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एसी नहीं, रेलवे का सिस्टम ही फेल है

भीषण गर्मी में इन दिनों दनादन ट्रेनों के एसी फेल हो रहे हैं। इसके पीछे रेलवे का पूरा फेल सिस्टम ही जिम्मेदार है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Jun 2018 03:55 PM (IST)Updated: Tue, 19 Jun 2018 03:55 PM (IST)
एसी नहीं, रेलवे का सिस्टम ही फेल है
एसी नहीं, रेलवे का सिस्टम ही फेल है

जागरण संवाददाता, कानपुर: भीषण गर्मी में इन दिनों दनादन ट्रेनों के एसी फेल हो रहे हैं। शुरुआती दौर में एसी फेलियर को ट्रेनों की लेटलतीफी से जोड़ा गया। इन आशंकाओं के मद्देनजर स्टेशन डायरेक्टर ने एसी फेलियर के मामलों की पूरी रिपोर्ट बनाने को कहा है। यह रिपोर्ट एनसीआर मुख्यालय भेजी जाएगी।

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सेंट्रल स्टेशन के सूत्रों के मुताबिक गर्मी के मौसम में अब तक 70 से अधिक ट्रेनों में एसी फेल हो चुके हैं। शुरुआत में इन घटनाओं को अत्यधिक देरी से चल रही ट्रेनों से जोड़ा गया। दावा किया गया कि गाड़ियों के बार-बार रुकने से ट्रेनों की बैटरी पर अतिरिक्त भार पड़ता है और इस वजह से एसी खराब हो रहे हैं।

इन घटनाओं से खड़े किए सवाल

एसी फेलियर की कुछ घटनाओं ने रेलवे के दावों को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है। लखनऊ से चलकर जबलपुर जाने वाली चित्रकूट एक्सप्रेस का एसी पिछले दिनों तीन बार फेल हुआ। अब सवाल यह है कि डेढ़ से तीन घंटे के सफर में बैटरी पूरी तरह से डिस्चार्ज कैसे हो गई?। इसी तरह समय से सेंट्रल पहुंचने के बाद भी गुवाहाटी से आनंद विहार जाने वाली नार्थ ईस्ट एक्सप्रेस का एसी फेल हुआ। रेलवे रिकार्ड के हिसाब से जिन गाड़ियों के एसी खराब हुए उनमें से करीब 40 फीसद गाड़ियां गोरखपुर की हैं।

बैटरी में खेल

ट्रेनो में दो, छह, आठ, दस और बारह वोल्ट की बैटरियों का प्रयोग होता है। एसी कोच में दो वोल्ट व 1100 एम्पियर की एलएमएलए, 1100 एम्पियर की वीआरएलए और दो वोल्ट व 650 एंम्पियर की वीआरएलए बैटरी का प्रयोग होता है। नई बैटरी बिना रिचार्ज किए हुए लगातार दस घंटे तक चल सकती है। इसके बाद जैसे-जैसे इसका उम्र बढ़ती है, रिचार्ज के घंटे कम होते जाते हैं। बावजूद इसके मेंटीनेंस के बाद करीब पांच घंटे तक बैटरी को बिना चार्ज किए हुए प्रयोग में लाया जा सकता है। मगर, लखनऊ से चलकर चित्रकूट एक्सप्रेस की बैटरी कानपुर में डिस्चार्ज हो रही है तो सवाल पैदा होने लाजमी हैं। एसी मेंटीनेंस का काम देख रहे अधिकारियों ने दबी जुबान से बताया कि अधिकांश गाड़ियों में एसी फेल होने के पीछे गाड़ी की चाल नहीं बल्कि बैटरी मेंटीनेंस में कमी सामने आई है। अनुमान तो यहां तक है कि कागजों में बैटरी मेंटीनेंस व बैटरी बदलने का काम भी किया जा रहा हो।

तैयार की जा रही रिपोर्ट

स्टेशन डायरेक्टर डॉक्टर जितेंद्र कुमार ने बताया कि एसी फेल की घटनाओं की विस्तृत जांच रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जांच रिपोर्ट एनसीआर मुख्यालय भेजी जाएगी। कुछ सवाल खड़े हुए हैं। मुख्यालय स्तर से जांच के बाद ही सच्चाई सामने आ सकेगी।


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