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लिच्छवी एक्सप्रेस से कुचलकर बीस बंदरों की दर्दनाक मौत, रेल पटरी पर बैठा था झुंड

फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर पटरी पर बैठे बंदरों को झुंड के ऊपर से लिच्छवी एक्सप्रेस गुजर गई। बंदरों के चीथड़े और खून की छींटे प्लेटफार्म तक पहुंच गईं।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 20 Oct 2018 07:26 PM (IST)Updated: Sat, 20 Oct 2018 07:50 PM (IST)
लिच्छवी एक्सप्रेस से कुचलकर बीस बंदरों की दर्दनाक मौत, रेल पटरी पर बैठा था झुंड
लिच्छवी एक्सप्रेस से कुचलकर बीस बंदरों की दर्दनाक मौत, रेल पटरी पर बैठा था झुंड

कानपुर (जेएनएन)। दशहरा की रात अमृतसर में रावण दहन देख रहे लोगों को ट्रेन ने रौंद दिया, इसी समय ऐसा ही एक हादसा दिल्ली-हावड़ा रेल रूट पर फतेहपुर में भी हुआ। बस अच्छा यह रहा कि यहां किसी इंसान की मौत नहीं हुई। यहां पर हादसे का शिकार हुए लंका पर विजय पाने के लिए श्रीराम की मदद करने वाली सेना के वंशज बंदर। रेल पटरी पर मौजूद बंदरों के झुंड को लिच्छवी एक्सप्रेस रौंदते हुए गुजर गई, इसमें बीस बंदरों की कुचलकर मौत हो गई। हालांकि जीआरपी और स्टेशन अधीक्षक ने पंद्रह बंदरों के मरने की बात कही है।

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फतेहपुर रेलवे स्टेशन पर हुई घटना

फतेहपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या-3 पर मौजूद प्रत्यक्षदर्शी यात्रियों ने बताया कि शुक्रवार की रात रेल पटरी पर कहीं से बंदरों का झुंड आया गया। सभी बंदर रेल पटरी के ऊपर बैठ गए, ट्रेन आने की आशंका पर कुछ यात्रियों ने भगाने का प्रयास किया। लेकिन बंदरों द्वारा हमला करने भपकी देख यात्री भी भयवश पीछे हट गए। रात करीब दस बजे तेज रफ्तार लिच्छवी एक्सप्रेस पटरी पर मौजूद बंदरों के झुंड को रौंदते हुए गुजर गई। यात्रियों ने बताया कि हादसे में करीब बीस बंदरों की मौत हो गई, वहीं कई बंदर घायल भी हो गए। बंदरों के चीथड़े उडऩे से खून की छींटे स्टेशन पर प्लेटफार्म तक पहुंच गईं।

हादसे के बाद रेलवे स्टेशन पर लगा बंदरों का हुजूम

देर रात हादसे के बाद बंदरों के शव इधर उधर ट्रैक पर पड़े थे। यात्रियों की भीड़ हटते ही सैकड़ों बंदरों का हुजूम लग गया। पूरी रात बंदर स्टेशन परिसर के हर कोने में बैठे रहे। प्लेटफार्म पर मौजूद यात्री और जीआरपी भी बंदरों को खदेडऩे की हिम्मत नहीं जुटा सके। यात्रियों ने बताया कि ट्रेन के लोको पायलट यदि हॉर्न बजाता तो शायद बंदरों की जान बच सकती थी। दशहरा पर्व पर हुए हादसे को देख प्रत्यक्षदर्शी भी गमगीन रहे। स्थानीय लोगों में चर्चा रही कि दशहरा के दिन जिस वानर सेना की मदद से भगवान श्रीराम ने लंका पर विजय प्राप्त की थी, उसी दिन बीस बंदरों की ट्रेन से कुचलकर मौत हो गई।

कुछ मृत बंदर खाली मालगाड़ी में फेंकने का आरोप

शनिवार सुबह बंदरों का झुंड रेलवे स्टेशन से चला गया, इसके बाद कर्मचारियों ने रेल पटरी से मृत बंदरों को हटाकर सफाई की। प्रत्यक्षदर्शी यात्रियों ने आरोप लगाया कि रेलवे कर्मियों ने कुछ मृत बंदर स्टेशन से गुजरी मालगाड़ी की खुली बोगी में फेंक दिये। हालांकि इस बात से इन्कार करते हुए जीआरपी एसओ अरङ्क्षवद सरोज ने कहा कि रेल पटरी से सभी बंदरों के शवों को हटवाकर दफन करा दिया गया है। मालगाड़ी की बोगी में फेंकने जैसी बात सरासर गलत है। वहीं फतेहपुर रेलवे स्टेशन अधीक्षक राजीव लोचन शुक्ला ने बताया कि ट्रेन की चपेट में आने से लगभग 15 बंदरों की मौत हुई है।


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