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UP MLC Election: एमएलसी चुनाव में संगठनविहीन सपा नहीं कर पाई भाजपा का सामना, लोकसभा चुनाव 2024 का रण हुआ तैयार

UP MLC Election यूपी की पांच सीटों पर हुए एमएलसी चुनाव में भाजपा ने चार सीटों पर जीत हास‍िल की है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा की ये बड़ी जीत है। वहीं संगठनविहीन सपा अपने मतदाताओं को पोल‍िंग बूथ तक भी नहीं पहुंचा सकी।

By Jagran NewsEdited By: Prabhapunj MishraPublished: Sat, 04 Feb 2023 10:56 AM (IST)Updated: Sat, 04 Feb 2023 10:58 AM (IST)
UP MLC Election: एमएलसी चुनाव में संगठनविहीन सपा नहीं कर पाई भाजपा का सामना, लोकसभा चुनाव 2024 का रण हुआ तैयार
UP MLC Election 2023: एमएलसी चुनाव में संगठनविहीन सपा की भाजपा से जंग

कानपुर, जागरण संवाददाता। आठ माह से संगठनविहीन समाजवादी पार्टी को जिम्मेदारों का चुनावी अभियान में न जुटना भारी पड़ गया। स्नातक चुनाव में जहां पार्टी को 12.16 प्रतिशत वोट हासिल हुए, वहीं शिक्षक चुनाव में पार्टी 670 वोट ही हासिल कर सकी। हालांकि स्नातक चुनाव में पार्टी दूसरे स्थान पर जरूर रही लेकिन भाजपा से उसके वोट का अंतर 53,285 का रहा। अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सपा भाजपा से दो दो हाथ करने की तैयारियों में जुटे होने का दावा कर रही है। यूपी एमएलसी चुनाव में भाजपा की 4 सीटों पर जीत ने लोकसभा चुनाव की स्क्रिप्ट तैयार कर ली है।

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मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने में रही असफल

पार्टी भाजपा की तरह न तो मतदाता अभियान चला सकी न ही मतदाताओं को पोलिंग बूथ तक पहुंचाने के प्रयास हुए। प्रत्याशी की घोषणा में समाजवादी पार्टी ने बाजी तो मार ली लेकिन सबसे पहले प्रत्याशी घोषित होने का फायदा नहीं उठा सकी। विधानसभा चुनाव के बाद समाजवादी पार्टी के जिला संगठन को भंग कर दिया गया था। इसे दोबारा नहीं बनाया गया है। वहीं पार्टी के विधायकों ने चुनाव को लेकर अपनी तरफ से बढ़कर लोगों को एकजुट करने से संबंधित कोई कदम नहीं उठाया गया।

समाजवादी पार्टी कानपुर महानगर के निवर्तमान जिलाध्यक्ष डा. इमरान ने कहा क‍ि पहली बार पार्टी ये चुनाव लड़ रही थी। सामने भाजपा इस चुनाव में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मुद्दे उठाकर जनता को भ्रमित कर रही थी। सभी बूथ पर बस्ते और कार्यकर्ता रहे।

भाजपा प्रत्याशी अरुण पाठक महीनों से बना रहे थे नए मतदाता

सुबह करीब सवा नौ बजे भाजपा प्रत्याशी अरुण पाठक के हाथों में जीत का प्रणामपत्र आते ही भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नारों से पूरा आइआइटी परिसर गुंजा दिया। जीत का उत्साह तो हर चेहरे पर नजर आ रहा था लेकिन इस जीत की स्क्रिप्ट वास्तव में मतदान से पहले ही लिखी जा चुकी थी और यह स्क्रिप्ट भी एक-दो दिन में नहीं कई माह में लिखी गई थी। 2015 और 2017 में स्नातक निर्वाचन जीत चुके अरुण पाठक उस समय नए मतदाता बनाने में जुट गए थे, जब पार्टी ने उन्हें प्रत्याशी भी घोषित नहीं किया था।

आइटी टीम कर रही थी नए मतदाताओं को जोड़ने पर फोकस

साथ ही संगठन ने भी मतदाता बनाने का अभियान शुरू करने का कोई निर्देश नहीं दिया था। लोगों को मतदाता बनाने के लिए एक आइटी टीम भी लगाई गई थी जो जरूरी कागजात, फोटो आनलाइन लेकर भी मतदाता बना रही थी। बाद में जब जिला इकाइयों को मतदाता बनाने के अभियान में जुटने के निर्देश आए तो कानपुर नगर की तीनों व उन्नाव कानपुर देहात की जिला इकाइयां इसमें जुट गईं। मतदान से करीब छह माह पहले यह अभियान शुरू हो गया था। भाजपा संगठन, विधान परिषद सदस्य अरुण पाठक और कार्यकर्ताओं ने मतदाताओं से फार्म भरवा उन्हें जमा किया। मतदाताओं से संपर्क किया और बूथ की जानकारी दी। सभी ने मिलकर मतदाताओं की संख्या दो लाख के ऊपर पहुंचा दी।

अरुण पाठक का दावा 90 प्रतिशत वोट तो भाजपा ने ही बनवाए

भाजपा पदाधिकारियों और खुद अरुण पाठक का दावा था कि 90 प्रतिशत वोट तो भाजपा ने ही बनवाए हैं। हालांकि मतदान प्रतिशत तो काफी कम रहा करीब 41 प्रतिशत वोट पड़े। इनमें से भी 76,608 वोट ही वैध रहे लेकिन पिछले कई माह की मेहनत का नतीजा जो पहले से ही एकतरफा सीट के रूप में माना जा रहा था, वह सामने आ गया। 81.72 प्रतिशत वोट हासिल कर अरुण पाठक पहली वरीयता की गिनती में ही जीत गए।


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