स्थानीय फसल खत्म, अब बाहरी पर पेठे का कारोबार
पेठे की स्थानीय फसल खत्म हो गई है। अब कारोबारियों को बैंगलुरू और कोलकाता से आने वाली फसल का इंतजार है। 15 जून के बाद वहां से कच्चा पेठा आने लगेगा। पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा उत्पादन होने से इस वर्ष अब तक पेठे की कीमतें कम रही हैं, लेकिन कारोबारियों के मुताबिक अब ज्यादा दिन पेठा सस्ता नहीं रहेगा। ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ने से इसकी लागत भी बढ़ेगी।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पेठे की स्थानीय फसल खत्म हो गई है। अब कारोबारियों को बैंगलुरू और कोलकाता से आने वाली फसल का इंतजार है। 15 जून के बाद वहां से कच्चा पेठा आने लगेगा। पिछले वर्ष की तुलना में अच्छा उत्पादन होने से इस वर्ष अब तक पेठे की कीमतें कम रही हैं, लेकिन कारोबारियों के मुताबिक अब ज्यादा दिन पेठा सस्ता नहीं रहेगा। ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ने से इसकी लागत भी बढ़ेगी।
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यहां से आता कच्चा पेठा
कानपुर में घाटमपुर, उन्नाव, कन्नौज के गांवों से कच्चा पेठा आता है। यह पेठा फरवरी में वसंत पंचमी के आसपास आना शुरू होता है। जून के पहले पखवाड़े में स्थानीय फसल खत्म हो जाती है। जून के दूसरे पखवाड़े से बंगलुरू और कोलकाता से पेठा आना शुरू होता है।
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रोज 50 टन चीनी की खपत
स्थानीय स्तर पर जो पेठा तैयार होता है। उसमें रोज 50 टन चीनी की खपत होती है। कारोबारियों के मुताबिक करीब एक हजार बोरी चीनी की चाशनी बन जाती है।
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रोज बनता 67.5 टन पेठा
एक क्विंटल चीनी से 135 किलो पेठा बनकर तैयार होता है। कच्चे पेठे का छिलका और अंदर का काफी हिस्सा हटा दिया जाता है। रोज 50 टन चीनी से इस तरह 67.5 टन पेठा तैयार होता है।
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200 किलोमीटर के क्षेत्र में होती खपत
कानपुर में जो पेठा बनता है, उसकी खपत आसपास के करीब 200 किलोमीटर के क्षेत्र में होती है। इसमें कानपुर के अलावा कानपुर देहात, इटावा, औरैया, कन्नौज, फर्रुखाबाद, हमीरपुर, महोबा, फतेहपुर आदि जिले शामिल हैं। शहर में पेठे के करीब 100 थोक कारोबारी नयागंज, एक्सप्रेस रोड, हूलागंज में हैं।
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कच्चे पेठा इस वर्ष 150 से 200 रुपये मन होने की वजह से पेठे की कीमत कम रही। अब दूसरे राज्यों से आने से लागत बढ़ेगी।
- योगेंद्र गुप्ता, पेठे के थोक कारोबारी
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अभी थोक भाव 46 रुपये किलो है। होली के समय से कीमत गिरी हुई है। एक पखवाड़े में यह कीमत बढ़ सकती है।
- रोशन गुप्ता, अध्यक्ष, एक्सप्रेस रोड व्यापार मंडल