पुलिस की कमी से जूझ रहा है शहर, कैसी होगी सुरक्षा
आबादी के बढ़ते बोझ तले मौजूदा संसाधन कमतर महसूस होते जा रहे हैं। ऐसा सुरक्षा व्यवस्था में भी है।
जीवन जीने के लिए तमाम सुख-सुविधाओं के साथ ही सुरक्षा भी अहम मुद्दा है। राह चलते अराजकतत्व और अपराधियों से सुरक्षा ही एकमात्र बिंदु नहीं है। सड़क सुरक्षा, हादसों से बचाव-राहत, आपदा प्रबंधन से लेकर महिलाओं की आत्मरक्षा में दक्षता भी इसी में शामिल है। तमाम विषयों पर लगातार हुए मंथन से यही बात उभरकर ऊपर आती है कि किसी भी तरह की सुरक्षा की बात की जाए, सजगता सबसे ज्यादा जरूरी है।
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इस बात में कतई संदेह नहीं है कि आबादी के बढ़ते बोझ तले मौजूदा संसाधन कमतर महसूस होते जा रहे हैं। ऐसा सुरक्षा व्यवस्था में भी है। स्थिति को यहां से समझने का प्रयास करते हैं। शहरी क्षेत्र में कुल 44 थाने हैं और आबादी लगभग 47 लाख है। मतलब, हर थाने पर औसत एक लाख से अधिक आबादी की सुरक्षा का जिम्मा है, जबकि नियम कहता है कि 38-40000 की आबादी पर एक थाना होना चाहिए। यही नहीं, एक तो थाने कम हैं, फिर थानों में स्टाफ भी पूरा नहीं है। कानपुर नगर में आला अधिकारियों से लेकर कनिष्ठ स्टाफ तक के स्वीकृत 5962 पदों के सापेक्ष तैनाती 5298 की ही है।
एलआइयू स्टाफ 94 के सापेक्ष 67 ही है। इसी तरह ट्रैफिक पुलिस में 966 पद स्वीकृत हैं, लेकिन उपलब्धता 876 की ही है। वहीं यातायात आरक्षी के 562 पद हैं, जबकि तैनात 176 ही हैं। हम कह सकते हैं कि सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद करनी है तो सरकार को थानों में स्टाफ पूरा करना होगा। मगर, इस आस के भरोसे बैठकर अपनी सुरक्षा को ताक पर तो नहीं रखा जा सकता। ऐसे में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अखिलेश कुमार सलाह देते हैं कि नागरिक अपनी जिम्मेदारी समझें। अपने आसपास नजर रखें कि कोई व्यक्ति या गतिविधि संदेहास्पद तो नहीं है। ऐसा महसूस करें तो पुलिस को तुरंत सूचित करें।
आपदा प्रबंधक और आत्मरक्षा प्रशिक्षण भी जरूरी
लापरवाही है तो हम घर में भी असुरक्षित हैं। कभी शॉर्ट सर्किट तो कभी किसी वजह से आग के हादसे होते रहते हैं। तब हड़बड़ाहट और मुश्किल खड़ी कर देती है। विशेषज्ञों की सलाह है कि घर में फायर इस्टिंग्विशर सहित अन्य सुरक्षा उपकरण चालू हालत में होने चाहिए। इसके साथ ही इनके संचालन का तरीका भी आना चाहिए। इसके अलावा महिलाओं के लिए बहुत जरूरी है कि वह आत्मरक्षा का प्रशिक्षण जरूर लें, ताकि उनमें आत्मविश्वास जागे और विपदा में अपनी सुरक्षा स्वयं कर सकें।
यह साबित होगा बेहतर इंतजाम
एकीकृत यातायात प्रबंधन प्रणाली (आइटीएमएस) को शहर में लागू किया जा चुका है। यह ऐसी व्यवस्था है, जिससे यातायात पर सीसीटीवी कैमरों से चौकस निगरानी रहेगी। नियमों का उल्लंघन करने वालों के ऑटोमैटिक चालान हो जाएंगे, जो पुलिस महकमे को नियम तोडऩे वाले तक पहुंचा देंगे। इसके अलावा राहजनी कर भागते बदमाशों को पकड़ने में भी काफी मदद संभव होगी। दो चौराहों पर यह व्यवस्था शुरू भी हो गई है।
अग्निशमन : यहां है सुधार की जरूरत
शहर में अग्निशमन की गाडिय़ों को पानी मुहैया कराने के लिए जल निगम की ओर से कई स्थानों पर ग्राउंड और पिलर टाइप हाइड्रेंट की व्यवस्था की गई थी। उनमें से अधिकांश ग्राउंड टाइप के हाइड्रेंट अतिक्रमण और सड़क निर्माण में दबकर खत्म हो गए। पिलर टाइप हाइड्रेंट जो बचे हैं, वह भी बेकार हैं। पुरानी लाइनों में बने हाइड्रेंट में लो प्रेशर होने के चलते पानी ही नहीं आता है। इस व्यवस्था को सुधारने की जरूरत है। हालांकि जल निगम द्वारा बिछाई जा रही नई लाइन में हाइड्रेंट बनाए जा रहे हैं।
जितेंद्र शर्मा
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