एलएलआर अस्पताल के नेत्ररोग विभाग की तकनीक से 'दागदार' आंखें हो रहीं खूबसूरत
अब तक 18 बच्चे और किशोरों का हुआ सफल ऑपरेशन
जागरण संवाददाता, कानपुर : एक कार्निया का दान दो जिंदगी रोशन करता है। अब उसी कार्निया का छोटा सा हिस्सा भी 'दागदार' आंखों को खूबसूरत बनाएगा। एलएलआर अस्पताल (हैलट) के नेत्ररोग विभाग ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिसमें कार्निया का बचा हुआ हिस्सा पुतली की गांठ हटाने के बाद बचे गड्ढे को भरने के काम आ रहा है। अब तक 18 बच्चों और किशोरों का सफल ऑपरेशन हो चुका है। उन्हें फॉलोअप के लिए लगातार बुलाया जाता है। ऑपरेशन के बाद उन्हें चश्मा लगाना पड़ता है।
जन्मजात होती बीमारी
एक हजार में से एक बच्चे को जन्मजात डरमॉइड सिस्ट (पुतली की गांठ) की समस्या होती है। यह उम्र के साथ बढ़ती जाती है। व्यस्क होने तक पूरी पुतली पर घेरा बना लेती है। इसमें रोगी को शुरूआत में धुंधला दिखाई देता है। अगर ध्यान न दिया गया, तो बिलकुल दिखना बंद हो जाता है।
निर्धारित होता समय
डरमॉइड सिस्ट के ऑपरेशन और कार्निया का छोटा हिस्सा लगाने का समय निर्धारित किया जाता है। अगर कार्निया नहीं है तो ऑपरेशन टाल दिया जाता है। एलएलआर अस्पताल के नेत्ररोग विभाग में कार्निया बैंक स्थापित है। कुछ नेत्ररोगियों में कार्निया ट्रांसप्लांट में दान की कार्निया का आकार बदलना पड़ता है। उसमें से कुछ हिस्सा बच जाता है। यही डरमॉइड सिस्ट पीड़ितों के काम आता है।
पहले लगता था पूरा कार्निया
पहले पुतली की गांठ के ऑपरेशन में पूरा कार्निया लगाना पड़ता था। कई बार छोटे ऑपरेशन में कार्निया नहीं लगाई जाती थी, जिससे हिस्से को भरने में काफी समय लगता था। कुछ मामलों में आंखों में माड़ा पड़ने की समस्या भी आ जाती थी।
एलएलआर अस्पताल की नेत्ररोग विशेषज्ञ डॉ. शालिनी मोहन कहती हैं कि अस्पताल में कार्निया के काफी छोटे टुकड़े से पुतली की गांठ के ऑपरेशन के बाद खाली बचे हिस्से को भरा जा रहा है। इसमें एक दिन मरीज को भर्ती रहता पड़ता है।