अब जनता भी ले सकेगी CSA की डेयरी के दूध का स्वाद, विश्वविद्यालय ने की बाजार में उतारने की तैयारी
पहले चरण में 500 लीटर दूध निकालने की तैयारी दूसरे चरण में गाय भैंस की देसी नस्लों के सुधार पर होगा काम।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) अपने संसाधनों को विकसित कर बाजार में जगह बनाने की तैयारी कर रहा है। उसकी डेयरी से निकलने वाला दूध और उसके उत्पादों का स्वाद आम जनता ले सकेगी। विश्वविद्यालय ने दूध और उसके उत्पादों का बाजार में उतारने की प्लानिंग की है। उसके लिए डेयरी को उच्चीकृत करने की तैयारी की जा रही है। कई तरह के अत्याधुनिक उपकरण लगाए जाएंगे। इसको लेकर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। पहले चरण में 500 लीटर दूध पैकेटों में आएगा, जबकि दूसरे चरण में गाय व भैंस की देसी नस्लों के सुधार पर शोध किया जाएगा। सीएसए के पशुपालन विभाग के अंतर्गत डेयरी फार्म है, जहां मौजूदा समय में काफी पशु हैं। रोजाना करीब 300 लीटर दूध निकलता है। इसे विश्वविद्यालय की फैकल्टी और स्टाफ को पहुंचाया जाता है।
किस तरह होगा काम
डेयरी फार्म में ऐसी मशीनें लगाई जाएंगी, जिनसे अपने आप दूध निकाला जा सकेगा। गाय और भैंस को नहलाना, चारा खिलाना सब कुछ मशीनों से होगा। फार्म के बगल में ही प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित की जाएगी, जहां दूध को पॉश्चुराईज्ड प्रक्रिया से कीटाणु मुक्त किया जाएगा। दूध को आधा और एक लीटर की पैकिंग में पैक किया जाएगा। दूध की गुणवत्ता की जिम्मेदारी विभाग के अधिकारियों को सौंपी जाएगी। दूध की मांग के बाद क्रीम, मठ्ठा, घी उतारा जाएगा।
देसी नस्लों को सुधारा जाएगा
दूसरे चरण में देसी नस्लों को सुधारने का काम किया जाएगा। उनकी दूध देने की क्षमता बढ़ाई जाएगी। इसमें शासन के पशुपालन विभाग के विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी। कई तरह के शोध किए जाएंगे। उन्हेंं जैविक आहार, औषधीय गुणों से युक्त फसलों का सेवन कराया जाएगा।
पॉलीक्लीनिक का होगा विस्तार
विश्वविद्यालय की जानवरों की पॉलीक्लीनिक का विस्तार किया जाएगा। उसमें पशुओं के टीकाकरण, कुछ घंटों के लिए भर्ती करने की सुविधा की जाएगी। स्टाफ को बढ़ाया जाएगा।
इनका ये है कहना
शहर के कई लोग और सुबह-शाम की सैर करने वाले गुणवत्ता व पौष्टिकता युक्त दूध की मांग कर चुके हैं। शासन को डेयरी यूनिट और पशुओं की नस्ल सुधारने को लेकर प्रस्ताव बनाकर भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही काम शुरू कर दिया जाएगा।
-डॉ. डीआर सिंह, कुलपति चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि