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CM Yogi Adityanath का आदेश एक साल से टरका रहे अफसर, घाटा उठा रहे उद्यमी Kanpur News

कानपुर के उद्यमी दोगुना महंगा कोयला खरीदने को मजबूर हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 19 Oct 2019 09:28 AM (IST)Updated: Sat, 19 Oct 2019 09:28 AM (IST)
CM Yogi Adityanath का आदेश एक साल से टरका रहे अफसर, घाटा उठा रहे उद्यमी Kanpur News
CM Yogi Adityanath का आदेश एक साल से टरका रहे अफसर, घाटा उठा रहे उद्यमी Kanpur News

कानपुरए [श्रीनारायण मिश्र]। 2014 से दोगुनी कीमत पर कोयला खरीद रहे छोटे उद्यमियों को जो राहत मुख्यमंत्री देना चाहते हैं। अफसर उसमें अड़ंगा डाल रहे हैं। उप्र लघु उद्योग निगम (यूपीएसआइसी) के अधिकारी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बावजूद एक साल से टेंडर नहीं करा पाए हैं। उल्टे जो टेंडर डाले गए थे, उन्हें भी आचार संहिता के बहाने निरस्त कर दिया गया है।

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केंद्र सरकार से राज्य को प्रतिवर्ष 11.39 लाख टन कोयले का आवंटन किया जाता है। कोयला नीति बेहद पारदर्शी होने के बाद अफसरों और ठेकेदारों का रुझान इससे कम हो गया। परिणामस्वरूप वर्ष 2014 से प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से कोयले का वितरण बंद हो गया। जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईंट भट्ठा संचालकों ने अपनी मुसीबत बताई तो पिछले साल 25 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने यूपी कोआपरेटिव फेडरेशन (पीसीएफ) और यूपीएसआइसी को एक माह के भीतर टेंडर कराकर समन्वयक तय करने और कोल वितरण कराने के आदेश दिए।

अब पीसीएफ को इस साल जहां 6.83 लाख टन कोयले का वितरण कराना है, वहीं यूपीएसआइसी को 4.56 लाख टन कोयला वितरण करना है। सीएम के आदेश पर तत्काल पालन तो पीसीएफ भी नहीं करा पाई, लेकिन इस वर्ष उसने कंपनी तय कर वितरण शुरू करा दिया। उधर, यूपीएसआइसी ने इसके लिए दो बार टेंडर कराए और दोनों बार निरस्त कर दिए। अब तीसरी टेंडर प्रक्रिया भी निरस्त कर दी गई है। यूपीएसआइसी के प्रबंध निदेशक रामयज्ञ मिश्रा ने बताया कि शासन ने आदर्श आचार संहिता के चलते यह निर्णय लिया है।

इतना घाटा झेल रहे उद्यमी

केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश में मुख्यत: सेंट्रल कोल फील्डस लिमिटेड (सीसीएल) और ईस्टर्न कोल फील्डस लिमिटेड (ईसीएल) सहित छह कंपनियों से कोयला भेजा जाता है। राज्य सरकार द्वारा उद्यमियों को वितरण के लिए तय की गई कंपनी को सीसीएल 4400 रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला देती है, जबकि उद्यमियों को सीधी खरीद पर यह 8500 रुपये का मिलता है। इसी तरह ईसीएल सरकार द्वारा तय कंपनी को 7300 रुपये प्रति टन के हिसाब से कोयला उपलब्ध कराती है, जबकि बाजार में इसी कोयले का दाम 12500 रुपये है।

आचार संहिता थी तो रोक सकते थे प्रक्रिया

आचार संहिता के चलते टेंडर प्रक्रिया निरस्त करना समझ से परे है, क्योंकि इसके लिए आयोग से अनुमति ली जा सकती थी या प्रक्रिया चुनाव परिणाम तक रोकी जा सकती थी। ऐसे में निरस्तीकरण क्यों? इस पर यूपीएसआइसी के एमडी कहते हैं कि शासन ने निगम के सारे टेंडर निरस्त किए हैं। हो सकता है कुछ तकनीकी कारण भी रहे हों।


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