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International Women's Day : टूट रहे मिथक-खत्म हो रहा पंडितजी का एकाधिकार, अब महिलाओं की बारी

घरों में अब महिलाएं भी पूजा-पाठ से लेकर समस्त धार्मिक अनुष्ठान करा रही हैं।

By AbhishekEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 11:18 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 11:18 AM (IST)
International Women's Day : टूट रहे मिथक-खत्म हो रहा पंडितजी का एकाधिकार, अब महिलाओं की बारी

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। घर में पूजा-पाठ हो या फिर कोई धार्मिक अनुष्ठान, अब इन कामों में सिर्फ पंडित जी का एकाधिकार नहीं रहा है। महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं रही हैं और ऐसे में पूजा पाठ को लेकर पंडित जी को बुलाना गुजरे जमाने की बात हो चली है। शहर में ऐसी कई महिलाएं हैं, जो पूजा-पाठ ेसे लेकर समस्त कर्मकांड करा रही हैं। गायत्री परिवार से जुड़ी महिलाएं आओ गढ़े संस्कारवान पीढ़ी के मिशन को आगे बढ़ा रही हैं।

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गीत गाते गाते बना लिया मिशन

शहर में पहला नाम किदवई नगर की मधु गुप्ता का है। मधु वर्ष 2006 में गायत्री परिवार से जुड़ीं। गायत्री परिवार से उनके जुड़ाव की कहानी भी निराली है। दरअसल उनका घर गायत्री शक्तिपीठ के ठीक सामने है। शक्तिपीठ की कमला मिश्रा ने उन्हें कार्यक्रमों में गीत गाने के लिए आमंत्रित किया। गीत गाते-गाते मिशन को अपना लिया। अब वह सभी संस्कार, कर्मकांड कराती हैं।

20 वर्ष पहले ली थी दीक्षा

गुलमोहर विहार की आरती मौर्या ने 20 वर्ष पहले गुरु दीक्षा ली थी। इसके बाद किदवई नगर शक्ति पीठ से जुड़ीं। वह बताती हैं कि गायत्री परिवार का कार्य अन्य लोगों से भिन्न है। ईश्वर भक्ति के मार्ग का सरल और सीधा मार्ग बहुत अच्छा लगा। जिसके बाद महिलाओं के मंडल के साथ कार्य शुरू किया। वर्तमान में सफाई अभियान, गंगा अभियान, आओ संस्कारवान पीढ़ी गढ़ें, जैसे अभियान में वह भूमिका निभा रही हैं। इसके साथ ही यज्ञ, दीपयज्ञ, पुष्वन संस्कार, जन्मदिन, विवाह दिवस संस्कार, पूजा पाठ भी कराती हैं।

कराती हैं सामूहिक विवाह संस्कार

गल्लामंडी की सुनीता यादव वर्ष 2015 में गायत्री परिवार से जुड़ीं। उन्होंने गायत्री चेतना केंद्र हंसपुरम में प्रशिक्षण लिया। फिर हरिद्वार में नौ दिवसीय साधना केंद्र में यज्ञ व अन्य कर्मकांड का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद उन्होंने पूजन कर्मकांड की शुरुआत की। सुनीता बताती हैं कि सर्वप्रथम यज्ञ गायत्री चेतना केंद्र में कराया था। आज पुष्वन संस्कार, मुंडन संस्कार, विद्या आरंभ संस्कार, यज्ञोपवीत संस्कार के साथ गायत्री परिवार से जुडऩे वाले नए सदस्यों को दीक्षा भी दिलाती हैं। बीते वर्ष अकबरपुर में हुए सामूहिक संस्कार संपन्न कराए थे। बीएनएसडी शिक्षा निकेतन में चक समाज के सामूहिक विवाह समारोह भी संपन्न कराती हैं।

मां की कृपा मिल रही है

हंसपुरम् की नीलम बाजपेयी बताती हैं कि गायत्री माता की कृपा ही है जो उनकी सेवा करने का अवसर प्राप्त हो रहा है। आत्मिक शांति और ईश्वर प्राप्ति का सबसे अच्छा मार्ग गायत्री परिवार से जुड़कर मिलता है। यज्ञ, हवन, संस्कार और विवाह संस्कार से लोगों की सेवा कर रहे हैं। हमारा एक ही नारा है हम बदलेंगे युग बदलेगा।

संस्कार बदल देते जीवन

नौबस्ता की कल्याणी सचान बताती है कि गायत्री परिवार में संस्कार संपन्न कराने की जो विधि है उसे पूर्ण कराने पर जीवन बदल जाता है। संस्कार हमारे जीवन में बहुत महत्व रखते हैं ऐसे में उनका आयोजन हम विधि विधान से कराते हैं। उन्होंने बताया कि आजकल लोग पुष्वन संस्कार नहीं कराते जबकि बच्चे की उज्जवल भविष्य के लिए यह जरुरी है। हमारा गायत्री परिवार इस पर अधिक जोर देता है।


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