कानपुर में झोलाछाप डॉक्टरों के आगे नाकाम साबित हो रहा स्वास्थ्य विभाग
उनकी फीस 30 से 50 रुपये होती है, उसमें दवाएं भी शामिल रहती हैं, अगर ग्लूकोज चढ़ा या इंजेक्शन लग गया तो खर्च बढ़ सकता है।
कानपुर (जागरण संवाददाता)। स्वास्थ्य विभाग झोलाछाप पर नकेल कसने में नाकाम साबित हो रहा है। कार्रवाई के नाम पर कुछ दिन पहले महज नोटिसें भेजी गई हैं। अधिकारियों को उनके जवाब का अब तक इंतजार है। वहीं दूसरी ओर फर्जी डॉक्टर मरीजों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहे हैं। कभी गड़बड़ दवाएं, तो कभी इंजेक्शन का गलत डोज लग रहा है।
सस्ते इलाज के चक्कर में फंस रहे मरीज: शहर के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डॉक्टर और उनके क्लीनिक खुलते जा रहे हैं। उनकी फीस 30 से 50 रुपये होती है, उसमें दवाएं भी शामिल रहती हैं। अगर ग्लूकोज चढ़ा या इंजेक्शन लग गया तो खर्च बढ़ सकता है। इनका क्लीनिक अधिकतर छोटी दुकान में रहता है। डिग्री से ज्यादा तो नाम के बोर्ड में बीमारियों की विशेषज्ञता लिखी होती है। कम रुपये लेने के चक्कर में मरीज और उनके तीमारदार फंस जाते हैं।
डिग्री कुछ और इलाज कुछ: एसीएमओ डॉ. आरएन सिंह के मुताबिक कई प्रैक्टिस करने वालों के पास आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक या फिर यूनानी चिकित्सा की डिग्री रहती है। उनके यहां मरीज आने पर वह तुरंत इंजेक्शन और ग्लूकोज तक लगाने से गुरेज नहीं करते। उस स्थिति में कई बार दवा की मात्र अधिक होना खतरनाक हो सकता है। कुछ मामलों में डिग्री सही रहती हैं लेकिन दूसरे राज्य की वजह से उनको सत्यापित करना मुश्किल होता है।
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सख्ती न होने से करा लेते रजिस्ट्रेशन: एसीएमओ डॉ. एके सिंह के अनुसार प्रदेश में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट बिल न होने से बिना एमबीबीएस डिग्री धारक भी नर्सिगहोम खोल सकता है। उनके यहां अधिकतर स्टाफ अप्रशिक्षित रहता है।
क्या कहते हैं अधिकारी: कानपुर सीएमओ डॉ. अशोक कुमार शुक्ला कहते हैं, झोलाछाप प्रैक्टिस करने वालों के खिलाफ जल्द ही अभियान चलाया जाएगा। कई टीमें बनाकर कार्रवाई होगी।
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