गंगा भी नहीं कम कर पाईं मोदी और ममता के बीच की दूरी, पीएम की बैठक में खत्म हुई आने की संभावना Kanpur News
राष्ट्रीय गंगा परिषद में चार अन्य राज्यों के साथ पश्चिम बंगाल की सीएम को भी किया गया था आमंत्रित अभी तक नहीं मिली है सहमति।
कानपुर, जेएनएन। युगों से भारत भूमि को पवित्र करने वाली पतितपवानी गंगा धर्म, जाति, क्षेत्र और भाषाई भेद से बहुत ऊपर हैं, भारतीय संस्कृति की प्राण हैं, पूरे देश में आस्था की धारा हैं। गोमुख से निकलकर जाने कितनी नदियों की जलधारा को समेटे बंगाल पहुंचती हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि कई धाराओं की मिलन केंद्र के लिए राजनीतिक विचारधाराएं एक होने को तैयार नहीं। कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक में ये साफ नजर आ रहा है। गंगा के बेहद अहम तीर्थ गंगासागर वाले पश्चिम बंगाल राज्य की सरकार का प्रतिनिधित्व कार्यक्रम में नहीं होता दिख रहा है। अभी तक मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सहमति नहीं आई है। हालांकि, पश्चिम बंगाल की सरकार ने आना खारिज भी नहीं किया है लेकिन बैठक दिवस के 24 घंटे पहले तक सहमति न आने से माना जा रहा है कि भाजपा से राजनीतिक टकराव के चलते ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं होंगी।
गंगा की स्वच्छता, निर्मलता, अविरलता पर बनाई जाएगी आगे की कार्ययोजना
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा (एनएमसीजी) की ओर से कानपुर में राष्ट्रीय गंगा परिषद की समीक्षा बैठक हो रही है। राजनीति से दूर, इसका उद्देश्य गंगा की स्वच्छता, निर्मलता, अविरलता पर हुए काम व आगे की कार्ययोजना पर विचार करना है। इसीलिए गंगा के प्रवाह क्षेत्र उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों को आमंत्रित किया गया है। यूपी, उत्तराखंड और बिहार के सीएम की सहमति आ गई है। 16 दिसंबर को चौथे चरण के मतदान के चलते झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवरदास का आना मुश्किल है। उनकी भी सहमति नहीं आई है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को कार्यक्रम में लाने के प्रयास में जुटे अफसर मान चुके हैं कि वह नहीं आएंगी। गुरुवार को सीएम की बैठक में शामिल एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि ममता बनर्जी के आने की संभावना अब नहीं है।