राजकीय मेडिकल कॉलेजों के चिकित्सा शिक्षकों की जीएसवीएम से संबद्धता खत्म
सर्वो'च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों के 400 एमबीबीएस सीटों के प्रवेश पर रोक लगाई।
जागरण संवाददाता, कानपुर : दूसरे राजकीय मेडिकल कॉलेजों में तैनात चिकित्सा शिक्षकों की जीएसवीएम से संबद्धता समाप्त कर दी गई है। उन्हें अपने मूल तैनाती स्थल पर योगदान के लिए कहा गया है। अब इन विभागों में नए विभागाध्यक्षों की तलाश शुरू है।
सर्वोच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कॉलेजों के 400 एमबीबीएस सीटों प्रवेश पर रोक लगा दी थी। इसकी वजह कॉलेजों में फैकल्टी एवं संसाधनों की कमी बताई थी। इसमें राजकीय मेडिकल कॉलेज आजमगढ़, बांदा, जालौन एवं सहारनपुर हैं। इन कॉलेजों में प्रवेश पर संशय उठने लगा था। कोर्ट के निर्णय से सरकार सकते में आ गई थी। आनन-फानन मुख्य सचिव एवं प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए और कमियां पूरा करने के लिए शपथ पत्र दिया था। तब इन कॉलेजों की 400 सीटें बच सकीं और प्रवेश लिए गए। शासन को अब 30 सितंबर तक चारों कॉलेजों में फैकल्टी पूरी करनी है। इन कॉलेजों में तैनात चिकित्सा शिक्षकों की संबद्धता शासन ने समाप्त कर दी। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. नवनीत कुमार ने सभी को रिलीव कर दिया। उनका कहना है कि कुछ शिक्षक डीजीएमई से मिलने गए थे, लेकिन बात बन नहीं सकी। - - - - - - - - - - - - - -
इनकी संबद्धता हुई समाप्त
आजमगढ़ मेडिकल कालेज में तैनात डॉ. एके गुप्ता, डॉ. अजय भारती, डॉ. आरके त्रिपाठी और डॉ. रीना सिंह, जालौन में तैनात डॉ. आरके सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार, डॉ. आशीष त्रिपाठी, बांदा मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉ. अनिल वर्मा, डॉ. संगीता आर्या, डॉ. प्रेम शंकर। - - - - - - - - - - - - - -
नए कोर्स में एक साथ पढ़ाई करेंगे डॉक्टर व इंजीनियर
कानपुर : आइआइटी और किंग्स जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने संयुक्त डिग्री के प्रोग्राम का खाका तैयार कर लिया है। इसे मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एमएचआरडी) और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एआइसीटीई) के पास भेजा गया है। वहां से सहमति मिलने के बाद नए सत्र से कोर्स शुरू हो सकता है।
आइआइटी के कई छात्र केजीएमयू में ट्रेनिंग कर चुके हैं। चिकित्सकीय सुविधाओं व स्वास्थ्य सेवाओं पर काम करने के साथ वह मरीजों और डॉक्टरों को आ रही दिक्कतों का निदान करेंगे। इसके लिए संयुक्त रूप से कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। कोर्स के संबंध में 27 जुलाई को नई दिल्ली से विशेषज्ञों की टीम आइआइटी का दौरा कर चुकी है। प्रो. अमिताभ बंद्धोपाध्याय के मुताबिक कोर्स नए सत्र से आरंभ होगा, जिसे डॉक्टर और इंजीनियर मिलकर पढ़ेंगे।