Move to Jagran APP

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 48 दिन में 28 ने गंवाई जान, 146 घायल, झपकी और तेज रफ्तार बन रही वजह

एक्सप्रेस-वे पर झपकी और तेज रफ्तार ने पिछले 48 दिन में 28 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 146 लोग घायल हुए हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर उन्नाव कन्नौज व इटावा के 159 किमी क्षेत्र में हादसे हुए हैं। कई बार बेफिक्री भी हादसों की वजह बन रही है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Fri, 20 May 2022 07:40 AM (IST)Updated: Fri, 20 May 2022 07:40 AM (IST)
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 48 दिन में 28 ने गंवाई जान, 146 घायल, झपकी और तेज रफ्तार बन रही वजह
तेज रफ्तार के दौरान टायर फटने व सन्नाटे के कारण चालक की बेपरवाही पड़ती भारी।

कानपुर, जागरण टीम। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर नियमों की अनदेखी करते हुए वाहनों की तेज रफ्तार, अचानक टायर फटने, दूर-दूर तक सन्नाटे के कारण वाहन चलाने में बेपरवाही व चालकों को झपकी सुगम सफर के ख्वाब में रोड़ा बन रही। सिर्फ 48 दिन में ही उन्नाव, कन्नौज व इटावा के 159 किलोमीटर क्षेत्र में हुए हादसों में 28 मौतें हो चुकी हैं, जबकि 146 लोग घायल हुए। इनमें दो दर्जन से अधिक जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे हैं।

loksabha election banner

उन्नाव में किमी संख्या 225 से 287 के बीच कुल 62 किलोमीटर के दायरे में एक्सप्रेस-वे है। यहां 48 दिन में अलग-अलग जगह हादसो में 17 की मौत हो चुकी है तो 100 लोग घायल हुए। सबसे ज्यादा हादसे वाले क्षेत्र बांगरमऊ, बेहटा मुजावर, औरास व हसनगंज क्षेत्र हैं। इसी तरह कन्नौज में 65 किलोमीटर एक्सप्रेस-वे का दायरा, सौरिख में किलोमीटर 145 से शुरू होकर किमी 210 पर ठठिया तक है। यहां 15 हादसों में छह मौतें हुईं तो 30 घायल हुए। कन्नौज आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के तकरीबन मध्य में है। सौरिख और तालग्राम में ज्यादा हादसे होते हैं। वहीं, इटावा जिले में 32 किलोमीटर के दायरे में एक्सप्रेस-वे गुजरता है। यहां सैफई, चौबिया, ऊसराहार के गोपालपुर, संतोषपुर, नीमासाई में ज्यादा हादसे होते हैं। बीते दिनों चार हादसों में पांच मौतें हुईं, जबकि 16 लोग घायल हुए।  

हादसे के प्रमुख कारण

-जगह-जगह बोर्ड लगे हैं कि वाहन की रफ्तार सौ किलोमीटर प्रतिघंटा से अधिक नहीं होनी चाहिए। चालक 150 से 180 किलोमीटर तक की रफ्तार में वाहन दौड़ाते हैं। 

-सन्नाटे के बीच तेज रफ्तार में चालक समझ नहीं पाते और वाहन डिवाइडर से टकरा जाते हैं।

-तेज रफ्तार के कारण वाहनों के टायर फटने से अनियंत्रित होकर हादसे।

जिम्मेदार: एक्सप्रेस-वे पर वाहनों के टायर में 10 पाउंड तक हवा बढ़ जाती है, जिससे टायर फटते हैं। इसलिए यहां वाहन चलाते समय हवा जरूर चेक करा लें। वाहन चालकों को टायरों में नाइट्रोजन युक्त हवा भराने को प्रेरित करते हैं। इससे टायरों का एयर प्रेशर सामान्य रहता है और फटने की संभावना बेहद कम होती है। - आरके चंदेल, सुरक्षा अधिकारी यूपीडा। 

रात के सफर में पूरी नींद लेकर ही चलें

मनोरोग विशेषज्ञ डा. विकास दीक्षित कहते हैं, एक्सप्रेस-वे पर ज्यादातर हादसे झपकी आने से रात एक से सुबह छह बजे के बीच होते हैं। यही नींद का पीक टाइम होता है। एक्सप्रेस-वे पर वाहनों की कमी निश्चिंतता बढ़ाती है, जिससे शरीर शिथिल हो जाता है। रात में एक्सप्रेस-वे पर सफर करना हो तो दिन में भरपूर नींद लें और रास्ते में बातचीत करते चलें। इससे निश्चिंतिता नहीं होगी और दुर्घटना बचेगी। रात में सफर के दौरान एक्सप्रेस-वे के किनारे कोई होटल मिले तो वहां कुछ देर रुकें और चाय-पानी करके ही आगे बढ़ें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.