Mulayam Singh Birthday: 28 साल की उम्र में पहली बार मुलायम को मिला था टिकट, पढ़ें उनका सियासी सफर
Mulayam Singh Yadav Political Career समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव आज 82 साल के हो गए हैं। 1939 में जन्मे मुलायम सिंह यादव तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे और एक बार देश के रक्षामंत्री रहे। यहां पढ़ें उनका राजनीतिक सफर
कानपुर, [शाश्वत गुप्ता]। Mulayam Singh Yadav Political Career जिसका जलवा कायम है, उसका नाम मुलायम है... यह नारा अक्सर समाजवादी पार्टी की चुनावी रैलियों में या फिर चुनाव के समय में गलियों से निकलने वाले जुलूस में आपने सुना होगा। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav)... वह नाम है जिसे भारतीय राजनीति के इतिहास से कभी विस्मृत नहीं किया जा सकता। उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में स्थित सैफई गांव में 22 नवंबर 1939 को जन्मे मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने साधारण परिवार से निकलकर प्रदेश और फिर केंद्र की राजनीति तक का सफर तय किया। जनता के बीच किसान नेता, नेताजी और धरती पुत्र जैसे नामों से प्रसिद्ध मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने तीन बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के रक्षामंत्री के तौर पर काम किया।
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अल्पायु में मिला टिकट : मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) का जैन इंटर कालेज करहल मैनपुरी में प्रवक्ता के पद पर भी कार्यरत रहे। 1967 में 28 वर्ष की अल्पायु में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहली बार जसवंत नगर क्षेत्र से विधानसभा सदस्य चुने गए। मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) वर्ष 1977 में पहली बार राज्य मंत्री बनाए गए। साल 1980 में वे यूपी में लोक दल के अध्यक्ष भी रहे। काफी समय के पश्चात जब लोक दल, जनता दल का घटक बन गया तब 1982 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) उप्र विधानसभा में नेता विपक्ष चयनित हुए।
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इस दिन पहली बार बने मुख्यमंत्री: भारतीय जनता पार्टी के समर्थन से मुलायम सिंह (Mulayam Singh Yadav) पांच दिसंबर 1989 में पहली बार यूपी के मुख्यमंत्री बने। हालांकि उन दिनों श्रीराम जन्मभूमि का मुद्दा चरम पर था, तब भाजपा की रथयात्रा के दौरान मुलायम (Mulayam Singh Yadav) के भाजपा से संबंध खराब हो गए। दरअसल, मुलायम (Mulayam Singh Yadav) ने भाजपा की इस यात्रा को सांप्रदायिक बताया था और यह कहने के बाद उन्होंने अयोध्या जाने से इन्कार कर दिया। 1990 में वीपी सरकार के गिरते ही मुलायम (Mulayam Singh Yadav) ने जनता दल की सदस्यता ले ली और कांग्रेस के समर्थन से वे सीएम बने रहे। वर्ष 1991 में कांग्रेस के मुलायम सरकार से समर्थन वापस लेते ही उनकी सरकार गिर गई।
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इस तरह हुई सपा की स्थापना: कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) ने खुद की पार्टी बनाने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने वर्ष 1992 में समाजवादी पार्टी की नींव रखी। सत्ता पर काबिल होने के लिए वर्ष 1993 में उन्होंने बहुजन समाज पार्टी से गठबंधन कर लिया। मतभेदों के कारण इस गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिल सका था, लेकिन इसके बावजूद भी उन्हें जनता दल और कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था और वे पुन: सीएम बनने में कामयाब रहा। चूंकि इस दौरान उत्तराखंड के निर्माण को लेकर सरगर्मियां तेज थीं तो उन्हें कई बार विवादों का सामना करना पड़ा।
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जब मुलायम बने केंद्रीय रक्षा मंत्री : वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) इटावा के मैनपुरी निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य बने और उन्हें केंद्रीय रक्षामंत्री निर्वाचित किया था। 1998 में मुलायम (Mulayam Singh Yadav) की सरकार गिर गई, परंतु 1999 में उन्होंने संभल निर्वाचन क्षेत्र से जीत दर्ज की और वे पुन: लोकसभा पहुंचे।
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तीसरी बार सीएम बने मुलायम : साल 2002 में बसपा के साथ गठबंधन कर मुलायम (Mulayam Singh Yadav) ने सरकार बनाई। चूंकि भाजपा को यह गठबंधन मंजूर नहीं था तो 2003 में भाजपा इस गठबंधन से अलग हो गई। तब बसपा के बागी और सभी निर्दलीय विधायकों के समर्थन से मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) तीसरी बार मुख्यमंत्री बने।