सेंट्रल स्टेशन पर सुविधाएं बढ़ाने के लिए बना था मास्टर प्लान, फाइलों हो गया कैद
धरातल पर नहीं उतर पा रहीं योजनाएं, बजट के इंतजार में अटके काम, परेशानियां झेल रहे यात्री।
By Edited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 01:58 AM (IST)Updated: Fri, 01 Feb 2019 03:39 PM (IST)
कानपुर [जागरण स्पेशल]। देश के पांच सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में एक कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर सुविधाएं बढ़ाने के लिए आठ माह पहले मास्टर प्लान बना था लेकिन फाइलों से बाहर नहीं आया। विकास के कुछ कार्य तो हुए हैं, लेकिन जरूरी कार्य बाकी हैं। चेयरमैन रेलवे बोर्ड ने भी छह माह पहले मास्टर प्लान में शामिल कार्य शुरू कराने की बात कही थी, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
मल्टी लेवल पार्किंग, यात्रियों के लिए रिटायङ्क्षरग रूम, प्लेटफार्मो, टिनशेड और छतों की मरम्मत समेत कई कार्यो की योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं। सेंट्रल स्टेशन को रेलवे बोर्ड ने रिडेवलपमेंट की सूची में स्थान दिया हुआ है। वर्ष 2016-17 में बने मास्टर प्लान को बोर्ड ने नकार दिया था, लेकिन पिछले वर्ष जब दोबारा बनाकर दिया गया तो अगस्त में तत्कालीन चेयरमैन रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी ने उसे सैद्धांतिक सहमति दी। मास्टर प्लान को परीक्षण के लिए इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (आइआरएसडीसी) को सौंप दिया था। पहले चरण में 53.58 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। यह राशि मिले तो स्टेशन की स्थिति कुछ सुधर जाए।
मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग नहीं बनी
एक साथ सभी यात्री सुविधाओं वाली इमारत बनाई जानी है। इसमें जनरल टिकट, प्लेटफार्म टिकट, आरक्षण केंद्र, पूछताछ केंद्र, वेटिंग रूम व रेलवे से संबंधित सभी कार्यालय बनाए जाने हैं। एक शॉपिंग मॉल भी बनना है।
एकल दिशा व्यवस्था
स्टेशन रोड के एक हिस्से पर यातायात नियंत्रित करके एकल प्रविष्टि/एकल निकास का योजना।
हकीकत : सड़क मार्ग को रोकने का प्रस्ताव एनसीआर मुख्यालय में लंबित है।
एमसीओ और आरएमएस बिल्डिंग की शिफ्टिंग
वर्तमान में एमसीओ और आरएमएस कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर ही हैं। इन्हें पुराने जीआरपी क्वार्टर व कूड़ाघर के स्थान पर शिफ्ट किया जाना है। कूड़ाघर आगे शिफ्ट होगा। नए एमएमएस कॉम्प्लेक्स के बगल में नया आरएमएस कॉम्प्लेक्स भी आएगा।
हकीकत : नया कूड़ाघर निर्माणाधीन है। नई बिल्डिंग के लिए पैसा सेना दे रही है, लेकिन अब तक यह तय नहीं है कि निर्माण एजेंसी सेना होगी या रेलवे।
कैब-वे भी नहीं बना
सिटी साइड में केंद्रीय उत्तर कॉलोनी के तोड़े गए क्वार्टर से प्लेटफार्म नंबर 9 तक कैब वे बनाने की योजना है ताकि वीआइपी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री अपनी कार प्लेटफार्म तक ला सकें। यहीं बहुमंजिला इमारत बनाकर यात्रियों के ठहरने व अन्य यात्री सुविधाएं विकसित की जानी है।
मल्टी स्टोरी पार्किंग की आवश्यकता
सिटी साइड वाहनों की पार्किंग के लिए मारामारी होती है। मल्टी स्टोरी पार्किंग की स्थापना की जानी है। अभी जिस जगह दोपहिया वाहनों की पार्किंग होती है, वहीं पर निर्माण की योजना है।
यात्री निवास की जरूरत
सिटी साइड स्थित पुराना तांगा स्टैंड पर यात्री निवास बनाने का प्रस्ताव है। यह तीन से पांच मंजिला होगा। तांगा स्टैंड को तोड़कर समतल किया जा चुका है।
प्लेटफार्म की मरम्मत भी अधर में
प्लेटफार्म की फर्श के नीचे की भूमि कई जगहों पर खोखली हो गई है। चूहों ने होल बना रखा है। इसलिए नए सिरे से फर्श बनेगी। पीने के पानी के लिए और जल बूथ बनाए जाने हैं। अभी जो बने हैं उनकी मरम्मत होनी है। जल बूथों की पाइप लाइन हाइड्रेंट पाइपलाइन को भी बदला जाना है। अभी बारिश होते ही ट्रैक पर पानी भर जाता है इसलिए जल निकासी की व्यवस्था भी दुरुस्त की जानी है। यहां कि यात्रियों को बैठने के लिए बेंच भी उपलब्ध कराई जानी हैं। प्लेटफार्म की फर्श और छत की मरम्मत के लिए दस करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी।
ये कार्य हो रहे
- सिटी साइड से उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ी व सभी प्लेटफार्मो में लिफ्ट की सुविधा के लिए निर्माण विचाराधीन है।
- दो साल के लिए ग्वालियर की कंपनी सेंगर प्राइवेट लिमिटेड को 14 करोड़ में रेलवे स्टेशन की सफाई का ठेका दिया गया है।
- सिटी साइड अंतरराष्ट्रीय मानकों से युक्त शौचालय शुरू हो चुका है।
जिम्मेदार का क्या है कहना
आज बजट आना है। अनुमान है कि बजट में सेंट्रल रेलवे स्टेशन को कुछ मिलेगा। सरकार हर शहर में एक सेटेलाइट रेलवे स्टेशन का विकास करना चाहती है। इसमें भी अगर पैसा मिला तो स्टेशन में यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी।
-डॉ. जितेंद्र कुमार, स्टेशन डायरेक्टर
मल्टी लेवल पार्किंग, यात्रियों के लिए रिटायङ्क्षरग रूम, प्लेटफार्मो, टिनशेड और छतों की मरम्मत समेत कई कार्यो की योजनाएं धरातल पर नहीं उतरीं। सेंट्रल स्टेशन को रेलवे बोर्ड ने रिडेवलपमेंट की सूची में स्थान दिया हुआ है। वर्ष 2016-17 में बने मास्टर प्लान को बोर्ड ने नकार दिया था, लेकिन पिछले वर्ष जब दोबारा बनाकर दिया गया तो अगस्त में तत्कालीन चेयरमैन रेलवे बोर्ड अश्वनी लोहानी ने उसे सैद्धांतिक सहमति दी। मास्टर प्लान को परीक्षण के लिए इंडियन रेलवे स्टेशन डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड (आइआरएसडीसी) को सौंप दिया था। पहले चरण में 53.58 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान है। यह राशि मिले तो स्टेशन की स्थिति कुछ सुधर जाए।
मल्टी यूटिलिटी बिल्डिंग नहीं बनी
एक साथ सभी यात्री सुविधाओं वाली इमारत बनाई जानी है। इसमें जनरल टिकट, प्लेटफार्म टिकट, आरक्षण केंद्र, पूछताछ केंद्र, वेटिंग रूम व रेलवे से संबंधित सभी कार्यालय बनाए जाने हैं। एक शॉपिंग मॉल भी बनना है।
एकल दिशा व्यवस्था
स्टेशन रोड के एक हिस्से पर यातायात नियंत्रित करके एकल प्रविष्टि/एकल निकास का योजना।
हकीकत : सड़क मार्ग को रोकने का प्रस्ताव एनसीआर मुख्यालय में लंबित है।
एमसीओ और आरएमएस बिल्डिंग की शिफ्टिंग
वर्तमान में एमसीओ और आरएमएस कानपुर सेंट्रल स्टेशन पर ही हैं। इन्हें पुराने जीआरपी क्वार्टर व कूड़ाघर के स्थान पर शिफ्ट किया जाना है। कूड़ाघर आगे शिफ्ट होगा। नए एमएमएस कॉम्प्लेक्स के बगल में नया आरएमएस कॉम्प्लेक्स भी आएगा।
हकीकत : नया कूड़ाघर निर्माणाधीन है। नई बिल्डिंग के लिए पैसा सेना दे रही है, लेकिन अब तक यह तय नहीं है कि निर्माण एजेंसी सेना होगी या रेलवे।
कैब-वे भी नहीं बना
सिटी साइड में केंद्रीय उत्तर कॉलोनी के तोड़े गए क्वार्टर से प्लेटफार्म नंबर 9 तक कैब वे बनाने की योजना है ताकि वीआइपी ट्रेनों में सफर करने वाले यात्री अपनी कार प्लेटफार्म तक ला सकें। यहीं बहुमंजिला इमारत बनाकर यात्रियों के ठहरने व अन्य यात्री सुविधाएं विकसित की जानी है।
मल्टी स्टोरी पार्किंग की आवश्यकता
सिटी साइड वाहनों की पार्किंग के लिए मारामारी होती है। मल्टी स्टोरी पार्किंग की स्थापना की जानी है। अभी जिस जगह दोपहिया वाहनों की पार्किंग होती है, वहीं पर निर्माण की योजना है।
यात्री निवास की जरूरत
सिटी साइड स्थित पुराना तांगा स्टैंड पर यात्री निवास बनाने का प्रस्ताव है। यह तीन से पांच मंजिला होगा। तांगा स्टैंड को तोड़कर समतल किया जा चुका है।
प्लेटफार्म की मरम्मत भी अधर में
प्लेटफार्म की फर्श के नीचे की भूमि कई जगहों पर खोखली हो गई है। चूहों ने होल बना रखा है। इसलिए नए सिरे से फर्श बनेगी। पीने के पानी के लिए और जल बूथ बनाए जाने हैं। अभी जो बने हैं उनकी मरम्मत होनी है। जल बूथों की पाइप लाइन हाइड्रेंट पाइपलाइन को भी बदला जाना है। अभी बारिश होते ही ट्रैक पर पानी भर जाता है इसलिए जल निकासी की व्यवस्था भी दुरुस्त की जानी है। यहां कि यात्रियों को बैठने के लिए बेंच भी उपलब्ध कराई जानी हैं। प्लेटफार्म की फर्श और छत की मरम्मत के लिए दस करोड़ रुपये आवंटित हो चुके हैं, लेकिन टेंडर की प्रक्रिया ही शुरू नहीं हो सकी।
ये कार्य हो रहे
- सिटी साइड से उतरने के लिए स्वचालित सीढ़ी व सभी प्लेटफार्मो में लिफ्ट की सुविधा के लिए निर्माण विचाराधीन है।
- दो साल के लिए ग्वालियर की कंपनी सेंगर प्राइवेट लिमिटेड को 14 करोड़ में रेलवे स्टेशन की सफाई का ठेका दिया गया है।
- सिटी साइड अंतरराष्ट्रीय मानकों से युक्त शौचालय शुरू हो चुका है।
जिम्मेदार का क्या है कहना
आज बजट आना है। अनुमान है कि बजट में सेंट्रल रेलवे स्टेशन को कुछ मिलेगा। सरकार हर शहर में एक सेटेलाइट रेलवे स्टेशन का विकास करना चाहती है। इसमें भी अगर पैसा मिला तो स्टेशन में यात्री सुविधाएं बढ़ेंगी।
-डॉ. जितेंद्र कुमार, स्टेशन डायरेक्टर
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