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पिता की मौत से रुकी जिंदगी की गाड़ी, डिप्रेशन में आकर बेटी ने भी तोड़ा दम

जब जानकारी हुई तब तक काफी देर हो चुकी थी। उनकी मौत के बाद परिवार का बुराहाल है। उनकी छोटी बेटी डिप्रेशन में चली गई। इसके बाद मां ने बच्चों को संभालने के लिए अपने आंसुओं को आंखों में ही कैद कर लिया।

By Akash DwivediEdited By: Published: Tue, 01 Jun 2021 11:39 AM (IST)Updated: Tue, 01 Jun 2021 11:39 AM (IST)
पिता की मौत से रुकी जिंदगी की गाड़ी, डिप्रेशन में आकर बेटी ने भी तोड़ा दम
फीस माफ हो जाए तो बड़ी मदद होगी

कानपुर, जेएनएन। कोविड ने किसी का सबकुछ छीन लिया तो किसी को जिंदगी से हर वक्त जंग लडऩे को मजबूर कर दिया। नौबस्ता के उस्मानपुर कॉलोनी में रहने वाला एक परिवार इसी जद्दोजहद में जिंदगी जी रहा है। पति के जाने के बाद पत्नी के सामने चुनौती है बच्चों की परवरिश की। रिश्तेदार और कुछ लोगों ने शुरुआत में तो मदद की, लेकिन अब मदद बामुश्किल ही मिल रही है।

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उस्मानपुर में रहने वाले संगम पांडेय का स्कूलों में ड्रेस और स्टेशनरी आपूर्ति करने का निजी व्यवसाय था। परिवार में पत्नी और तीन बच्चों के साथ उनकी जिंदगी बेहतर तरीके से चल रही थी। दिसंबर 2020 में संगम कोविड संक्रमण की चपेट में आए।

जब जानकारी हुई तब तक काफी देर हो चुकी थी। उनकी मौत के बाद परिवार का बुराहाल है। उनकी छोटी बेटी डिप्रेशन में चली गई। इसके बाद मां ने बच्चों को संभालने के लिए अपने आंसुओं को आंखों में ही कैद कर लिया। शालिनी कहती हैं कि पति ने बच्चों के लिए बड़े ख्वाब देखे थे। उनके ख्वाब पूरे करने की जिम्मेदारी मुझ पर है। जिंदगी बड़ी है ऐसे में उनके बिना जीवन की गाड़ी कैसे चलेगी। उनकी बड़ी बेटी 17 साल, छोटी बेटी 11 साल की और बेटा दस साल का है। तीनों अलग-अलग स्कूलों में पढ़ते हैं। शालिनी बताती हैं कि बच्चे अच्छे स्कूलों में पढ़ते हैं। उन्हेंं वहां से नहीं हटाना चाहती। फीस माफ हो जाए तो बड़ी मदद होगी।

फीस जमा करने को आगे आए लोग : कोविड में मां पिता को खोने वाले बच्चों की मदद को लोग आगे आ रहे हैं। शहर के वरिष्ठ अधिवक्ता कमलेश पाठक और उनकी टीम ने जहां ऐसे बच्चों की फीस जमा करने का संकल्प लिया है वहीं कुछ और लोग आर्थिक रूप से मदद को आगे आ रहे हैं। आपको भी ऐसे बच्चों की जानकारी हो अथवा मदद करना चाहते हैं तो दैनिक जागरण को 9936284494 पर सूचना दीजिए।  


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