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शालिनी यादव मामले में मिले पुलिस की मिलीभगत के चौंकाने वाले सुबूत, अदालत को किया गुमराह

इलाहाबाद और दिल्ली हाईकोर्ट में तथ्य छिपाकर एक साथ याचिकाएं दायर की गईं पीडि़त परिवार ने पुलिस पर सवाल उठाए हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Sun, 30 Aug 2020 10:56 AM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 10:56 AM (IST)
शालिनी यादव मामले में मिले पुलिस की मिलीभगत के चौंकाने वाले सुबूत, अदालत को किया गुमराह
शालिनी यादव मामले में मिले पुलिस की मिलीभगत के चौंकाने वाले सुबूत, अदालत को किया गुमराह

कानपुर, जेएनएन। लव जिहाद का शिकार बनी बर्रा की शालिनी यादव उर्फ फिजा फातिमा के मामले में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। दिल्ली हाईकोर्ट की आंखों में धूल झोंककर न केवल सुरक्षा ली गई, बयान दर्ज कराने में सफलता भी हासिल की। पूरा प्रकरण सामने आने के बाद पीडि़त परिवार ने किदवईनगर पुलिस पर आरोपितों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है।

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दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुई थी शालिनी

शालिनी के भाई विकास ने शुक्रवार को बताया था कि किदवईनगर पुलिस ने 24 अगस्त को यह कहकर प्रयागराज जाने को कहा कि उनकी बहन ने वहां हाईकोर्ट में याचिका दायर करके सुरक्षा मांगी है। 25 अगस्त को सुनवाई होनी है। दूसरी ओर 24 अगस्त को ही शालिनी दिल्ली हाईकोर्ट में पेश हुई। अदालत ने पुलिस सुरक्षा में 30 हजारी कोर्ट में शालिनी यादव का बयान कराने को कहा।

पुलिस ने बयान करा दिए। सूत्र बताते हैं, इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट में 13 जुलाई को याचिका दायर की गई, मगर कोविड-19 संकट के चलते सात अगस्त को सुनवाई की लिस्ट में आई और 25 अगस्त को सुनवाई की तारीख मुकर्रर हुई। इस याचिका के बाद शालिनी की ओर से दिल्ली में याचिका डाली गई।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा-कोर्ट की अवमानना का मामला

वरिष्ठ अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा के मुताबिक किसी हाईकोर्ट में याचिका के साथ एक शपथ पत्र देना होता है कि मामले में कोई याचिका देश की दूसरी अदालत में विचाराधीन नहीं है। अगर दिल्ली हाईकोर्ट में बताया गया होता कि यह मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में विचाराधीन है तो वहां सुनवाई नहीं होती। यह अदालत को गुमराह करने के साथ ही अवमानना का मामला भी बनता है। देखने वाली बात यह भी है कि दिल्ली हाईकोर्ट के सामने आरोपितों ने कौन से तथ्य पेश किए, जिसकी वजह से उत्तर प्रदेश के मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार किया। क्या दिल्ली हाईकोर्ट में गलत तथ्य पेश किए गए।

ऐसे फंसी पुलिस

अधिवक्ता कौशल किशोर शर्मा के मुताबिक अगर किदवई नगर पुलिस उस दिन तीस हजारी कोर्ट गई थी तो उसे अदालत के संज्ञान में लाना चाहिए था कि मामला प्रयागराज हाईकोर्ट में विचाराधीन है। पुलिस भी अवमानना के दायरे में आ गई है। अवमानना का आरोप सिद्ध होने पर पुलिस और आरोपित पक्ष को तलब कर सीधे जेल भी भेजा सकता है।

गौरतलब है कि किदवई नगर के थाना प्रभारी धनेश कुमार और विवेचक सूर्यबल बयानों का अवलोकन करने तीस हजारी कोर्ट गए थे। एसपी साउथ दीपक भूकर का कहना है कि मामला अदालत में विचाराधीन है। कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। पुलिस कानून के हिसाब से अपना काम करेगी।


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