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चंद्रयान-2 के लैंडर को नाम देने के बाद अब इसरो संस्थापक की याद में खास सिक्का Kanpur News

भारत को अंतरिक्ष में राह दिखाने वाले विक्रम साराभाई को 100वीं जयंती पर स्मारक सिक्के से श्रद्धांजलि दी जाएगी।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 07 Aug 2019 10:21 AM (IST)Updated: Wed, 07 Aug 2019 04:56 PM (IST)
चंद्रयान-2 के लैंडर को नाम देने के बाद अब इसरो संस्थापक की याद में खास सिक्का Kanpur News
चंद्रयान-2 के लैंडर को नाम देने के बाद अब इसरो संस्थापक की याद में खास सिक्का Kanpur News
कानपुर, [बृजेश दुबे]। चंद्रयान-दो अभियान में स्वदेशी तकनीक का इस्तेमाल कर भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में अपनी धाक जमाई है। इसमें आधुनिक वैज्ञानिकों का जितना योगदान है, उससे कम पूर्व के वैज्ञानिकों का नहीं है। भारत को अंतरिक्ष की राह डॉ. विक्रम अंबालाल साराभाई ने दिखाई। देश के प्रति उनके इस योगदान को भारत सरकार खास स्मारक सिक्के से श्रद्धांजलि देगी। उनकी 100वीं जयंती पर सरकार मुंबई में समारोह आयोजित कर खास सिक्का जारी करने जा रही है। 100 रुपये मूल्य वर्ग के 35 ग्राम के इस सिक्के में 50 फीसद चांदी, जबकि शेष 50 फीसद में कॉपर, निकल और जस्ता होगा। यह सिक्का प्रचलन में नहीं होगा और प्रीमियम कीमत पर मिलेगा। सिक्का कोलकाता टकसाल में तैयार किया जा रहा है।
स्मारक सिक्कों के संग्रहकर्ता और सलाहकार बीकानेर के सुधीर लूणावत बताते हैं कि प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा के डॉ. विक्रम साराभाई देश के दूसरे ऐसे वैज्ञानिक होंगे, जिनके पर भारत सरकार स्मारक सिक्का जारी करने जा रही है। डॉ. साराभाई ने रुस के अंतरिक्ष यान स्पूतनिक के प्रक्षेपण के बाद भारत सरकार पर अंतरिक्ष कार्यक्रम शुरू करने का जोर देकर इसरो की स्थापना कराई थी।
इसरो के साथ आइआइएम के भी संस्थापक
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) अपने संस्थापक विक्रम साराभाई की 100वीं जयंती मनाने जा रहा है। उनका जन्म 12 अगस्त 1919 को अहमदाबाद में हुआ था। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से ब्रह्मïांडीय किरण (कॉस्मिक रे) में शोध पूरा करने के बाद वह भारत आ गए थे। भौतिकी में शोध, दवा निर्माण, वस्त्रोद्योग आदि के तकनीकी संस्थान देने के अलावा उन्होंने उत्कृष्ट प्रबंधक देने वाले देश के पहले प्रबंधन संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (आइआइएम) अहमदाबाद की स्थापना में प्रमुख भूमिका निभाई।
उन्होंने अपने मित्र, गुजरात सरकार और हावर्ड स्कूल ऑफ बिजनेस को एक मंच पर लाकर इस संस्थान को 1961 में शुरू कराया था। डॉ. साराभाई प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक डॉ. होमी जहांगीर भाभा के बाद परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष भी बने। देश में सेटेलाइट टेलीविजन प्रसारण और परमाणु विज्ञान में उनका प्रमुख योगदान रहा। वैज्ञानिक प्रतिभाओं की खोज के लिए संस्थान बनाया।
साराभाई के नाम पर मून क्रेटर
डॉ. विक्रम साराभाई की याद में अंतरराष्ट्रीय खगोल संघ ने वर्ष 1974 में अंतरिक्ष में 'सी ऑफ सेरनिटी' पर स्थित बेसल नाम के मून क्रेटर को साराभाई क्रेटर नाम दिया था। इसरो ने भी चंद्रयान-दो के लैंडर का नाम विक्रम रखकर उन्हें याद किया है।

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