लेदर क्लस्टर के लिए शुरू हुआ भूमि का समतलीकरण, उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने मांगी रिपोर्ट
मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना के लिए स्पेशल परपज व्हीकल के तहत उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रबंधन ने मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड नामक कंपनी का गठन कराया था। यह कंपनी इस क्लस्टर के विकासकर्ता की भूमिका अदा करेगी।
कानपुर, जेएनएन। रमईपुर के मेगा लेदर क्लस्टर को जुलाई के पहले पखवारे में फाइनल मंजूरी मिल जाएगी। इसके बाद क्लस्टर में मूलभूत सुविधाओं के विकास के लिए धन का आवंटन होगा। मंजूरी तो पहले ही मिल गई होती, लेकिन ग्राम समाज की आरक्षित भूमि से मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड की भूमि की अदला- बदली न होने के कारण ही इसमें देरी हो रही है। अब वाणिज्य मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग ने जल्द से जल्द भूमि की अदला- बदली कर रिपोर्ट देने के लिए कहा है। 15 जून तक जरूरी प्रक्रिया प्रशासन स्तर से पूरी हो जाएगी। इसके बाद शासन से रिपोर्ट विभाग को भेजी जाएगी। उधर कंपनी ने मौके पर भूमि के समतलीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया है।
मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना के लिए स्पेशल परपज व्हीकल के तहत उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रबंधन ने मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड नामक कंपनी का गठन कराया था। यह कंपनी इस क्लस्टर के विकासकर्ता की भूमिका अदा करेगी। कंपनी को इस प्रोजेक्ट के लिए विभाग से 125 करोड़ रुपये की वित्तीय मदद मिलनी है। तीन माह पहले प्रोजेक्ट को विभाग ने सैद्धांतिक सहमति दी थी अब इसे अंतिम मंजूरी दी जानी है।
विभाग के अफसरों की अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल के साथ ही बैठक में तय हुआ है कि जल्द से जल्द भूमि की अदला- बदली कर रिपोर्ट भेजी जाए, ताकि इसे मंजूरी मिल सके। मंजूरी मिलते ही अगस्त में टेंडर मांगने का लक्ष्य है ताकि सड़क, ड्रेनेज, बाउंड्रीवाल समेत अन्य कार्य कराए जा सकें। आधा दर्जन ट्रैक्टर वहां मेड तोड?े और समतलीकरण के लिए लगाए गए हैं। खेतों में बड़े गड्ढे हैं। उन्हेंं भी पाट दिया जाएगा। इसके बाद सड़क, नाला आदि बनाने के लिए वहां लेआउट के अनुसार निशान लगाने का कार्य भी जल्द ही शुरू हो जाएगा।कंपनी के निदेशक अशरफ रिजवान का कहना है कि रमईपुर में भूमि के समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है ताकि विकास कार्य में देरी न हो।
उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ही यहां के भूखंडों का मानचित्र पास करेगा। लेआउट भी प्राधिकरण के नियमों के अनुसार ही रहेगा। प्राधिकरण के नियम के अनुसार ही यहां भवन का निर्माण होगा। कोई भी प्लाट आवंटित होगा तो रजिस्ट्री प्राधिकरण और कंपनी मिलकर करेंगे।