कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अनियमितताओं से एमएलसी नाराज, मंत्री तक पहुंचाई बात
निदेशक प्रशासन एवं मॉनीटरिंग के पद पर दस साल से वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी की तैनाती नहीं शिक्षक को नियुक्त करके करोड़ो रुपये की क्षति पहुंचाई जा रही है।
कानपुर, जेएनएन। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में अनियमितताओं काे लेकर एमएलसी अरुण पाठक ने नाराजगी जताई है। उन्होंने आरोप लगाते हुए मंत्री तक शिकायत भेजकर उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। वहीं सीएसए द्वारा आयोजित वेबिनार में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने संरक्षित खेती पर जोर दिया है।
शिकायती पत्र में लगाए ये आरोप
कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही को शिकायती पत्र में एमएलसी का आरोप है कि कृषि विश्वविद्यालय में शिक्षकों का प्रमोशन नहीं हुआ, जबकि कोरोना काल के दौरान नियम विरुद्ध स्थानांतरण कर दिया गया। बोर्ड के निर्देश के बावजूद विश्वविद्यालय में किसी तरह की कोई नियमावली नहीं बनाई गई है। इसके न बनने से सीएसए में वित्तीय एवं अन्य अनियमितताएं हो रही हैं।
एमएलसी के मुताबिक निदेशक प्रशासन एवं मॉनीटरिंग के पद को वरिष्ठ पीसीएस अधिकारी द्वारा भरा जाता है। पिछले दस वर्षों से उस पद पर पीसीएस अधिकारी की जगह शिक्षक को नियुक्त करके शासकीय नियमों के विपरीत करोड़ो रुपये की क्षति पहुंचाई जा रही है। उन्होंने इस पद पर एसडीएम रैंक के अधिकारी की नियुक्ति की मांग की।
कृषि मंत्री बोले-संरक्षित खेती पर सीएसए दे जोर
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (सीएसए) की ओर से सब्जी फसलों की संरक्षित खेती विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा है कि देश में लगातार बढ़ रही आबादी से किसानों की आवश्यक जोत में निरंतर कमी होती जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों का लगातार क्षरण हो रहा है। जलवायु की अनिश्चितता कृषि उत्पादन में कई तरह की समस्याएं पैदा कर रही है। ऐसे में संरक्षित खेती की आवश्यकता बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सात लाख 68 हजार वर्ग मीटर क्षेत्रफल में संरक्षित खेती की जा रही है। इससे वर्ष भर प्रतिकूल मौसम में भी सब्जी का उत्पादन किया जा सकता है।
कुलपति डॉ. डीआर सिंह ने कहा कि देश के कुल सब्जी उत्पादन में प्रदेश की भागीदारी 15.4 फीसद है। विवि ने सब्जी की 55 से अधिक प्रजातियां विकसित की हैं। डीआरडीओ के पूर्व निदेशक पद्मश्री डॉ. ब्रह्म सिंह ने देश में संरक्षित कृषि की संभावनाओं पर व्याख्यान दिया। आइसीएआर के परियोजना समन्वयक डॉ. बलराज ने संरक्षित मॉडल से सब्जी फसलों की बीज उत्पादन की जानकारी दी।