इस पुस्तकालय में श्रम कानून की किताबों का भंडार, यहां ज्ञान बटोरने दूर-दूर से आते हैं शोधार्थी
कानपुर के श्रमायुक्त कार्यालय में बने 73 साल पुराने पुस्तकालय में वर्ष 1948 से अब तक के श्रम कानून योजना और अधिनियमों से जुड़ी किताबों का भंडार है यहां दूर दूर से शोधार्थी ज्ञान पाने के लिए आते हैं। अब इसे डिजिटल करने पर जोर दिया जा रहा है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। श्रमिकों के लिए बनाए गए तमाम कानूनों-योजनाओं की जानकारी की जानकारी चाहिए तो श्रमायुक्त कार्यालय चले आइए। यहां 73 साल पुराने पुस्तकालय में श्रम कानून, महत्वपूर्ण फैसलों और अधिनियमों से जुड़ी किताबों का भंडार है। 20 हजार से अधिक किताबों के संग्रह वाले इस पुस्तकालय में ज्ञान बटोरने के लिए शोधार्थी पहुंचते हैं। प्रदेश में श्रम विभाग के इस एकमात्र पुस्तकालय में 1948 से लेकर अब तक के नए श्रम कानूनों व फैसलों की प्रतियां उपलब्ध हैं। विभाग की ओर से अब इस पुस्तकालय को डिजिटल रूप देने की तैयारी है।
अधिनियमों, जांच रिपोर्ट का संग्रह सहेजना चुनौती
पुस्तकालय अध्यक्ष हिमांशु कुमार बताते हैं कि इस पुस्तकालय में श्रम जांच कमेटी, वेज बोर्ड रिपोर्ट 1970, उप्र औद्योगिक विकास अधिनियम 1949, उप्र फैक्ट्री मैनुअल एक्ट 1948, सुगर वेज बोर्ड, कानपुर टेक्सटाइल्स मिल्स रिपोर्ट 1955-56, सेंट्रल वेज बोर्ड फार जूट इंडस्ट्री रिपोर्ट 1963, रिपोर्ट आफ द सेंट्रल वेज बोर्ड फार द सुगर इंडस्ट्री 1960 जैसी अन्य कई महत्वपूर्ण किताबों का संग्रह है। दर्शनशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र, वाणिज्य सहित अन्य विषयों की किताबें भी उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि अधिनियमों व जांच रिपोर्ट का संग्रह सहेजना जरूरी है।
आइटी सेल पुस्तकालय को डिजिटल रूप देगी
पुस्तकालय में महत्वपूर्ण श्रम कानूनों से संबंधित किताबें उपलब्ध हैं। इन्हें सुरक्षित रूप में सहेजने के लिए प्रतिवर्ष बजट खर्च होता है। शोधार्थी, कानूनविद सहित प्रबुद्धजन श्रम कानून के बारे में जानने के लिए आते हैं। अब बदलते जमाने के साथ इस पुस्तकालय को डिजिटल रूप में लाने के लिए आइटी सेल की टीम तैयारी में जुटी है। -अंजूलता, अपर श्रमायुक्त, कानपुर।