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Made In China नहीं अब Make In Kanpur का बज रहा उद्योगों में डंका, 80 फीसद बढ़ी केमिकल की आपूर्ति

चर्म उद्योग के लिए आवश्यक केमिकल की कानपुर से 75 से 80 फीसद तथा शेष जरूरत पूरी करने के लिए तमिलनाडु महाराष्ट्र आंध्रप्रदेश और गुजरात से आपूर्ति की जा रही है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 21 Jul 2020 01:28 PM (IST)Updated: Tue, 21 Jul 2020 01:28 PM (IST)
Made In China नहीं अब Make In Kanpur का बज रहा उद्योगों में डंका, 80 फीसद बढ़ी केमिकल की आपूर्ति

कानपुर, जेएनएन। चर्म उद्योग के लिए जरूरी केमिकल के लिए चीन पर निर्भर रहने वाला कानपुर अब आत्मनिर्भर बन रहा है। यहां स्थापित केमिकल उद्योग ही शहर की 75 से 80 फीसद जरूरत पूरी कर रहे हैं। 100 फीसद इकाइयों में 70 से अधिक प्रकार के केमिकल का उत्पादन हो रहा है। शेष जरूरत पूरी करने के लिए तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात और आंध्रप्रदेश की मदद ली जा रही है। 

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इन उद्योगों में पड़ती जरूरत

रबर, पेंट, प्लास्टिक, वस्त्र व चमड़े के उत्पाद बनाने के लिए केमिकल की आवश्यकता पड़ती है। अभी तक टाइटेनियम ऑक्साइड, बेरियम सल्फेट, जिंक ऑक्साइड एक्टिव, हीट स्टेबलाइजर व मेटेलिक स्टीरिएट सहित अन्य केमिकल चीन से ही आयात किए जा रहे थे। बेसिक क्रोमियम, बेसिक क्रोम, सोडियम सल्फाइड व टेक्सटाइल फिनिशिंग केमिकल के लिए भी कानपुर चीन पर ही निर्भर था।

केमिकल का उत्पादन 80 फीसद बढ़ा

आंकड़ों के लिहाज से देखेंगे तो शहर में बेसिक क्रोमियम और बेसिक क्रोम की चार-चार सौ टन, सोडियम सल्फाइड व टेक्सटाइल फिनिशिंग केमिकल की खपत 70 से सौ टन प्रतिमाह होती है। लॉकडाउन से पहले तक शहर के केमिकल उद्यमी इसकी 40 से 50 फीसद आपूर्ति ही कर पाते थे। चीन के उत्पादों के बहिष्कार का एलान होने के बाद उद्यमियों ने इन केमिकल का उत्पादन बढ़ाकर 75 से 80 फीसद पर पहुंचा दिया है।

कम हुई चीन पर निर्भता

अब इसे शत प्रतिशत करने की तैयारी है। यूपी डाइज एंड केमिकल मर्चेंट्स एसोसिएशन के महासचिव आरके सफ्फड़ के मुताबिक शहर में केमिकल की 40 मैन्यूफैक्चङ्क्षरग इकाइयां हैं। ये सभी 100 फीसद यूरोपियन मानक का पालन कर केमिकल तैयार कर रही हैं। केमिकल उद्यमी प्रेम मनोहर गुप्ता कहते हैं कि केमिकल का उत्पादन बढऩे से चीन पर निर्भरता कम हुई है।

सस्ती दरों पर बनाने का प्रयास

केमिकल उद्यमी एसके पांडेय ने बताया कि केमिकल को सस्ती दरों पर अधिक से अधिक मात्रा में बनाने का प्रयास किया जा रहा है। अफ्रीका, यूरोप और रूस में भी इसका निर्यात हो रहा है। वहीं केमिकल उद्यमी गुलशन धूपर ने बताया दवाई उद्योग में इस्तेमाल होने वाले केमिकल चीन से लेना मजबूरी है। विश्व की अग्रणी कंपनियों को देश में आमंत्रित कर इसका हल निकाला जा सकता है।


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