मरीजों के दबाव के हिसाब से न फैकल्टी, न ही जूनियर रेजीडेंट
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े एलएलआर (हैलट) एवं संबद्ध अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते जबरदस्त दबाव के आगे डाक्टरों की कमी पड़ रही है।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े एलएलआर (हैलट) एवं संबद्ध अस्पतालों में मरीजों के बढ़ते जबरदस्त दबाव के आगे डाक्टरों की कमी पड़ रही है। मरीजों की संख्या के अनुपात में न फैकल्टी है, न ही जूनियर रेजीडेंट (जेआर)। जो जेआर हैं भी, उन पर कार्य का अत्याधिक दबाव है। इसे देखते हुए प्राचार्य ने सभी क्लीनिकल विभागों में पोस्ट ग्रेजुएट (पीजी) सीटें बढ़ाने के लिए विभागाध्यक्षों से प्रस्ताव मांगे हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कांफ्रेंस हॉल में सोमवार को प्राचार्य की अध्यक्षता में विभागाध्यक्षों की बैठक हुई। इसमें प्राचार्य डॉ. आरती दवे लालचंदानी ने कहा कि सभी क्लीनिकल विभागों में मरीजों का जबरदस्त दबाव है। उसके हिसाब से डाक्टर नहीं हैं। जेआर और फैकल्टी पर काम का अधिक दबाव होता है। ऐसे में कई बार मरीजों के तीमारदार एवं जेआर के बीच टकराव की नौबत आ जाती है। इसके समाधान के लिए पीजी सीटें बढ़ाने की जरूरत है। सभी विभागाध्यक्ष पीजी सीटें और फैकल्टी का पूरा विवरण दें। ओपीडी एवं इनडोर के हिसाब से जरूरतें भी बताएं। इसका पूरा प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजेंगे ताकि मरीजों को बेहतर सुविधाएं मुहैया कराई जा सकें। बैठक में सर्जरी के विभागाध्यक्ष डॉ. संजय काला, मेडिसिन की डॉ. रिचा गिरि, एनस्थेसिया के डॉ. अपूर्व अग्रवाल, बाल रोग के डॉ. यशवंत राव, नेत्र रोग के डॉ. परवेज खान, आर्थोपेडिक के डॉ. संजय कुमार, ईएनटी के डॉ. एसके कनौजिया, एनाटमी की डॉ. सुनीतिराज पांडेय, फारेंसिक मेडिसिन के डॉ. पुनीत महेश अवस्थी, माइक्रोबायोलॉजी के डॉ. जीसी उपाध्याय, टीबी एवं चेस्ट के डॉ. आनंद कुमार मौजूद रहे।
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इन विभागों से मांगे प्रस्ताव
मेडिसिन, एनस्थेसिया, सर्जरी, आर्थोपेडिक, टीबी एवं चेस्ट, स्त्री एवं प्रसूति रोग, बाल रोग विभाग।