कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी प्रदेश के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहर, रोकथाम की कवायद
प्रदूषित शहरों की वायु गुणवत्ता सुधारने की कवायद तेज हो गई है।
By Edited By: Published: Tue, 28 May 2019 08:44 AM (IST)Updated: Tue, 28 May 2019 10:17 AM (IST)
कानपुर,[शशांक शेखर भारद्वाज]। कानपुर, लखनऊ, आगरा, वाराणसी समेत प्रदेश के 15 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की वायु गुणवत्ता सुधारने की कवायद तेज हो गई है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और शासन के अधिकारियों ने वर्ष 2021 तक प्रभावी करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया है। इसे धीरे-धीरे राज्य के दूषित शहरों में लागू किया जाएगा। इसके लिए 17 विभागों को निर्देशित किया गया है।
उन्हें निश्चित समय में कार्ययोजना बनाने और कार्रवाई के निर्देश जारी हुए हैं। सभी को अपनी रिपोर्ट देनी होगी। उस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) मॉनिट¨रग करेगी। मुख्य पर्यावरण अधिकारी कुलदीप मिश्र के मुताबिक मास्टर प्लान के आधार पर काम करने से शहरों का वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा।
वाहनों से निकले धुएं पर एक्शन प्लान (360 दिन)
- इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो
- जाम की रोकथाम के लिए एक्सप्रेस-वे और बाईपास बनें।
- मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा हो।
- बस, रेलवे स्टेशन के पास साइकिल जोन का निर्माण हो।
- वाहनों में बीएस फोर इंजन का इंस्टॉलेशन कराया जाए।
- ईधन के रूप में बायो इथेनॉल का इस्तेमाल किया जाए।
30 से 180 दिन का एक्शन प्लान
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ अभियान चले, (30 दिन)
- अनियोजित जगहों पर वाहनों की पार्किंग समाप्त हो, (30 दिन)
- ईधन की गुणवत्ता की जांच के लिए योजना बनाएं, (30 दिन)
- सड़कों का चौड़ीकरण और उसका रखरखाव करने का प्लान तैयार हो, (90 दिन)।
- बैटरी चलित वाहनों को बढ़ावा, (120 दिन)
- जनपदों के बाहरी हिस्से में ओवरलोड वाहनों को रोका जाए, (180 दिन)
- ट्रैफिक व्यवस्था सुचारु रूप से बनाई जाए, (180 दिन)
धूल के कणों को रोकने की योजना
- कम से कम 33 फीसद क्षेत्र हरा भरा और वन क्षेत्र का रहे। 360 दिनों में प्लान तैयार किया जाए।
- नहरों और नालों के किनारे सड़कें पक्की हों। किनारों पर पेड़ लगाए जाएं, (360 दिन)
- ग्रीन बफर जोन बनाए जाएं। जहां विभिन्न तरह की पेड़ पौधों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाए। 90 दिनों में प्लान बने।
- गड्ढा मुक्त सड़कें हों, 90 दिनों में प्लान बनाएं।
- प्रमुख चौराहों पर फौव्वारे लगाए जाएं, (90 दिन)
- पार्क विकसित करने के लिए एसोसिएशन, स्कूल और संस्थानों की सहायता ली जाए, (90 दिन)।
- सड़कों के किनारे फुटपाथ का निर्माण, (180 दिन)
- एसटीपी से शोधित पानी से पेड़ पौधों और सड़क किनारे छिड़काव हो, (90 दिन)
- सड़क के कच्चे हिस्से में टाइल्स या पेवर ब्लाक लगाए जाएं, (180 दिन)
कूड़ा और कृषि अवशेष जलने पर योजना
- कूड़ा जलाना रोकने के लिए नियमित जांच की जाए। जलते हुए कूड़े को बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र का प्रयोग हो। 90 दिन में तैयार होगी।
- कृषि अवशेषों का प्रबंधन किया जाए, (90 दिन)।
- कृषि अवशेषों के जलने पर पूर्णत: पाबंदी लगाई जाए। (180 दिन)
- घरों से निकलने वाले कचरे को डंपिंग ग्राउंड से पहले पूरी तरह से प्रबंधन किया जाए। (90 दिन)
- जैविक खाद के लिए पार्क और आवासीय क्षेत्रों में छोटे-छोटे गड्ढे बनाए जाएं, (90 दिन)
- दो साल से अधिक समय से खाली पड़े प्लाट पर पेड़ पौधे लगाना अनिवार्य, (90 दिन)
औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण का प्लान
- धुएं का अनियमित उत्सर्जन रोकने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग, (360 दिन)
- औद्योगिक इकाइयों में इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसिपिटेटर स्थापित किए जाएं, (180 दिन)
- नियमित जांच के लिए मोबाइल वैन लगाई जाएं, (360 दिन) शार्ट टर्म एक्शन प्लान
- ईट भट्ठों की पड़ताल, अनाधिकृत औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई, उनके ईधन की जांच, (60 दिन)
- इकाइयों से निकलने वाले धुएं की जांच थर्ड पार्टी एजेंसी से कराई जाए, (60 दिन)
कानपुर में प्रदूषण का फीसद
औद्योगिक इकाइयों से-26 फीसद
आवासीय क्षेत्र- 7 फीसद वाहन- 20 फीसद
आवासीय निर्माण- 19 फीसद
सड़क की धूल-14 फीसद
कूड़ा जलने से-10 फीसद
कृषि अवशेष का जलना- 4 फीसद
17 विभागों की जिम्मेदारी एनएचएआइ, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए, ट्रैफिक पुलिस, केस्को, सिंचाई विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, यूपीसीडा, यूपीपीसीबी, तेल कंपनियां, वाहन बनाने वाली कंपनियां समेत 17 विभाग और एजेंसियों को जिम्मेदारी मिली है।
उन्हें निश्चित समय में कार्ययोजना बनाने और कार्रवाई के निर्देश जारी हुए हैं। सभी को अपनी रिपोर्ट देनी होगी। उस पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) मॉनिट¨रग करेगी। मुख्य पर्यावरण अधिकारी कुलदीप मिश्र के मुताबिक मास्टर प्लान के आधार पर काम करने से शहरों का वायु प्रदूषण काफी हद तक कम हो जाएगा।
वाहनों से निकले धुएं पर एक्शन प्लान (360 दिन)
- इलेक्ट्रिक बसों का संचालन हो
- जाम की रोकथाम के लिए एक्सप्रेस-वे और बाईपास बनें।
- मल्टीलेवल पार्किंग की सुविधा हो।
- बस, रेलवे स्टेशन के पास साइकिल जोन का निर्माण हो।
- वाहनों में बीएस फोर इंजन का इंस्टॉलेशन कराया जाए।
- ईधन के रूप में बायो इथेनॉल का इस्तेमाल किया जाए।
30 से 180 दिन का एक्शन प्लान
- प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ अभियान चले, (30 दिन)
- अनियोजित जगहों पर वाहनों की पार्किंग समाप्त हो, (30 दिन)
- ईधन की गुणवत्ता की जांच के लिए योजना बनाएं, (30 दिन)
- सड़कों का चौड़ीकरण और उसका रखरखाव करने का प्लान तैयार हो, (90 दिन)।
- बैटरी चलित वाहनों को बढ़ावा, (120 दिन)
- जनपदों के बाहरी हिस्से में ओवरलोड वाहनों को रोका जाए, (180 दिन)
- ट्रैफिक व्यवस्था सुचारु रूप से बनाई जाए, (180 दिन)
धूल के कणों को रोकने की योजना
- कम से कम 33 फीसद क्षेत्र हरा भरा और वन क्षेत्र का रहे। 360 दिनों में प्लान तैयार किया जाए।
- नहरों और नालों के किनारे सड़कें पक्की हों। किनारों पर पेड़ लगाए जाएं, (360 दिन)
- ग्रीन बफर जोन बनाए जाएं। जहां विभिन्न तरह की पेड़ पौधों की प्रजातियों को संरक्षित किया जाए। 90 दिनों में प्लान बने।
- गड्ढा मुक्त सड़कें हों, 90 दिनों में प्लान बनाएं।
- प्रमुख चौराहों पर फौव्वारे लगाए जाएं, (90 दिन)
- पार्क विकसित करने के लिए एसोसिएशन, स्कूल और संस्थानों की सहायता ली जाए, (90 दिन)।
- सड़कों के किनारे फुटपाथ का निर्माण, (180 दिन)
- एसटीपी से शोधित पानी से पेड़ पौधों और सड़क किनारे छिड़काव हो, (90 दिन)
- सड़क के कच्चे हिस्से में टाइल्स या पेवर ब्लाक लगाए जाएं, (180 दिन)
कूड़ा और कृषि अवशेष जलने पर योजना
- कूड़ा जलाना रोकने के लिए नियमित जांच की जाए। जलते हुए कूड़े को बुझाने के लिए अग्निशमन यंत्र का प्रयोग हो। 90 दिन में तैयार होगी।
- कृषि अवशेषों का प्रबंधन किया जाए, (90 दिन)।
- कृषि अवशेषों के जलने पर पूर्णत: पाबंदी लगाई जाए। (180 दिन)
- घरों से निकलने वाले कचरे को डंपिंग ग्राउंड से पहले पूरी तरह से प्रबंधन किया जाए। (90 दिन)
- जैविक खाद के लिए पार्क और आवासीय क्षेत्रों में छोटे-छोटे गड्ढे बनाए जाएं, (90 दिन)
- दो साल से अधिक समय से खाली पड़े प्लाट पर पेड़ पौधे लगाना अनिवार्य, (90 दिन)
औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण नियंत्रण का प्लान
- धुएं का अनियमित उत्सर्जन रोकने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों का प्रयोग, (360 दिन)
- औद्योगिक इकाइयों में इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसिपिटेटर स्थापित किए जाएं, (180 दिन)
- नियमित जांच के लिए मोबाइल वैन लगाई जाएं, (360 दिन) शार्ट टर्म एक्शन प्लान
- ईट भट्ठों की पड़ताल, अनाधिकृत औद्योगिक इकाइयों के खिलाफ कार्रवाई, उनके ईधन की जांच, (60 दिन)
- इकाइयों से निकलने वाले धुएं की जांच थर्ड पार्टी एजेंसी से कराई जाए, (60 दिन)
कानपुर में प्रदूषण का फीसद
औद्योगिक इकाइयों से-26 फीसद
आवासीय क्षेत्र- 7 फीसद वाहन- 20 फीसद
आवासीय निर्माण- 19 फीसद
सड़क की धूल-14 फीसद
कूड़ा जलने से-10 फीसद
कृषि अवशेष का जलना- 4 फीसद
17 विभागों की जिम्मेदारी एनएचएआइ, पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, केडीए, ट्रैफिक पुलिस, केस्को, सिंचाई विभाग, वन विभाग, कृषि विभाग, यूपीसीडा, यूपीपीसीबी, तेल कंपनियां, वाहन बनाने वाली कंपनियां समेत 17 विभाग और एजेंसियों को जिम्मेदारी मिली है।
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