'सहारे की लाठी' ही दे रही बुजुर्गो को 'जख्म'
कानपुर शहर में 30 फीसद से ज्यादा वृद्धों के साथ उनके बच्चे ही बदसलूकी कर रहे हैं।
अम्बर बाजपेई, कानपुर : औलाद के लिए माता-पिता क्या कुछ नहीं करते। ममता-प्यार से परवरिश, पढ़ाने-लिखाने और आसमान की बुलंदियों पर पहुंचाने के लिए जी-जान लगा देते हैं। यही औलाद आगे चलकर सहारे की लाठी बनने की बजाय बुजुर्गो पर सितम ढा रही है। कानपुर शहर में ऐसे 30 फीसद से ज्यादा बुजुर्ग हैं जो अपने ही बच्चों से प्रताड़ित हो रहे हैं। प्रताड़ित करने वालों में 47 फीसद बुजुर्गो के बेटे और शेष बहुएं हैं।
यह चौंकाने वाला खुलासा गैर सरकारी संगठन हेल्पेज इंडिया की ओर से जारी सर्वे रिपोर्ट में हुआ है। देश में बुजुर्गो के साथ हो रहे दुर्व्यवहार पर हुए सर्वे में विभिन्न प्रदेशों के 23 प्रमुख शहर शामिल थे। उत्तर प्रदेश से इनमें सिर्फ कानपुर को शामिल किया गया था। रिपोर्ट में कानपुर से आगे मंगलौर, अहमदाबाद, भोपाल, अमृतसर और दिल्ली जैसे शहर हैं। जयपुर, फरीदाबाद, चेन्नई और बेंगलुरु का नंबर कानपुर के बाद है।
सबसे बड़ा कारण मा-बाप को बोझ समझना
सर्वे के मुताबिक प्रताड़ना का सबसे बड़ा कारण बच्चों द्वारा माता-पिता को बोझ समझना है। बच्चे बुजुर्ग मा-बाप की बढ़ती उम्र के चलते उनका रहन-सहन, उनकी बीमारी के चलते दवाइयों का खर्च, सेवा के चलते बोझ समझ रहे हैं। इसीलिए उनसे अलग होना चाहते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी विवाद के मामले भी अधिक हैं। सर्वे में शामिल कानपुर की 65 वर्षीय सविता (बदला नाम) का कहना है कि बेटा बोझ समझता है। वह कहता है कि घर में नौकरों की तरह काम करो। इसी तरह 62 वर्षीय विनीता (बदला नाम) बताती हैं कि उनकी बहू उन्हें तब पीटती है जब घर पर कोई नहीं होता।
बदनामी के डर से नहीं करते शिकायत
रिपोर्ट के मुताबिक प्रताड़ना के शिकार बुजुर्ग इसकी शिकायत भी नहीं करते। शहर के 67 फीसद वृद्ध ऐसे हैं जो परिवार की बदनामी के डर से सब कुछ सहते हैं। वह इसे पारिवारिक मामला मानते हैं और प्रताड़ित होते रहते हैं। 25 फीसद वृद्धों को यह जानकारी ही नहीं है कि उन्हें कानूनी मदद कैसे मिल सकती है। महज 9 फीसद वृद्ध ही पुलिस या अन्य कानूनी सहायता ले पाते हैं।
प्रताड़ना के प्रमुख कारण
25 फीसद बच्चे बुजुर्गो से अलग रहना चाहते हैं।
23 फीसद बुजुर्गो को परिवार पर बोझ समझा जा रहा है
22 फीसद वृद्ध प्रॉपर्टी के कारण बच्चों से प्रताड़ित हो रहे हैं
22 फीसद वृद्धों को रहन-सहन के कारण सुननी पड़ती है