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Kanpur Bikru Case: पुलिस के लिए एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई बनी अमर की शादी

मुकदमा दर्ज किया तो विवाह समारोह में आए लोगों को ढूंढऩा होगा चुनौती मुकदमा न लिखा गया तो कोर्ट में हो सकती है पुलिस अफसरों से पूछताछ अधिवक्ता बताते हैं कि पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को मुकदमा भी दर्ज कराना चाहिए

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 10:16 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 10:16 PM (IST)
Kanpur Bikru Case: पुलिस के लिए एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई बनी अमर की शादी
मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे आैर विकास दुबे

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी किशोरी साबित हो चुकी है। पुलिस भी अपनी रिपोर्ट में उसे किशोरी और विवाहिता दोनों मान रही है लेकिन अब तक बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम उल्लंघन मुकदमा नहीं दर्ज किया गया है। दरअसल अमर की शादी पुलिस के लिए एक तरफ कुआं दूसरी तरफ खाई वाली स्थिति ले आई है। अधिवक्ता मानते हैं कि मुकदमा लिखा तो समारोह में आए सभी लोग दोषी होंगे और उन्हें ढूंढऩा पुलिस के लिए बड़ी मुसीबत होगा और नहीं किया तो अदालत में पूछताछ और कार्रवाई हो सकती है।

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बीती दो जुलाई को बिकरू गांव में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों ने सीओ देवेंद्र मिश्र समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। बाद में पुलिस ने छह लोगों को मुठभेड़ में मार गिराया था। मुठभेड़ में मारे गए अमर दुबे की पत्नी को भी पुलिस ने बिकरू कांड का आरोपित बनाया था। पुलिस के मुताबिक अमर की शादी घटना से चार दिन पहले हुई थी और दो जुलाई की रात हुए बिकरू कांड में उसकी पत्नी बराबर की दोषी थी। इसके बाद पुलिस ने उसे भी जेल भेज दिया। पिता के बेटी को किशोरी बताने पर किशोर न्याय बोर्ड ने सुनवाई की और दस्तावेजों के परीक्षण के बाद एक सितंबर को उसे किशोरी घोषित कर दिया। अधिवक्ता बताते हैं कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम की धारा-14 के तहत अमर दुबे का विवाह स्वत: शून्य हो जाता है। पुलिस या बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी को मुकदमा भी दर्ज कराना चाहिए।

तो इसलिए कार्रवाई से बच रही पुलिस

वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश सिंह चौहान बताते हैं कि पुलिस बाल विवाह में कार्रवाई करती है तो उसे समारोह में शामिल सभी लोगों की पहचान कर मुकदमा कराना होगा। यह अपराध गैर जमानती है, ऐसे में सभी आरोपितों को जेल भेजना पड़ेगा। उन लोगों की पहचान करना पुलिस के लिए कष्टदायी होगा और न जेल न भेजा तो अदालत से पूछताछ हो सकती है। चूंकि शादी घटना के चार दिन पहले हुई थी, ऐसे में सिर्फ इस आधार पर षडय़ंत्र का दोषी साबित करना पुलिस के लिए मुश्किल भरा होगा।

इनका ये है कहना

  1. वीडियो वायरल होने के बाद समारोह की बात सामने आई थी हालांकि कथित विवाह विवेचना का विषय है। पुलिस मुकदमा दर्ज कराती है तो कोर्ट में विधिक प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी। - शिवाकांत दीक्षित, अमर की पत्नी के वकील
  2. बिकरु कांड की चार्जशीट को लेकर पुलिस का पूरा ध्यान है। बाल विवाह को लेकर उच्चाधिकारियों से मिले निर्देशों के अनुरूप कार्यवाई की जाएगी। - बृजेश कुमार श्रीवास्तव, एसपी ग्रामीण 

चौबेपुर के निलंबित एसओ और  हलका इंचार्ज से जेल में पूछताछ

बिकरू कांड में विकास दुबे के सहयोगी के तौर पर आरोपित बनाए गए चौबेपुर के निलंबित एसओ विनय तिवारी और हलका इंचार्ज केके शर्मा से बुधवार को माती जेल में पूछताछ की गई। एसपी ग्रामीण बृजेश कुमार श्रीवास्तव ने दोनों से सवाल-जवाब किए। विनय और केके शर्मा को भी बिकरू कांड में सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में आरोपित किया गया है। उन पर आरोप हैं कि वह विकास के इशारे पर काम करते थे। यही नहीं उन्होंने ही दबिश की पूर्व सूचना विकास को दी, जिसके बाद उसने रास्ता रोककर पुलिस वालों की हत्या की। वहीं दूसरी ओर बिकरू कांड के बाद करीब दर्जन भर ऑडियो वायरल हुए, जिनमें पूर्व एसओ की भूमिका संदिग्ध मिली। पुलिस को तीन अक्टूबर तक चार्जशीट अदालत में दाखिल करनी है। इससे पहले एसपी ग्रामीण बुधवार को माती जेल पहुंचे और दोनों से पूछताछ की। जेल सूत्रों के मुताबिक पूछताछ के दौरान दोनों आरोपितों की आंखों में आंसू थे। बताया जा रहा है कि उन्होंने थाना क्षेत्र के निवासी होने के चलते विकास से संबंधों को तो स्वीकार किया, लेकिन घटना में सहभागिता से इन्कार किया। 


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