मोटापे की समस्या से मिलेगा छुटकारा, गुब्बारा खत्म कर देगा भूख
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में अगले माह से चालू हो जाएगी बैलूनिंग तकनीक एंडोस्कोपी की मदद से पेट में डाला जाएगा इंट्रागैस्ट्रिकबैलून।
By AbhishekEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 01:32 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 10:03 AM (IST)
कानपुर, [शशांक शेखर भारद्वाज]। अनियमित दिनचर्या, व्यायाम से दूरी और खाने पीने की आदत से बेडौल हुए शरीर को ठीक करने के लिए लोग सोचते तो बहुत हैं लेकिन, चंचल मन और सुस्ती इच्छा शक्ति पर भारी पड़ जाती है। खानपान कम करना भी बहुत दिन तक नहीं चल पाता। ऐसे लोगों को बैरियाट्रिक सर्जरी का सहारा रहता है। अब परेशान की जरूरत नहीं। बैलूनिंग तकनीक मोटापे की चिंता कम करेगी। एक छोटा गुब्बारा भूख कम कर देगा। यह तकनीक अगले महीने से जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग में आरंभ हो रही है। यह तकनीक अभी प्रदेश में केवल पीजीआइ लखनऊ में है।
एलएलआर हॉस्पिटल में (हैलट) में शुरू होने जा रही इस सुविधा में इंट्रागैस्ट्रिक बैलून एंडोस्कोपी की मदद से डाला जाएगा। गुब्बारा पेट में जाने पर भूख का अहसाह कम हो जाता है। मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार के मुताबिक इंट्रागैस्ट्रिक बैलून छह महीने बाद निकाला जाता है। इसका असर काफी लंबा रहता है। बैलून की वजह से दिमाग के अंदर न्यरोलॉजिकल हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जो भूख कम लगने का अहसास कराते हैं।
महंगा खर्च
बैलूनिंग कराने के लिए अभी फीस काफी ज्यादा है। करीब 75 हजार रुपये फीस दिल्ली और मुंबई के हॉस्पिटल की है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन फीस कम करने के लिए रणनीति बना रहा है।
आसानी से लगता और निकलता
इंट्रागैस्ट्रिक बैलूनिंग में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। चिकित्सकों का दावा है कि छह माह में 10 से 15 किलो वजन कम हो जाता है।
सर्जरी की दिक्कतें होंगी दूर
डॉक्टरों का दावा है कि बैलूनिंग तकनीक से बैरीयाट्रिक सर्जरी में होने वाली दिक्कतें दूर होती हैं। कई बार सर्जरी से शरीर में संक्रमण होता है।
इनका ये है कहना
इंट्रागैस्ट्रिक बैलूनिंग तकनीक एकदम नई तकनीक है। मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों की समस्या दूर होगी। कई और सुविधाओं को चालू करने की तैयारी चल रही है।- प्रो. आरती लालचंदानी, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
एलएलआर हॉस्पिटल में (हैलट) में शुरू होने जा रही इस सुविधा में इंट्रागैस्ट्रिक बैलून एंडोस्कोपी की मदद से डाला जाएगा। गुब्बारा पेट में जाने पर भूख का अहसाह कम हो जाता है। मेडिकल कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. विनय कुमार के मुताबिक इंट्रागैस्ट्रिक बैलून छह महीने बाद निकाला जाता है। इसका असर काफी लंबा रहता है। बैलून की वजह से दिमाग के अंदर न्यरोलॉजिकल हार्मोन सक्रिय हो जाते हैं जो भूख कम लगने का अहसास कराते हैं।
महंगा खर्च
बैलूनिंग कराने के लिए अभी फीस काफी ज्यादा है। करीब 75 हजार रुपये फीस दिल्ली और मुंबई के हॉस्पिटल की है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन फीस कम करने के लिए रणनीति बना रहा है।
आसानी से लगता और निकलता
इंट्रागैस्ट्रिक बैलूनिंग में 15 से 20 मिनट का समय लगता है। चिकित्सकों का दावा है कि छह माह में 10 से 15 किलो वजन कम हो जाता है।
सर्जरी की दिक्कतें होंगी दूर
डॉक्टरों का दावा है कि बैलूनिंग तकनीक से बैरीयाट्रिक सर्जरी में होने वाली दिक्कतें दूर होती हैं। कई बार सर्जरी से शरीर में संक्रमण होता है।
इनका ये है कहना
इंट्रागैस्ट्रिक बैलूनिंग तकनीक एकदम नई तकनीक है। मोटापे की समस्या से जूझ रहे लोगों की समस्या दूर होगी। कई और सुविधाओं को चालू करने की तैयारी चल रही है।- प्रो. आरती लालचंदानी, प्राचार्य जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज
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