वायरल पत्र पर पुलिस की बात से आहत है शहीद सीओ के स्वजन, एसटीएफ डीआइजी के लिए कही ये बात
पत्र में दिया विवरण रोजनामचा से मेल खा रहा है इससे साफ है कि स्थानीय स्तर पर इस पत्र को लेकर कुछ छुपाया जा रहा है।
कानपुर, जेएनएन। शहीद सीओ देवेंद्र मिश्रा के स्वजन वायरल पत्र को लेकर स्थानीय पुलिस के दावों से आहत है। उनका कहना है कि पुलिस में गंभीरता का अभाव नजर आ रहा है, साथ ही प्रकरण की जांच में शामिल डीआईजी एसटीएफ को भी कठघरे में खड़ा करते हुए नैतिकता के आधार पर जांच टीम से हटाए जाने की मांग की है।
बलिदानी सीओ देवेंद्र मिश्रा के बड़े साढू कमलाकांत ने मंगलवार को मीडिया के सामने आकर कहा कि वायरल पत्र से स्पष्ट हो गया है कि तत्कालीन एसएसपी एवं मौजूदा एसटीएफ डीआईजी अनंत देव ने पत्र पर कोई संज्ञान नहीं लिया था। इससे उनकी सत्य निष्ठा सवालों के घेरे में है और जांच के बाद ही पता चलेगा कि वो दोषी हैं या नहीं। फिलहाल नैतिकता यह कहती है कि उन्हें मोस्टवांटेड विकास दुबे की धरपकड़ करने और जांच टीम से बाहर कर देना चाहिए।
स्थानीय पुलिस द्वारा पत्र के रिकॉर्ड में न होने के सवाल पर उन्होंने कहा की पुलिस रिकॉर्ड में पत्र का न होना चिंता का विषय है, कहीं कुछ गड़बड़ है, जिसकी जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा अगर मान भी लें कि शहीद पुलिस कर्मियों का पत्र अधिकारियों तक नहीं पहुंचा तो अब पत्र सामने आने के बाद पुलिस अफसर क्या कार्रवाई कर रहे हैं। स्थानीय पुलिस कार्रवाई के स्थान पर पत्र को ही फर्जी करार देने में जुटी हुई है, जबकि पत्र में दिया विवरण रोजनामचा से मेल खा रहा है। इससे साफ है कि स्थानीय स्तर पर इस पत्र को लेकर कुछ छुपाया जा रहा है लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर भरोसा है।
शहीद सीओ की अटैची में मिला है पत्र
जिस वायरल खत को लेकर कानपुर से लखनऊ तक सनसनी मची हुई है, वह उनके स्वजनों को मिला था। साढू कमलाकांत ने बताया के अंतिम संस्कार के बाद बेटी वैष्णवी ने पिता का मोबाइल फोन और घर में रखे दस्तावेजों को पलटने का निर्णय लिया। उनके एक मोबाइल फोन में एक ऑडियो क्लिप मिली, जिसमें क्षेत्राधिकारी द्वारा इंस्पेक्टर की शिकायत की जा रही है। घर पर एक अटैची रखी थी, जिसमें विभागीय व व्यक्तिगत दस्तावेज रखते थे। इसमें ही उन्हें आठ पन्नों का दस्तावेज मिला, जिसमें सबसे ऊपर एसएसपी को संबोधित पत्र है, इसके बाद संबंधित मुकदमे की एफआईआर कॉपी लगी है। इसके बाद विवेचक द्वारा विवेचना और सबसे आखिर में विकास दुबे का आपराधिक रिकॉर्ड नत्थी किया गया है।