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शाहजहां से कम नहीं है बया पक्षी, मादा को पसंद न आए तो नष्ट कर देता है एक-एक तिनके से बनाया घोसला

मादा को आकर्षित करने के लिए बुनते हैं नारियलनुमा घोसले मजबूत तिनकों से बनाने के बाद मिïट्टी चढ़ाता फिर जुगनू चिपकाकर चमकाता है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 10:23 AM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 10:23 AM (IST)
शाहजहां से कम नहीं है बया पक्षी, मादा को पसंद न आए तो नष्ट कर देता है एक-एक तिनके से बनाया घोसला

इटावा, [जागरण स्पेशल]। इन्हें पक्षियों का विश्वकर्मा कहें या फिर बेहतरीन जुलाहा, दोनों ही शब्द छोटे से पक्षी बया के लिए बिल्कुल फिट बैठते हैं। इन्हें हम शाहजहां भी कहें तो अतिसंयोक्ति नहीं होगी क्योंकि जिस तरह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल बनवाया था, उसी तरह नर बया मादा को रिझाने के लिए अपनी छोटी सी चोंच से इतना खूबसूरत घोसला बुनता है कि मादा उसकी कला पर फिदा हो जाती है। ये घोसले कुछ ऐसे दिखते हैं मानो नारियल उलटे लटके हों। एक तो खुद पक्षी खूबसूरत, उस पर उसका घर लुभावना होने से जो देखता है तो बस देखता ही रह जाता है। इन वातानुकूलित घोसलों में हवा, भोजन-पानी के साथ सुरक्षा का पूरा इंतजाम रहता है। प्रजनन काल होने से इन दिनों चकरनगर के सहसों, हनुमंतपुरा के बीहड़ में विलायती बबूल के पेड़ों पर खूब घोसले दिख रहे हैं।

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घोसले पर मिïट्टी, जुगनू करते रोशनी

नर बया एक दिन में 100 से 500 बार मजबूत तिनके लाकर चोंच से गांठ और बुनाई करके घोसला तैयार करता है। बया तालाब से गीली मिट्टी लाकर घोसले के ऊपरी हिस्से में चिपका देता है और इस मिट्टी पर जुगनू भी चिपकाता है, जिससे घोसले में जुगनू के टिमटिमाने से रोशनी होती है।

शान से मादा को घर दिखाता है नर

घोंसला बनाने के बाद नर बया उसे पीले फूलों से सजाता है फिर मादा को आमंत्रित करता है। मादा घोसले का निरीक्षण करने के बाद जोड़ा बनाने के लिए तैयार होती है। कई बार मादा के घोसला पसंद न करने पर नर बया उसे खुद ही नष्ट कर देता है। मादा तीन से सात अंडे देती है। इन अंडों से 13 से 15 दिन में बच्चे निकलने लगते हैं और 25 से 30 दिन में यह उडऩे लगते हैं। बया एकजुट रहने वाला पक्षी है। इसीलिए एक पेड़ पर दर्जनों घोसले एक साथ दिखते हैं। वह सभी एक साथ ही रहते हैं।

वयस्क होने पर बदल जाता है रंग-रूप

वयस्क होने तक नर और मादा बया में फर्क नहीं होता है,जबकि वयस्क होने पर नर बया के सिर और गर्दन के नीचे का हिस्सा पीला हो जाता है और मादा का सफेद।

वन विभाग करता है संरक्षण

चंबल सेंक्चुअरी के वार्डन दिवाकर श्रीवास्तव बताते हैं कि वन विभाग बया का संरक्षण करता है। यह वन्यजीवों के शेड्यूल चार श्रेणी में आता है। 


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