भारत को दिखाई नई दिशा और राह, आसमान तक बिखेरी खास व्यक्तित्व की चमक
एक साल में देश को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में खास व्यक्तिव का हाथ रहा और नई दिशा-राह भी दिखाई। नए भारत के सपने साकार करने में सराहनीय कदम बढ़ाते हुए आसमान तक चमक बिखेर कर रोशन किया है।
भाजपा : राष्ट्रीय फलक पर विस्तार
एक समय भारतीय जनता पार्टी शहरी मध्यवर्ग के बीच असर रखने वाली पार्टी मानी जाती थी, लेकिन समय के साथ उसने सभी समुदायों के बीच अपना प्रभाव छोड़ा और राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक प्रसार किया। फिलहाल वह एक मजबूत राष्ट्रीय दल है, जिसकी बराबरी करने वाला कोई नहीं दिखता। आज भाजपा के समर्थक-शुभचिंतक देश के हर कोने में हैं। समर्थकों की संख्या की दृष्टि से तो वह देश ही नहीं, दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी है।
विपक्ष और भाजपा के आलोचक उसे अभी उसी चश्मे से देख रहे हैं, जैसे वे एक दशक पहले देखते थे, लेकिन असलियत में देखें तो आज भाजपा बहुत बदल चुकी है और बहुत विस्तार भी ले चुकी है। इस विस्तार की एक बड़ी वजह है नेताओं की नई पौध तैयार करने और उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने का अनवरत सिलसिला। भाजपा के इस कायाकल्प का सबसे अधिक श्रेय जाता है अमित शाह को, जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष के रूप में भाजपा को चुनाव जीतने वाली मशीन में तब्दील कर दिया और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की करिश्माई नेता की छवि के सहारे उसे सुदूर पूर्वोत्तर में भी मजबूती के साथ स्थापित किया।
इस क्रम में पुडुचेरी की जीत के साथ बंगाल में सबसे बड़े विपक्षी दल के रूप में उभार विशेष रूप से उल्लेखनीय है। भाजपा ने खुद को अधिकाधिक लोगों से जोड़ने के लिए एक ओर जहां सामाजिक समीकरणों की नई इबारत लिखकर हर वर्ग के बीच अपनी पैठ बढ़ाई, वहीं दूसरी ओर पन्ना प्रमुख जैसे अभिनव प्रयोगों के सहारे संगठन को मजबूत कर विरोधियों को चौंकाया। जेपी नड्डा के नेतृत्व में पार्टी देश के शेष हिस्सों में भी अपना असर बढ़ा रही है मगर इसमें कोई दोराय नहीं कि उनके सामने चुनौती है कि शाह ने भाजपा को जो भव्यता और उसकी कार्यशैली में आक्रामकता प्रदान की है, वह उसे कितना बरकरार रख पाते हैं और उसे आगे बढ़ाते हैं। कुल-मिलाकर देखें तो वास्तव में भाजपा इसका सटीक उदाहरण है कि कोई राजनीतिक संगठन अपनी मूल विचारधारा पर कायम रहते हुए भी किस तरह लोगों की आकांक्षाओं को आत्मसात कर खुद को बदलता है और विस्तार करता है।
बायजू रवींद्रन : पढ़ाओगे, लिखाओगे, बनोगे नवाब
बायजू रवींद्रन। नाम से समझ ही गए होंगे कि वही युवा है जिसने देश ही नहीं, विश्व का सबसे बड़ा शिक्षा तकनीक (एडटेक) स्टार्टअप बनाने की उपलब्धि हासिल की और हावर्ड में जिन्हें केस स्टडी के रूप में पढ़ाया जा रहा है। बायजू रवींद्रन ने देश के लाखों युवा आंत्रप्रेन्योर की आंखों में सुनहरे सपने भरे हैं। ‘पढ़ने-लिखने के बाद केवल नौकरी ही बेहतर विकल्प है’, जैसी पारंपरिक सोच वाले भारत में बायजू रवींद्रन ने अपनी खींची विशाल लकीर से इस वाक्य को बेमानी बना दिया है। 2015 से सफलता की यात्रा आरंभ करने वाले बायजू रवींद्रन के लिए 2021 भी अप्रत्याशित उपलब्धियों वाला साल रहा। देश में मेडिकल और इंजीनियरिंग की कोचिंग में ‘जायंट’ कहे जाने वाले ‘आकाश’ को बायजू ने इसी साल अपनी मुट्ठी में किया।
किसी भी युवा के लिए यह ज्वलंत केस स्टडी है कि कैसे सपने देखे और एक के बाद एक पूरे किए जाते हैं। करीब एक अरब डालर यानी 7,500 करोड़ रुपए में बायजूस ने ‘आकाश’ को खरीदा। कोडिंग कंपनी ‘व्हाइटहैट जूनियर’ को वे पिछले साल ही खरीद चुके थे। अन्य कई देसी-विदेशी एजुकेशन स्टार्टअप भी वे खरीद रहे हैं। बीते साल बांड से निवेश जुटाने के बाद यूनिकार्न (7,500 करोड़ रुपए की कीमत वाला स्टार्टअप) बनते ही बायजूस विश्व की सबसे अधिक कीमत वाली एडटेक कंपनी बन गई। आज भारत सहित अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, मैक्सिको व अन्य देशों के लाखों छात्र बायजूस पर पढ़ रहे हैं।
अंबानी-टाटा-अदाणी : कारोबार के कुबेर
कहते हैं कि साहित्य समाज का आईना होता है। अगर इस मशहूर कहावत को आधुनिक रूप दें, तो यह कहने में कोई हिचक नहीं कि उद्योग जगत किसी समाज की आर्थिक प्रगति का आईना होता है। इस लिहाज से वर्ष 2021 को कोरोना संकट से उबरने में देश के उद्योग व उद्योगपतियों के सहयोग के साथ-साथ समाज की आर्थिक तरक्की के लिए मुकेश अंबानी, रतन टाटा और गौतम अदाणी जैसे अधिक से अधिक समृद्ध उद्योगपतियों की जरूरत के लिए जाना जाएगा। इस वर्ष की शुरुआत में जब देश कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में था और देशभर में कोरोना मरीज आक्सीजन के लिए त्राहिमाम कर रहे थे, तब इन तीनों शीर्ष उद्योगपतियों और उनकी कंपनियों ने न केवल अपने स्थापित उद्योगों को अस्थायी तौर पर बंद कर इंडस्ट्रियल आक्सीजन को मेडिकल आक्सीजन में बदलने के उपाय किए और उन्हें सीधे अस्पतालों तक पहुंचाया, बल्कि विदेश से भी आक्सीजन टैंकर और कंसंट्रेटर मंगाने से लेकर नए अस्पताल खोलने तक के इंतजाम कर लाखों जानें बचाईं। यह वर्ष देश के इन तीन शीर्ष उद्यमियों के लिए उनकी कारोबारी उपलब्धियों और भविष्य की संभावनाओं के लिए भी बेहद खास रहेगा।
देश के सबसे प्रतिष्ठित कारोबारी समूह टाटा ग्रुप ने इस वर्ष उस एयर इंडिया को सरकार से वापस खरीद लिया, जिसकी स्थापना देश की आजादी से पहले उसी ने की थी और जो विमानन कंपनी पिछले करीब डेढ़ दशक के सरकारी कुप्रबंधन के चलते देश के करदाताओं पर बोझ बनी हुई थी। इतना ही नहीं, टाटा ग्रुप को देश के नए संसद भवन के निर्माण का दायित्व मिला है, जो सही मायनों में स्वतंत्र भारत का अपना संसद भवन होगा। गौतम अदाणी के लिए यह वर्ष इस लिहाज से भी बेहद खास रहा है क्योंकि इस वर्ष वे दुनियाभर के अरबपतियों की सूची में मुकेश अंबानी को पछाड़ने के कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं, मुकेश अंबानी पिछले दो-तीन वर्षों से कंपनी के रिटेल सेग्मेंट को नई ताकत देने में जुटे रहे हैं और इस वर्ष देश का सबसे सस्ता 4जी फोन लांच कर उन्होंने इसे नई धार दी है। अदाणी और अंबानी दोनों ने इस वर्ष ग्रीन एनर्जी के क्षेत्र में लाखों करोड़ रुपये के निवेश की घोषणा की है। यह निवेश आने वाले वर्षों के दौरान देश को वैकल्पिक ऊर्जा के क्षेत्र में शीर्ष पर पहुंचाने में बड़ी मदद करेगा।