प्रसूता ने ई-रिक्शा से तय की 25 किमी दूरी, अस्पताल के गेट पर प्रसव
जागरण संवाददाता कानपुर डफरिन अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची नोडल अधिकारी कल्पना अवस्थी
जागरण संवाददाता, कानपुर : डफरिन अस्पताल का निरीक्षण करने पहुंची नोडल अधिकारी कल्पना अवस्थी बुधवार को स्वास्थ्य सेवाओं का स्याह चेहरा देखने से चंद मिनट चूक गई। हुआ यूं कि प्रसव पीड़ा से तड़पती प्रसूता को सरकारी एंबुलेंस नहीं मिली तो परिजन ई-रिक्शे पर लेकर डफरिन अस्पताल पहुंचे। गड्ढे भरी सड़कों पर झटके खाते हुए किसी तरह प्रसूता ने 25 किमी की दूरी तय की। अस्पताल के गेट पर उसका प्रसव हो गया। नोडल अधिकारी के स्वागत के लिए गेट पर खड़े चिकित्सकों ने अपनी साख बचाने के लिए तत्काल उसे एडमिट कर लिया।
उन्नाव के अचलगंज निवासी नसीमुद्दीन ने बताया कि बुधवार सुबह पत्नी नूरबानो के प्रसव पीड़ा शुरू हुई। एंबुलेंस सेवा के लिए एक घंटे तक प्रयास करते रहे, लेकिन फोन नहीं लगा। एक बार फोन कनेक्ट हुआ, लेकिन ठीक तरह से बात नहीं हो सकी। कई बार कोशिश करने के बाद आखिरकार पत्नी को ई-रिक्शा से लेकर अस्पताल के लिए चले। ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होते हुए किसी तरह डफरिन अस्पताल पहुंचे। गेट पर ही नूरबानो ने बच्ची को जन्म दे दिया। यह वाकया सुबह 10:50 बजे का है। ठीक दस मिनट बाद ही यहां निरीक्षण करने के लिए नोडल अधिकारी वन एवं पर्यावरण विभाग की प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी पहुंचीं। उनके आगमन के लिए गेट पर खड़े डॉक्टरों ने सबसे पहले नूरबानो को वार्ड में शिफ्ट किया और प्रमुख सचिव को इसकी भनक तक नहीं लगने दी। बेशक डफरिन अस्पताल प्रशासन ने नोडल अधिकारी के सामने अपनी साख बचा ली, लेकिन ये घटना स्वास्थ्य सेवाओं खासकर एंबुलेंस की उपलब्धता पर सवालिया निशान लगा गई। गनीमत रही कि प्रसव पीड़ा से तड़पती गर्भवती समय से अस्पताल पहुंच गई। अन्यथा यह घटना जच्चा-बच्चा दोनों के लिए खतरनाक हो सकती थी। एंटी रोमियो स्क्वाड की सक्रियता बढ़ाएं
प्रमुख सचिव कल्पना अवस्थी ने बुधवार शाम सर्किट हाउस में समीक्षा बैठक की। इस दौरान उन्होंने कॉलेजों के आसपास एंटी रोमियो स्क्वाड की सक्रियता बढ़ाने और सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए। महिलाओं को एनीमिया से बचाने के लिए आयरन गोलियां बांटने और सहजन के पौधे लगाने को कहा। साथ ही महिलाओं को प्रशिक्षित कर स्वावलंबी बनाने के लिए जागरुकता कार्यक्रम आयोजित करें।