आइआइटी विवाद : घर की बात थी तो फिर बाहर क्यों गई
डॉ. सडरेला प्रकरण में एससीएसटी आयोग सदस्य ने निदेशक से दागे सवाल। निदेशक ने कहा, संवादहीनता से बढ़ा मामला पर मिल-जुलकर हल कर लेंगे।
कानपुर, जेएनएन। आइआइटी में मचे घमासान को लेकर एससीएसटी आयोग की सदस्य डॉ. स्वराज विद्वान ने निदेशक प्रो.अभय करंदीकर से सवाल दागे। डॉ. सडरेला प्रकरण में उन्होंने पूछा तो निदेशक ने घर की बात बता मिलजुलकर हल कर लेने की बात कही, इस पर आयोग सदस्य ने पूछा कि घर की बात बाहर कैसे चली गई। इस प्रकरण का जल्द से जल्द निस्तारण कराएं।
आइआइटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुब्रमण्यम सडरेला के चार प्रोफेसरों पर एससीएसटी व आइटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद आइआइटी में तूफान खड़ा हो गया था। आयोग सदस्य डॉ. विद्वान ने निदेशक से इस मुद्दे पर वार्ता की। निदेशक ने कहा कि मामले की जांच चल रही है। किसी के साथ अन्याय नहीं होने देंगे। यह घर की बात है, मिलजुलकर हल करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर डॉ.विद्वान ने पूछा कि घर की बात थी तो बाहर क्यों गई? उनके इस प्रश्न पर प्रो. करंदीकर ने कहा कि संवादहीनता के कारण ऐसा हुआ है लेकिन अब यह नहीं होगा।डॉ. विद्वान ने प्रेसवार्ता में कहा, निदेशक ने भरोसा दिलाया है कि कि आइआइटी में शांति व पढ़ाई का माहौल बनाए रखने के लिए वह सभी पक्षों को सुनने व समझाने का प्रयास कर रहे हैं।
डीएम, एसएसपी से ली रिपोर्ट
डॉ. विद्वान ने इस मसले पर डीएम विजय विश्वास पंत व एसएसपी अनंत देव से भी रिपोर्ट ली। रिपोर्ट में उन्होंने बताया कि डॉ. सडरेला की शिकायत पर मामला दर्ज किया गया। उसके बाद दूसरे पक्ष को इलाहाबाद हाईकोर्ट से स्टे मिल गया। डॉ. विद्वान ने बताया कि मामला न्यायालय है इसलिए अब उन्हें भी अगली कार्रवाई का इंतजार है।
एससी नागरिकों से हुई वारदातों की रिपोर्ट मांगी
डॉ. विद्वान ने एसएसपी से अनुसूचित जाति के नागरिकों के साथ हुई वारदातों की रिपोर्ट मांगी। बीते वर्ष उनसे जुड़े 303 मामले सामने आए। इनमें 13 हत्याएं, 42 दुष्कर्म व उनके साथ मारपीट के 248 मामले शामिल हैं लेकिन एक बात सकारात्मक रही कि इन मामलों में जिला प्रशासन व पुलिस ने उन्हें मुआवजा दिलाया।
वाल्मीकि आश्रम की उपेक्षा पर पुरातत्व अफसरों को करेंगी तलब
शहर की धरोहर में शामिल वाल्मीकि आश्रम को उपेक्षित देख डॉ.विद्वान नाराज हुईं। उन्होंने बताया कि जहां सीता माता रहीं, जहां लव-कुश का जन्म हुआ, वह स्थान इतना बदहाल है। उसका मुख्य द्वार टूटा पड़ा है। वहां पर लकड़ी की बाड़ लटका दी गई है जिससे नागरिकों को घूमकर अंदर जाना पड़ता है। इस पर उन्होंने डीएम से बात की। इसके साथ ही देश की इस धरोहर को बचाने के लिए पुरातत्व विभाग अधिकारियों को दिल्ली तलब करने की बात कही।
फेडरेशन संग की बैठक
उन्होंने फेडरेशन ऑफ ऑल आइआइटीज एससी-एसटी एम्प्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन फेडरेशन के साथ बैठक भी की। बैठक में फेडरेशन के चेयरमैन जीएम बाल गरुड़, महासचिव दीपक बिरारे, आइआइटी कानपुर अंबेडकर विचार समिति के अध्यक्ष अश्विनी कुमार, महासचिव मंगेश सुखदेव समेत अन्य अधिकारी व सदस्य मौजूद रहे।