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कानपुर : चाय की चुस्कियों से बेरोजगार दिव्यांगों की जिंदगी संवार रहे संन्यासी

स्वामी करुणामूर्ति ने चाय वितरण के लिए शहर में वर्तमान में 48 केंद्र शुरू कर दिए हैं

By Krishan KumarEdited By: Published: Mon, 06 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Mon, 06 Aug 2018 06:01 AM (IST)

सोच 'मानव सेवा ही प्रभु सेवा' की थी। उद्देश्य बेरोजगार दिव्यांगों को सहारा देने का बना तो दान-अनुदान के बजाय उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की रूपरेखा संन्यासी करुणामूर्ति ने बनाई। तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य के निर्देशन में हर्बल चाय का छोटा सा कारखाना शुरू किया, जहां दिव्यांगों को रोजगार दिया गया। लाखों की पूंजी से शुरू हुआ व्यापार सात समंदर पार तक पहुंच चुका है।

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संन्यासी स्वामी करुणामूर्ति ने बिधनू के सेनपारा पश्चिम स्थित एक विद्यालय में 2009 में हर्बल चाय बनाने का कारखाना शुरू किया। प्रशिक्षण दिलाकर 37 दिव्यांगों को चाय उत्पादन के काम में लगाया। 15 लाख रुपये की पूंजी से कारोबार शुरू हुआ। धीरे-धीरे इसका स्वाद लोगों की जुबान पर चढ़ता गया। यही नहीं, चाय की खुशबू विदेशों तक पहुंच गई। कई ग्राहक ऑर्डर पर दूसरे देशों में हर्बल चाय मंगाने लगे।

48 केंद्रों पर 25 दिव्यांगों को नौकरी
स्वामी करुणामूर्ति ने चाय वितरण के लिए शहर में वर्तमान में 48 केंद्र शुरू कर दिए हैं। इन केंद्रों पर कुल 25 दिव्यांगों को नौकरी दी गई है। वह ऑर्डर मिलने पर ग्राहकों के घर तक चाय पहुंचाते हैं।

अब खुलेगी निर्यात की राह
अब तक विदेशों में चाय फुटकर में जाती है। स्वामी करुणामूर्ति ने बताया कि यूके सहित यूरोप के कई देशों से हमारी हर्बल चाय की मांग बढ़ी है। इसे देखते हुए उन देशों में फूड लाइसेंस के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। उसके बाद थोक में कंटेनर से चाय भेजी जाएगी।

अब होगा कारोबार का विस्तार

सात दिव्यांगों को नौकरी के साथ शुरू हुए कारोबार से अब दर्जनों दिव्यांगों को रोजगार से जोड़ दिया गया है। स्वामी ने बताया, जल्द ही यहां हर्बल अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि का निर्माण भी शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा लक्ष्य है कि माले के मानिक की शुभ संख्या को देखते हुए यहां भी 108 दिव्यांगों को नौकरी दी जाए।

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