लेकर बैठ गए। जूनियर डॉक्टर और नर्स ने इमरजेंसी के अधिकारियों से बातचीत की, लेकिन निराशा हाथ लगी।
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मदद को बढ़े हाथ: जब दंपती अपने बेटे के शव को लेकर बिलख रहे थे तभी उधर से सिपाही निकले। उन्होंने उनकी दवाएं वापस करा 400 रुपये एकत्र किए। एक-एक कर लोगों ने चंदा जुटाया। अपनी मां का इलाज करा रहे कानपुर देहात के युवक ने एक हजार रुपये दिए, जबकि स्वास्थ्य कर्मी सीएम त्रिपाठी ने 500 रुपये जुटाए। कन्नौज तक एंबुलेंस का किराया होने पर माता पिता और उनके बेटे के शव को रवाना कर दिया गया।
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