पीली ईंटें देखकर महापौर हुईं लाल
महापौर अफसरों को आईना दिखाने के लिए ईंट और मसाले (बालू-सीमेट) का नमूना खुद ही लेकर नगर निगम दफ्तर पहुंचीं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : 14 दिसंबर को आ रहे प्रधानमंत्री को स्वच्छ गंगा दिखाने के लिए सरकारी अमले ने हाथों पर कालिख तक पोत ली है। बरसों से गंगा में सीधे पहुंच रहे मल और प्रदूषित पानी को रोकने के लिए रानीघाट पर जो शौचालय और नाले बनाए जा रहे हैं, उनमें भी न सीमेट है, न ही पक्की ईंटें। चोरी-छिपे चल रहे घटिया काम की सूचना पर पहुंचीं महापौर प्रमिला पांडेय यहां की हकीकत देखकर थर्रा गईं। हाथ से छूटी पीली ईंट टुकड़े-टुकड़े देखकर उनका चेहरा लाल हो उठा। उन्होंने कड़ी फटकार लगाई तो शौचालय बनवा रही महिला जागृति संस्था की महिला सदस्य वहां से दुबक गई और ईंट की आपूर्ति करने वाला ठेकेदार हाथ जोड़कर खड़ा हो गया। महापौर अफसरों को आईना दिखाने के लिए ईंट और मसाले (बालू-सीमेट) का नमूना खुद ही लेकर नगर निगम दफ्तर पहुंचीं। जांच के लिए भेजने को कहा तो एक और पोल खुली। पहले तर्क दिया कि काम का ठेका ही नहीं हुआ तो जांच को कैसे भेजें? डांट लगाने पर नमूने पनकी भेजने को तैयार हो गए। पर, जांच में गोलमाल की आशंका पर महापौर ने सभी नमूने आइआइटी भेजने के निर्देश दिए हैं।
महापौर सोमवार दोपहर रानी घाट पहुंची थीं। ईंटें पीली थीं और मसाले में सीमेंट न के बराबर। काम करा रही महिला जागृति संस्था की सदस्य को डांट लगाने के बाद सुपरवाइजर से मुखातिब हुईं। वह हाथ जोड़कर बोला, गलती से पीली ईट आ गई थीं, इन्हें हटाकर अच्छी ईट लगाएंगे।
सिर्फ पांच फीट गहरा टैंक
यहां बन रहे सेप्टिक टैंक की गहराई बमुश्किल पांच फीट है। ये कुछ रोज में ही भर जाएंगे। इन्हें साफ करने का कोई रास्ता नहीं छोड़ा गया। लोग बोले, बस्ती में पानी भी अक्सर भरता है। अब तो दूषित पानी घर में ही भरेगा।
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काम की मंजूरी नहीं, कैसे होगी जांच?
महापौर ने जब अधिशासी अभियंता पुनीत ओझा से निर्माण सामग्री का नमूना जांच के लिए भेजने को कहा तो वह बोले, अभी काम स्वीकृत नहीं है, जांच कैसे कराएं? नाराज महापौर ने पूछा, बिना स्वीकृति काम कैसे हो रहा है? अफसर क्या देख रहे हैं? माहौल देखकर बैकफुट पर आए अभियंता ने पनकी में जांच कराने का प्रस्ताव रखा, लेकिन महापौर ने आइआइटी से जांच कराने के निर्देश दिए।
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पीएम के आने से सड़क बनेगी इसलिए जोड़ रहे सीवर कनेक्शन
भैरोघाट वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से भैरो मंदिर जाने के रास्ते को खोदकर लोग खुद सीवर लाइन से कनेक्शन जोड़ रहे हैं। अवैध काम देखकर महापौर ने पूछा तो बोले, प्रधानमंत्री आ रहे हैं तो सड़क बनेगी ही, इसलिए कनेक्शन जोड़े ले रहे हैं।
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न बैठक में बुलाते हैं, न सूचना ही देते हैं अफसर
महापौर ने कहा कि प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से जुड़ी तैयारियों को लेकर रोज हो रही बैठकों की उन्हें जानकारी तक नहीं दी जाती। न कभी बुलाया जाता है। यह तब है, जबकि वह महापौर हैं और उनके ही इलाके में काम कराए जा रहे हैं।
--------------- शासनादेश है कि एनजीओ को व्यक्तिगत शौचालय के निर्माण की जिम्मेदारी दी जा सकती है। महापौर ने रानी घाट के शौचालय के निर्माण की सामर्ग्री के नमूने लिए हैं। इसकी जाच आइआइटी से कराएंगे। अभी कोई भुगतान नहीं किया गया है। जहां तक महापौर को बुलाने की बात है तो यह तभी संभव है, जबकि बैठक मैं बुलाऊं। जब मुझे बैठक में बुलाया जाता है तो मैं उन्हें कैसे बुला सकता हूं? जो उन्हें नहीं बुलाते, इसका जवाब बैठक बुलाने वाले ही दे सकते हैं।
अक्षय त्रिपाठी, नगर आयुक्त