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अब आधुनिक हथियार बनाने के साथ ही मास्क की गुणवत्ता भी परखेगी स्माल आम्र्स फैक्ट्री

अमेरिकन मानक पर विकसित मास्क के फैब्रिक की गुणवत्ता जांच मशीन को एनएबीएल से मान्यता।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 10:16 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jul 2020 05:23 PM (IST)
अब आधुनिक हथियार बनाने के साथ ही मास्क की गुणवत्ता भी परखेगी स्माल आम्र्स फैक्ट्री
अब आधुनिक हथियार बनाने के साथ ही मास्क की गुणवत्ता भी परखेगी स्माल आम्र्स फैक्ट्री

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। सेना को आधुनिक शस्त्रों से सुसज्जित करने वाली स्माल आम्र्स फैक्ट्री (एसएएफ) अब मेडिकल क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर भारत के तहत योगदान देने को कदम बढ़ा चुकी है। इसके लिए वायरस व बैक्टीरिया से बचाव को बनने वाले मास्क की गुणवत्ता परखने को 'स्प्लैश रेजिस्टेंस टेस्ट ऑफ सर्जिकल मास्क' मशीन विकसित की है, जो मास्क के फैब्रिक की जांच करके उसके सुरक्षित होने पर मुहर लगाएगी। ड्रॉपलेट से सौ फीसद सुरक्षा के साथ मास्क बनाने वाले कपड़े की ब्रीङ्क्षथग कैपिसिटी का परीक्षण भी आसानी से होगा। नेशनल एक्रेडिटेशन बोर्ड फॉर टेङ्क्षस्टग एंड कैलीब्रेशन लेबोरेट्रीज (एनएबीएल) ने इसे मान्यता दे दी है। अब मास्क बनाने वाले उद्यमियों को फैब्रिक की जांच रिपोर्ट का लंबा इंतजार नहीं करना होगा।

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देश की दूसरी मशीन, उद्यमियों को मिलेगा फायदा

अभी तक द साउथ इंडिया टेक्सटाइल रिसर्च एसोसिएशन (सिट्रा) कोयंबटूर में इस प्रकार की जांच होती है। देश में एक ही जांच केंद्र होने से नमूनों की लंबी कतारें होती हैं, जिससे रिपोर्ट आने में बहुत वक्त लगता है। सिट्रा के बाद एसएएफ ने देश की दूसरी मशीन बनाई है, जो अपडेट वर्जन है। जांच की सुविधा करीब होने से कानपुर समेत उत्तर प्रदेश के उद्यमियों को मुख्य रूप से इसका लाभ मिलेगा। एसएएफ के उप महाप्रबंधक एवं मशीन के गुणता प्रबंधक अमित कुमार यादव व कार्यवेक्षक अजय कुमार गुप्ता ने एनएबीएल के सामने जून में प्रस्तुति दी थी और चार जुलाई को प्रमाणपत्र मिल गया। अजय गुप्ता ने बताया कि अमेरिकन मानक पर विकसित की गई मशीन के जरिए फैब्रिक का परीक्षण 80, 120 व 160 मिलीमीटर पारा (एमएमएचजी) पर होता है। यह मनुष्य के ब्लड प्रेशर का मानक होता है।

दो मिली कृत्रिम खून की बूंद से परीक्षण

स्प्लैश रेजिस्टेंस टेस्ट ऑफ सर्जिकल मास्क मशीन के जरिए कृत्रिम खून की दो मिली बूंद डालकर मास्क के फैब्रिक का परीक्षण होता है। कृत्रिम खून आरपार चला जाता है तो फैब्रिक परीक्षण के शुरुआती दौर में फेल मानी जाती है। साथ में फैब्रिक मास्क के लिए मुफीद होने या नहीं, प्रतिरोधक क्षमता मास्क बनाने लायक है या नहीं, की भी जांच होती है। अजय गुप्ता ने बताया कि 160 मिमी एचजी पर जांच सर्जिकल मास्क के कपड़े की होती है। इसके साथ सामान्य मास्क के फैब्रिक की जांच 80 से 120 पर होती है। इससे पहले एसएएफ ने ब्लड पेनीट्रेशन रेजिस्टेंस टेङ्क्षस्टग मशीन बनाई है।

निर्माण में ये टीम शामिल

मास्क फैब्रिक टेङ्क्षस्टग मशीन बनाने वाली टीम में संयुक्त महाप्रबंधक पवन कुमार, उप महाप्रबंधक आलोक कुमार, कनिष्ठ कार्य प्रबंधक शुभ्रजीत रक्षित, अरङ्क्षवद ङ्क्षसह, केके तिवारी, सुमित विश्वास व राजेश ङ्क्षसह शामिल हैं।  


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