Kanpur: सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल थी जो ‘जमीन’ अब वही बनी मुसीबत, ताजिया रखने की दी इजाजत, खड़ी कर दी दीवार
Kanpur News बशीरगंज स्थित जिस इमाम चौकी पर मुस्लिम पक्ष अपना दावा कर रहा है असल में वह जमीन हिंदुओं की है। जांच में सामने आया है कि 36 साल पहले भारी वर्षा के चलते जब ताजिया नहीं उठ पा रहा था तब हिंदुओं ने यह स्थान मुस्लिम पक्ष को दिया था मगर आगे चलकर यहीं से धार्मिक आयोजन होने लगे थे।
जागरण संवाददाता, कानपुर: लुधौरा में पिछले दिनों एक ही दिन तीन विवाद सामने आए थे। पुलिस जांच में दो विवादों का पटाक्षेप हो चुका है, जबकि तीसरे विवाद में पुलिस की कहानी समाज के बदलते परिदृश्य को बयां कर रही है।
बशीरगंज स्थित जिस इमाम चौकी पर मुस्लिम पक्ष अपना दावा कर रहा है, असल में वह जमीन हिंदुओं की है। जांच में सामने आया है कि 36 साल पहले भारी वर्षा के चलते जब ताजिया नहीं उठ पा रहा था, तब हिंदुओं ने यह स्थान मुस्लिम पक्ष को दिया था, मगर आगे चलकर यहीं से धार्मिक आयोजन होने लगे थे।
लुधौरा में रविवार को वृद्धा को मकान से जबरन निकालने, मंदिर की जमीन पर कब्जा और इमाम चौकी पर पोस्टर फाड़ने की तीन घटनाएं एक साथ सामने आई थीं, जिसके बाद क्षेत्र में तनाव व्याप्त हो गया था। मामले में पुलिस आयुक्त के आदेश पर जांच चल रही है।
वृद्धा मामले में साफ हो गया है कि उसे दो साल पहले कोर्ट के आदेश से बेदखल किया गया था। उसे दोबारा अंदर करवाना अदालत की अवमानना है। वहीं मंदिर की जमीन भी विवादित पाई गई है। हालांकि यह भी पता चला है कि जो परिवार यहां पूर्व में रहता था वही ठाकुर जी की मूर्ति भी अपने साथ ले गया।
वहीं, संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि गुरुद्वारा सेवा समिति का नेतृत्व गणेश दास सोनकर के हाथों में है और वर्ष 2020-21 में समिति का नवीनीकरण किया गया है। अगर अखाड़ा समिति ताजिया रखने की इजाजत नहीं देता है तो उन्हें पुराने स्थान पर भेजा जाएगा।
ताजिया रखने की दी इजाजत, खड़ी कर दी गई दीवार
अब बशीरगंज स्थित इमाम चौकी का मामला भी स्पष्ट हो चुका है कि यहां पर इमाम चौकी का कोई वजूद नहीं है, बल्कि यह स्थान सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि पहले ताजिया बशीरगंज पाकड़ के पेड़ के नीचे रखे जाते थे। 36 साल पहले वर्षा की वजह से वह स्थान पानी में डूब गया, तब स्वामी श्री शिव नारायण जी प्रतिष्ठित संत समाज गुरुद्वारा सेवा समिति ने अपने परिसर में ताजिया रखने की इजाजत दी, ताकि बरसों पुरानी परंपरा खंडित न हो।
समिति के पास चार बीघा क्षेत्रफल में एक अखाड़ा, गुरुद्वारा, छह कमरे और एक बगीचा है। ताजिया अखाड़ा परिसर के भूभाग में रखा गया, जिसमें अब भी हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है। संयोग से अगले दो साल भी जबरदस्त वर्षा हुई और ताजिया यहीं रखे गए। अखाड़ा वालों ने कोई एतराज नहीं किया तो ताजिया यहीं रखने शुरू हो गए और इस स्थान का नाम इमाम चौकी पड़ गया। बाद में एक दीवार से अखाड़ा व इमाम चौकी को अलग-अलग कर दिया गया।