भाई-भतीजा परंपरा संत की नहीं, जानिए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने चित्रकूट में क्यों कही ये बात
निर्मोही अखाड़ा के महंती समारोह में बोले अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष। इस दौरान उन्होंने कहा कि कामदगिरि पीठाधीश्वर रामस्वरूपाचार्य नहीं हैं जगद्गुरु। श्रीमहंत कृष्णदास ने कंठी चादर कर शिवरामदास को निर्मोही अखाड़ा का महंत और दीनदयाल दास को कार्यकारी महंत घोषित किया।
कानपुर, जेएनएन। निर्मोही अखाड़ा के गोलोकवासी महंत रामआसरे दास की 14वीं पुण्यतिथि पर मंगलवार को जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य की अध्यक्षता व अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि की अगुवाई में महंती समारोह का आयोजन हुआ। चित्रकूट संत समाज के बीच कामदगिरि पीठ के महंत रामस्वरूपाचार्य को स्वयंभू जगद्गुरु बताया गया। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि चारों कुंभ मेला में वह निष्कासित हैं। वर्तमान में संत अपनी परंपरा व आचरण भूल गए हैं अपने रिश्तेदारों में उलझे हैं। भाई भतीजा परंपरा संत की नहीं है। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने संत परंपरा का पालन करते हुए अपने शिष्य आचार्य रामचंद्र दास को उत्तराधिकारी बनाया है। वहीं, पद्मविभूषित जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने कामदगिरि महंत को एक घंटा का शास्त्रार्थ करने का चैलेंज दिया। बोले कि अभी वह 214 पुस्तकें लिख चुके हैं। संत विरक्त होना चाहिए। रक्त का जिससे संबंध न हो, उसे विरक्त कहते हैं। जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने खुद को चित्रकूट के अखाड़ों का अध्यक्ष घोषित करते हुए कहा कि अखाड़ों का दायित्व है कि उनकी रक्षा करें। शंकराचार्य के साथ रामानंदाचार्य जगद्गुरु की जय बोलें। निर्मोही अखाड़ा में बनाए गए ट्रस्ट को लेकर अभी तक महंत रहे ओंकारदास को भी आड़े हाथों लिया। कहा कि जो भी जमीनें बेची गई हैं, उसको वापस दिलाएंगे।
शिवरामदास महंत, दीनदयालदास होंगे कार्यकारी महंत
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि, निर्मोही अनी अखाड़ा श्रीमहंत राजेंद्र दास, निर्वाणी अनी अखाड़ा श्रीमहंत धर्मदास, दिगंबर अनी अखाड़ा के श्रीमहंत कृष्णदास ने कंठी चादर कर शिवरामदास को निर्मोही अखाड़ा का महंत और दीनदयाल दास को कार्यकारी महंत घोषित किया। अध्यक्ष ने कहा कि ओंकार दास ने अखाड़ा में ट्रस्ट बनाकर विवाद पैदा किया है। तमाम जमीनें बेची हैं। इसीलिए उन्हें हटाया जा रहा है।