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पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा, डायरिया से गई थी तेंदुए के शावकों की जान

इटावा सफारी पार्क में कर्मचारियों द्वारा खान-पान में बरती गई लापरवाही सफारी प्रबंधन पर भी उठ रहे कई सवाल अप्रैल माह में तेंदुए के तीन बच्चों को भेजा जा चुका काफी प्रयासों के बाद भी शावकों को नहीं बचाया जा सका

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Tue, 22 Sep 2020 05:08 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 05:08 PM (IST)
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ खुलासा, डायरिया से गई थी तेंदुए के शावकों की जान
तेंदुए के नन्हे शावकों की सांकेतिक तस्वीर

इटावा, जेएनएन। इटावा के सफारी पार्क में तेंदुए के तीन शावकों की मौत होने के बाद उनका पोस्टमार्टम कराया गया। पीएम रिपोर्ट में उनकी मौत का कारण डायरिया बताया गया है। इनकी विसरा रिपोर्ट इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बरेली भेजी गई है। जिसका रिजल्ट एक सप्ताह बाद आएगा।

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...तो शावकों की डाइट में बरती गई शिथिलता

बिजनौर से इन तेंदुओं के बच्चों को एक सप्ताह पहले ही इटावा सफारी पार्क में लाया गया था। सूत्रों की मानें तो सफारी पार्क में इनके खानपान में ही लापरवाही बरती गई। शावक शुरुआत में सिर्फ दूध ही पीते हैं, लेकिन इनको दूध के साथ हैवी न्यूट्रीशियन या फिर अंडा दे दिया गया। जिससे वे डायरिया के शिकार हो गए। उन्हें ग्लूकोज की बोतल भी चढ़ाई गई लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ। सोमवार को तीनों शावकों की मौत हो गई।

मामले पर इनका ये है कहना

निदेशक वीके सिंह ने बताया कि तीनों शावक तीन दिन बाद ही अपनी मां से अलग हो गए थे। इन्हें बिजनौर से इटावा सफारी पार्क में भेजा गया था। डायरिया से ग्रसित होने के बाद इनको बचाने की भरसक कोशिश की गई, लेकिन बचाया नहीं जा सका। कहां पर गड़बड़ी हुई इसकी गहनता से जांच कराई जाएगी।

मौत से लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर को करारा झटका

इटावा सफारी पार्क में सोमवार को तेंदुए के तीन शावकों की मौत के बाद सफारी के उन प्रयासों को इस घटनाक्रम से झटका लगा है जिसमें लैपर्ड रेस्क्यू सेंटर के रूप में इसे विकसित किया जाना है। पश्चिम उत्तर प्रदेश के बिजनौर, मेरठ, पीलीभीत आदि जिलों से गन्ने के खेतों में शावको को जन्म देने वाली मादा तेंदुए के बच्चों को इटावा सफारी पार्क भेजा जा रहा है। अप्रैल माह में तीन बच्चों को भेजा गया था। सफारी में पहले से ही रेस्क्यू कर लाए गए पांच तेंदुए रह रहे हैं। तीन शावकों की मौत के बाद सफारी प्रबंधन पर प्रश्नचिह्न लग गए हैं। हालांकि सफारी के अधिकारी अब इन सवालों का कोई जवाब देने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं। निदेशक वीके सिंह का कहना है कि शावकों के मामले में रिस्क रहता है और अक्सर ऐसी घटनाएं हो जाया करती हैं।


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