अब सूचना का 'अधिकार' के इस्तेमाल की पड़ताल
देश के प्रमुख संस्थानों से चुने गए दस विधि छात्र, 200-200 प्रमुख आरटीआइ की देंगे रिपोर्ट
जागरण संवाददाता, कानपुर : सूचना के अधिकार का आमजन किस प्रकार इस्तेमाल कर रहे हैं, विभाग और अधिकारी जवाब कैसा दे रहे हैं। उनका जवाब गोलमोल है या स्पष्ट। किन विभागों में अधिक आरटीआइ मांगी जा रही हैं। क्या लोग ऐसी जानकारियां मांगने के लिए मजबूर हैं, जिन्हें विभाग की वेबसाइट पर ही मिल जानी चाहिए थी। विभागों ने अपनी वेबसाइट कबसे अपडेट नहीं की है, ऐसे ही कई सवालों के जवाब देश भर के प्रमुख विधि संस्थानों से चुने गए दस विधि छात्र अपनी रिपोर्ट में देंगे। हर छात्र विभिन्न विभागों के 200 आरटीआइ में पूछे गए सवाल, मिले जवाब, उसकी सार्थकता पर रिपोर्ट तैयार कर विभाग के सौंपेंगे।
इंटर्नशिप का यह प्रोजेक्ट प्रधानमंत्री कार्यालय के अधीन आने वाले कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग का है। इसमें देश भर से दस विधि छात्रों को चुनकर उन्हें विभिन्न विभागों की जिम्मेदारी दी गई। दो महीने की इस आरटीआइ इंटर्नशिप में मिले सुझाव के आधार पर विभाग आरटीआइ की व्यवस्था में समय-समय पर बदलाव भी करता है। दस छात्रों में एक देवेंद्र सिंह निवासी कैलाश नगर, कानपुर शामिल हैं। आरटीआइ एक्टिविस्ट के रूप में देवेंद्र कई खातेदारों को बैंक की गलती से कटी रकम वापस दिला चुके हैं। वेबसाइट पर अपडेट हो जानकारी
आरटीआइ की धारा 4(क) में प्रावधान है कि सभी विभाग अपनी वेबसाइट पर वह सभी जानकारी अपडेट करें, जिनका जनता से सीधा संबंध है। इनके लिए आरटीआइ की जरूरत न पड़े। इसमें अधिकारियों-कर्मचारियों के नाम, पदनाम, सीयूजी नंबर, टेंडर, कार्य प्रगति, सिटीजन चार्टर आदि शामिल हैं। कौन से विभाग वेबसाइट अपडेट नहीं कर रहे हैं, इसकी भी जानकारी जुटाएंगे। देवेंद्र को आइआइटी की जिम्मेदारी
दिल्ली विश्वविद्यालय में विधि छात्र देवेंद्र देश भर की सभी 23 आइआइटी, दस सीपीआइओ के यहां लगने वाली प्रमुख आरटीआइ पर रिपोर्ट तैयार करेंगे। तीन टीमें बनी
दस छात्रों को तीन टीमों में बांटा गया है। तीन छात्रों को सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय, तीन को मानव संसाधन विकास मंत्रालय और चार छात्रों की टीम को डिपार्टमेंट आफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) से जुड़े विभाग दिए गए हैं।