इन बच्चों से सीखिये, कैसे बचेगा पानी
लगातार घटते जा रहे भूगर्भ जल ने 'जल संरक्षण' को सबसे अहम सामाजिक मुद्दा बना दिया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : लगातार घटते जा रहे भूगर्भ जल ने 'जल संरक्षण' को सबसे अहम सामाजिक मुद्दा बना दिया है। सरकार के साथ ही तमाम सामाजिक संस्थाएं जनता को जागरूक करने को प्रयासरत हैं, फिर भी पानी की बर्बादी जगह-जगह नजर आ जाती है। ऐसे में शहर के कुछ स्कूल नजीर बनकर सामने आए हैं, जहां संस्थान के इंतजामों में सक्रिय सहभागी हुए स्कूली बच्चे समाज को जल संरक्षण का पाठ पढ़ा रहे हैं।
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बोतल के बचे पानी से पौधों की सिंचाई
आरओ और एयरकंडीशन से रोज हजारों लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। इस पानी का अगर प्रयोग किया जाए तो दिनचर्या के 60 फीसद तक काम निपटाए जा सकते हैं। इसे समझते हुए मैकरॉबर्टगंज स्थित शीलिंग हाउस स्कूल में व्यवस्था की गई है। छुंट्टी के बाद घर जाते समय बच्चे बोतलों में भरा पानी सड़क पर फेंक देते थे। अब स्कूल के गेट के पास एक ड्रम रख दिया गया है। इसमें बच्चे बोतल का बचा पानी डालते जाते हैं। इस ड्रम में बचे पानी से पौधों की सिंचाई की जाती है। निगरानी के लिए पर्यावरण समिति बनी हुई है। स्कूल की प्रधानाचार्या विनीता मेहरोत्रा ने बताया कि पर्यावरण समिति सामाजिक कार्यो के लिए अपने सुझाव देती है। हर साल समिति बदलती है। इस वक्त अध्यक्ष अनिमेष दीक्षित व अनीशा श्रीवास्तव, उपाध्यक्ष जयति मोदी व मुदित सक्सेना और सचिव आनंद गुप्ता व समर्थ श्रीवास्तव हैं। बोतल का पानी बचाने के लिए साथ ही स्कूल ने सौ-सौ लीटर के दो-दो आरओ लगाए हैं। इससे पहले रोज दो हजार लीटर पानी ट्रीट करने में लगभग छह हजार लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। अब इस पानी को टंकी के माध्यम से फ्लैश से जोड़ दिया गया है। इससे काफी पानी बच जाता है। साथ ही एयरकंडीशन से निकलने वाले पानी के नीचे बाल्टी रख दी जाती है। इस पानी का प्रयोग बैटरी व सिंचाई में होता है।
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स्कूल से सीखे, घर में बचा रहे पानी
श्याम नगर स्थित ऑक्सफोर्ड मॉडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चे जल संरक्षण के दूत की भूमिका में आ गए हैं। स्कूल में आरओ से निकलने वाले पानी को पाइपों के सहारे पौधों की क्यारी से सिंचाई के लिए जोड़ा। इसी तरह पूरे स्कूल में एसी के पानी को भी बगीचे में सीधे गिराया जाता है। प्रबंधक आरएन शर्मा और प्रधानाचार्या राखी सिंह ने बताया कि स्कूल में प्रार्थना के बाद बच्चों को जल संरक्षण एवं पर्यावरण को लेकर जागरूक किया जाता है। सिखाया है कि बाथरूम के फ्लश को आधा दबाना, शॉवर की जगह बाल्टी से स्नान करना आदि। अब ये सारे तरीके बच्चे अपने घरों में भी अपना रहे हैं। छात्रा इसरा अंसारी ने बताया कि स्कूल की पहल का असर हमारे घरों में भी पड़ा है। आरओ के बचे पानी को कपड़े धोने में उपयोग किया जाता है। एसी के पानी को पोछा लगाने समेत आदि कामों में प्रयोग किया जाता है। नीतू उपाध्याय, प्रियांशाी मिश्रा, अहमद फराज खान आदि स्कूली बच्चे प्रतिदिन जल संरक्षण को लेकर दिन में एक व्यक्ति को जागरूक करते हैं। इस अभियान में शिक्षिका नेहा सिंह, सुनीता, प्रीति आदि ने मार्गदर्शन किया।
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अब फेंका नहीं जाता यहां पानी
सर पदमपत सिंहानिया एजुकेशन सेंटर कमला नगर में स्कूली बच्चे आरओ का पानी बचाते हैं। जल संरक्षण को लेकर जागरूक ये बच्चे किसी न किसी माध्यम में उस पानी का उपयोग करते हैं। इसी तरह बच्चे जो पानी की बोतल घर से लाते हैं, उसमें पानी बच जाने पर वह उसे फेंकते नहीं हैं बल्कि स्कूल में रखे एक गैलन में भर देते हैं। इसके बाद स्कूल प्रबंधन इस पानी का सदुपयोग करता है। कार्यवाहक प्रधानाचार्या भावना गुप्ता ने बताया कि बच्चों को चित्रों, पोस्टर समेत कई अन्य माध्यमों से जल संरक्षण, बिजली बचाओ, पर्यावरण संरक्षण आदि की जानकारी दी जाती है।