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Nurses Day Special: गर्भावस्था में भी निभाया फर्ज, संक्रिमितों की सेवा करते हुए खुद भी हुईं कोविड पॉजिटिव

Nurses Day 2021 कानपुर देहात की रसूलाबाद सीएचसी में कार्यरत नर्स ने गर्भवती रहने के दौरान मरीजों की सेवा की और संक्रमण की चपेट में आ गईं थी। मन घबराया पर हार नहीं मानी खुद भी कोरोना को हराया और मरीजों को भी जिताया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 12:56 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 12:56 PM (IST)
Nurses Day Special: गर्भावस्था में भी निभाया फर्ज, संक्रिमितों की सेवा करते हुए खुद भी हुईं कोविड पॉजिटिव
नर्स ने दृढ़ इच्छाशक्ति से की मरीजों की सेवा।

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। दृढ़ आत्मविश्वास की ताकत जिसके पास, जीत उसी की होती है। कानपुर देहात की रसूलाबाद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) की नर्स विनीता ने गर्भावस्था के दौरान कोरोना महामारी को मात दे ये साबित कर दिखाया। संक्रमण के दौरान गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की चिंता में काढ़ा तक नहीं पी सकती थीं और दवाएं भी बहुत सोच-समझकर लेनी थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। जिजीविषा के बूते महज 12 दिन में स्वस्थ होकर फिर मरीजों की सेवा में डटकर चिकित्सा धर्म निभाया और जिंदगी महफूज की। बेटे को जन्म देने के बाद मातृत्व अवकाश पर चल रहीं विनीता वर्तमान हालात को देख फिर कोरोना से जंग में फिर डटने को तैयार हैैं।

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संक्रमण के समय दो माह का था गर्भ

विनीता बताती हैैं कि बीते साल कोरोना काल मेें एक महिला का प्रसव कराने के दौरान 22 जुलाई को वह संक्रमण की चपेट में आ गईं। जब वह संक्रमित हुईं तो दो माह की गर्भवती थी। वह कानपुर देहात जिले में प्रथम महिला कोरोना संक्रमित महिला स्वास्थ्य कर्मी थीं। उस समय तक कोरोना के बारे में और गर्भस्थ शिशु पर इसका क्या दुष्प्रभाव पड़ सकता है, इसकी बहुत कम जानकारी थी। ऐसे में मन बहुत घबराया, समझ नहीं आया कि कैसे खुद को और बेटे को सुरक्षित रख पाएंगी। फिर आंखें मूंदकर ईश्वर का स्मरण किया और कोविड अस्पताल नबीपुर में भर्ती हो गईं।

मजबूत दिल से कोरोना को दी मात

उन्होंने बताया कि दिल मजबूत कर ठान लिया कि किसी भी तरह से हिम्मत नहीं हारनी है बल्कि कोरोना को हराना है। मुश्किलें बहुत थीं क्योंकि गर्भवती होने के कारण कोरोना में दी जा रही कई दवाएं लेने की मनाही थी। साथ ही काढ़ा गर्म होता है तो वह भी नहीं पी सकती थीं लेकिन हार नहीं मानी और मजबूत हौसले व अपनों की दुआओं से 12 दिन में कोरोना को हरा दिया। इसके बाद वह फिर से अस्पताल में वापस मरीजों की सेवा व महिलाओं का प्रसव कराने में जुट गईं। कुछ माह पहले छुट्टी ली और इस वर्ष ही फरवरी में स्वस्थ बेटे को जन्म दिया। उनकी मेहनत और हिम्मत को लोग खूब सराहते हैैं। विनीता अभी मातृत्व अवकाश पर हैैं लेकिन उनका कहना है कि जल्द ही वह फिर अस्पताल में अपना सेवाधर्म पूरा करेंगी। इस दूसरी लहर में मरीजों को उनकी ज्यादा जरूरत है।

जिन माताओं का प्रसव कराया, उनकी दुआ काम आईं

विनीता कहती हैैं कि मैैं और मेरा बेटा स्वस्थ हैैं तो इसमें उन माताओं की दुआ भी काम आई जिनका प्रसव उन्होंने कराया। उन सभी ने मेरे और मेरे बच्चे के लिए शुभकामनाएं दीं।


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