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कुछ न करेगा एमएसएमई, उद्यमी खुद ढूंढ़ें समाधान

सिर्फ समस्याओं के जिक्र में ही निपट गई एमएसएमई विकास आयुक्त की बैठक, नहीं बताया कोई रोडमैप, उद्यमियों से ही मांगे समस्या समाधान के सुझाव

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Oct 2018 01:43 AM (IST)Updated: Thu, 18 Oct 2018 01:43 AM (IST)
कुछ न करेगा एमएसएमई, उद्यमी खुद ढूंढ़ें समाधान
कुछ न करेगा एमएसएमई, उद्यमी खुद ढूंढ़ें समाधान

जागरण संवाददाता, कानपुर : सरकार उद्योगों को बढ़ावा देने को प्रयासरत है, फिर भी उद्यमी समस्याओं को लेकर परेशान हैं। बुधवार को शहर आए एमएसएमई भारत सरकार के अपर सचिव एवं विकास आयुक्त राम मोहन मिश्रा की बैठक में उद्यमियों का दर्द उभरा। मगर, अधिकारियों के पास समाधान का कोई रोडमैप ही नहीं था। हर समस्या के जिक्र पर महकमा उद्यमियों से ही समस्या व उसके समाधान का तरीका लिखकर भेजने के लिए कहता रहा।

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फजलगंज स्थित संस्थान के सभागार में एमएसएमई विकास आयुक्त ने औद्योगिक संगठनों के पदाधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने बारी-बारी से उद्यमियों से अलग-अलग सेक्टर से संबंधित समस्या पूछीं। किसी ने ज्ञापन आदि देने का प्रयास किया तो लेने से इन्कार कर दिया। बोले कि यह तो फाइल में रखा रह जाएगा। बैठक में एमएसएमई के स्थानीय के साथ ही केंद्र के अधिकारी भी थे, लेकिन किसी समस्या के समाधान की बात किसी ने नहीं की। गेंद फिर उद्यमियों के पाले में डाल दी गई। विकास आयुक्त ने सभी से यही कहा कि उद्योग आपका है। समस्या आप जानते हैं और समाधान भी आप ही बता सकते हैं। विभाग तो सिर्फ सहयोग के लिए है। आप स्टडी कीजिये, समाधान खोजिये और हमें भेजिए, तब हम उस पर काम करेंगे।

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उद्यमी ही चलाएं इंडस्ट्री क्लीनिक और ईडीसी

विकास आयुक्त ने सलाह दी कि बंद हो रहे उद्योगों को बचाने के लिए अनुभवी उद्यमी इंडस्ट्री क्लीनिक शुरू कर सलाह दें। इसके अलावा एमएसएमई विकास संस्थान में स्थापित इंटरप्राइजेज डेवलपमेंट सेंटर (ईडीसी) में भी उद्यमी ही समय और प्रशिक्षण दें।

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उद्यमियों की दो टूक

- सरकार के कई कानून तो आपस में ही टकराते हैं।

- वैट की तरह ई-वे बिल पर भी राज्यों ने अलग-अलग सीमा तय कर दी है। इससे जीएसटी का उद्देश्य ही खत्म हो जाएगा।

- प्रिक्योरमेंट पॉलिसी में एमएसएमई से न्यूनतम 20 फीसद खरीद का नियम है, लेकिन उप्र सरकार इसे नहीं मान रही। वह कहती है कि यह सुझाव है, अनिवार्यता नहीं।

- हम तो गंगा किनारे बसे होने का दंश झेल रहे हैं। प्रदूषण को लेकर बड़े उद्योगों के समान ही माइक्रो के लिए नियम बना दिए हैं।

- सरकार ने कुंभ की चिंता में तीन महीने के लिए सभी उद्योग बंद करने के आदेश कर दिए। हमें प्रॉफिट न मिले, आप खर्च ही दिला दीजिए।

- गंगा में उद्योगों से तो मात्र 12 फीसद डिस्चार्ज ही जा रहा है। क्या सीवेज से गंगा में जा रहे 88 फीसद डिस्चार्ज को भी बंद करेगी सरकार।

- हत्या कर दें तो एक इंस्पेक्टर ही पीछे पड़ेगा, लेकिन उद्योग चला रहे हैं तो 37 इंस्पेक्टर डंडा दिखाते हैं।

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यह रहे उपस्थित

निदेशक एमएसएमई विकास संस्थान यूसी शुक्ला, अपर आयुक्त उद्योग चित्रलेखा सिंह, आइआइए के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य, नवीन खन्ना, ममता शुक्ला, आलोक अग्रवाल, लघु उद्योग भारती के लाडली प्रसाद, पीआइए के मनोज बंका, फीटा के उमंग अग्रवाल, भारती महिला उद्यमी परिषद की शशि ठाकुर, वंदना मिश्रा, उद्यमी बलराम नरूला, आरके अग्रवाल, जगदीश अरोड़ा आदि।


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