सहयोग से समाधान: डिजिटल से जुड़कर चखाया मिठाई का स्वाद
लॉकडाउन में मिठाई के शौकीनों का शौक पूरा करने के लिए बनारसी मिष्ठान भंडार ने खुद को डिजिटल से जोड़कर कारोबार को जारी रखा और अनलाॅक होते ही दोबारा अपनी सेवाएं शुरू कीं और वह उसी स्थान पर पहुंच चुके हैं जहां वह पहले थे।।
कानपुर, जेएनएन। मिठाई का स्वाद किसे पसंद नहीं होता। शायद ही कोई एेसा हो जो मिठाई देखने के बाद उसे खाने की इच्छा न करे। बहुत सी मिठाइयां एेसी होती हैं जो सामने नहीं होती लेकिन उनसे उठने वाली खुशबू बता देती है कि मिठाई बन रही है या बन चुकी है। किसी का स्वागत करना हो, किसी से मिलने जाना हो, मिठाई हमारी परंपराओं में जुड़ी हुई है। बड़ी संख्या में लोग रात के भोजन के बाद मिठाई खाना पसंद करते हैं लेकिन लाॅकडाउन के दौरान अचानक यह सब रुक गया।
सबकुछ बंद हुआ तो मिठाई की दुकानें भी बंद हो गईं। कारीगर अपने घरों को जा चुके थे। मिठाई खाने के इच्छुक भी घरों से नहीं निकल पा रहे थे। सभी को अपनी सुरक्षा की चिंता थी। एेसे मौके पर बनारसी मिष्ठान भंडार ने खुद को डिजिटल से जोड़ा, इसके साथ ही सुरक्षा पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया। अनलाॅक होते ही उन्होंने दोबारा अपनी सेवाएं शुरू कीं और आज एक बार फिर वह उसी स्थान पर पहुंच चुके हैं जहां वह पहले थे।
समाधान 1: फोन पर आर्डर फिर होम डिलीवरी
बनारसी मिष्ठान भंडार के संचालक उनके संजीव अग्रवाल, उनके पिता जीवन कुमार अग्रवाल बिरहाना रोड में सात दशक से भी ज्यादा पुरानी दुकान के साथ ही किदवई नगर, काकादेव, अशोक नगर में प्रतिष्ठान चला रहे हैं। प्रतिष्ठान का प्रबंधन देखने वाले सचिन अग्रवाल के मुताबिक लाॅकडाउन काल में सबकुछ बंद हो गया था। सभी शोरूम बंद थे। कारीगर जा चुके थे, इसलिए मिठाई बनना भी मुश्किल था। ग्राहक भी नहीं आ सकते थे। मई के पहले सप्ताह में दोबारा काम शुरू किया।
दोबारा शोरूम खुल रहा है, इसके लिए उससे पहले ही वाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल ग्राहकों को इसकी जानकारी देने के लिए किया। अपनी खूबियों के साथ पूरी जानकारी दी गई। जिन ग्राहकों के फोन नंबर थे, उन्हें सीधे फोन कर पहले से सूचना देना शुरू कर दिया गया। इस सूचना के आगे बढ़ते ही ग्राहकों के भी फोन आने शुरू हो गए। सबसे ज्यादा लोग जानना चाहते थे कि क्या होम डिलीवरी हो पाएगी। हमने इसके लिए भी व्यवस्था की।
समाधान 2: स्टॉफ को सैनिटाइज करने से लेकर कैंप-दस्ताने पहनाए
वह बताते हैं कि एक ओर जहां ग्राहकों से जुड़ाव का प्रयास शुरू किया गया, वहीं प्रतिष्ठान में सबकुछ साफ सुथरा रहे, इसके लिए स्टाॅफ को प्रतिष्ठान मेें आते ही सैनिटाइज किया गया। उन्हें कैप और दस्ताने भी पहनाए गए। दुकान में आने से पहले उनकी थर्मल स्कैनिंग भी की गई। दुकान के बाहर फर्श पर सुरक्षा की दृष्टि से गोले भी बनाए गए ताकि ग्राहक एकदूसरे से निर्धारित दूरी पर रहें।
दरवाजे के हैंडल को लगातार सैनिटाइज किया गया ताकि कोई संक्रमण ना रहे। अनलाॅक होते ही ग्राहक शोरूम पर आने लगे, इसके साथ ही बड़ी संख्या में लोगों के होम डिलीवरी के आॅर्डर आ रहे थे। होम डिलीवरी के लिए अपनी व्यवस्था की गई। घरों पर मिठाई पहुंचाई गई, इसके साथ ही भुगतान लेने के लिए सभी विकल्प रखे गए ताकि ग्राहक को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो। इसके लिए डिलीवरी मैन के साथ स्वैप मशीन भी भेजी गई। पेटीएम व अन्य के जरिए भी भुगतान करने के विकल्प दिए गए।
समाधान 3: होम डिलीवरी को रखा निश्शुल्क
उन्होंने बताया कि होम डिलीवरी को पूरी तरह निश्शुल्क रखा गया ताकि ग्राहकों को मिठाई खरीदने के लिए कोई अतिरिक्त खर्च ना करना पड़े। एक बार जब लोगों को प्रतिष्ठान खुलने और होम डिलीवरी की जानकारी हो गई तो फोन और वाट्सएप पर आॅर्डर की संख्या भी बढ़ती चली गई। डिलीवरी समय से होती रहे, इसके लिए अलग से डिलीवरी ब्वाॅय भी लगाए गए ताकि किसी को भी देर से मिठाई पहुंचने की शिकायत न हो। अब करीब-करीब सबकुछ खुल गया है। लोगों के आॅर्डर पहले की तरह आने लगे हैं।
बहुत से लोग मिठाई खरीदते हैं और बहुत से लोग अपने आॅर्डर देकर अपने लिए स्पेशल मिठाइयां भी तैयार करा रहे हैं। त्योहार का समय भी शुरू हो गया है, इसलिए बिक्री भी और तेज हुई है। लोग दीपावली पर मिठाई के लिए पूछताछ कर रहे हैं क्योंकि दीपावली पर मिठाई की सबसे ज्यादा बिक्री होती है। बाहर से भी लोग आॅर्डर कर मिठाइयां मंगाते हैं। दीपावली को लेकर अभी यह आंकलन हो रहा है कि किस तरह के कितने आॅर्डर आ रहे हैं ताकि उसके हिसाब से समय से खुद को तैयार रखा जाए। दीपावली पर पूरी उम्मीद है कि एक बार फिर मिठाई का जायका लोग बेखटके ले सकेंगे।