बचपन में ही सीख ली थी राजनीति जब महज ढाई साल की उम्र में मां की गोद में जेल गईं थीं नीलिमा कटियार Kanpur News
अभाविप से शुरू की राजनीति 2017 में पहली बार बनीं विधायक प्रदेश महामंत्री का भी संभाल रहीं दायित्व।
कानपुर, जेएनएन। राज्यमंत्री बनीं नीलिमा कटियार को राजनीति अपनी मां पूर्वमंत्री प्रेमलता कटियार से विरासत में मिली। इसकी शुरुआत कितनी कठोर थी, यह शायद सबको नहीं मालूम होगा। मां की गोद में महज ढाई साल की उम्र में वह जेल गईं क्योंकि उनकी मां 1975 में आपातकाल का विरोध कर रही थीं।
छोटी सी बच्ची के तौर पर उन्होंने जो अनुभव किया होगा, शायद उसकी छाप उनके राजनीतिक कॅरियर पर भी दिखती है। उनकी मां भले ही भाजपा की बड़ी नेताओं में शुमार रही हों, लेकिन उन्होंने राजनीति अपने बूते पर की। 1993 में जब कानपुर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ तो वे विद्यार्थी परिषद से जुड़ गईं। छात्र जीवन में कई पदों पर रहीं। 2010 में महिला मोर्चा की प्रदेश कार्यकारिणी की सदस्य बनीं। जिले में भी महिला मोर्चे में दायित्व संभाले। उनकी सक्रियता पार्टी के शीर्ष नेताओं तक चर्चित थी इसलिए जब पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने नई दिल्ली में वीरांगना सम्मेलन कराया था तो उन्हें उसमें खास जिम्मेदारी दी गई थी। 2013 में नीलिमा भाजपा की जिला महामंत्री बनीं और वर्ष 2018 में उनकी संगठन क्षमता को देखते हुए पार्टी ने उन्हें प्रदेश महामंत्री का दायित्व सौंप दिया।
इससे पहले 2017 में वह अपनी मां प्रेमलता कटियार की परंपरागत सीट से जीतकर पहली बार विधायक बन चुकी थीं। इस जीत से उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि संगठन क्षमता के अलावा उनमें जनता और खासकर युवाओं को आकर्षित करने की क्षमता भी है। पार्टी अब उन्हें मंत्री बनाकर शायद इस चेहरे को भुनाना चाहती है। कानपुर उत्तर जिले के मीडिया प्रभारी अनूप अवस्थी कहते हैं कि नीलिमा कटियार की सबसे बड़ी खूबी यह है कि वह बेहद सामान्य बनकर रहती हैं और पार्टी के रचनात्मक कार्यों में उनका योगदान अधिक रहता है। यही वजह है कि कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा खुशी उनके मंत्री बनने की है।
परिचय
नाम : नीलिमा कटियार
पति: धर्मेंद्र कुमार
जन्म: 08 दिसंबर 1973
पता: 117क्यू, 54ए ब्लाक, एलआइसी कालोनी, शारदानगर
शिक्षा: 1995 में बीएससी और 2001 में एमए