भूमाफिया ने कब्जाई पुलिस शूटिंग रेंज की भूमि, पता चला तो अफसर रह गए सन्न, जांच में खुले कई राज
दैनिक जागरण में खबर छपने पर अफसरों ने टीम से जांच कराई और पुष्टि होने पर मौके पर टीम के साथ जाकर नापजोख कराई और बुलडोजर चला कर कब्जे हटवाए। पुलिस-प्रशासन ने भूमाफिया पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
कानपुर, जेएनएन। कानपुर में भू-माफिया किस कदर हावी हैं, इसक अंदाजा पुलिस शूटिंग रेंज की भूमि पर कब्जा होने की खबर दैनिक जागरण में प्रकाशित होने के बाद हो गया। प्रकरण पता चलने पर सकते में आए अफसरों ने भी आनन फानन भूमि को कब्जा मुक्त कराया तो कटरी की सरकारी भूमि के दफन कई राज भी बाहर आने लगे हैं। पुलिस-प्रशासन ने भूमाफिया पर नकेल कसनी शुरू कर दी है।
मुक्त कराई 2.458 हेक्टेयर भूमि
दैनिक जागरण में पुलिस शूटिंग रेंज की जमीन में अवैध रूप से प्लाटिंग की खबर प्रकाशित होने पर पुलिस और प्रशासन की तंद्रा टूटी। गंगा बैराज से कटरी शंकरपुर सराय के भू-अभिलेखों में खाता संख्या 196 की भूमि संख्या 499 में 2.458 हेक्टेयर जमीन कानपुर पुलिस की शूटिंग रेंज के नाम दर्ज है। ढाई साल पहले पुलिस ने प्रशासनिक अधिकारियों की मौजूदगी में जमीन की नापजोख करा कब्जा लिया था। रायफल क्लब की मदद से शूटिंग रेंज का निर्माण होना था। इस जमीन पर भूमाफिया की नीयत खराब हुई और वहां कब्जा करके प्लाटिंग कर दी गई है।
एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने सुबह पहले आरआइ सुरेंद्र विक्रम सिंह और जेएस पाठक को मौके पर भेजा। दोनों ने पुलिस की जमीन पर कब्जा होने की रिपोर्ट एसएसपी को दी। इसके बाद पीएसी व कोहना पुलिस के साथ नायब तहसीलदार चंद्रप्रकाश पांडेय, कानूनगो यशवंत सिं, लेखपाल अश्वनी यादव पहुंचे और नापजोख कराई तो माफिया ने 43 प्लाट काट दिए थे, जिसमें से छह प्लाटों में नींव भी रख दी गई थी। पुलिस ने जमीन पर हुए कब्जे को जेसीबी से तुड़वा दिया।
40 बीघा का है गाटा संख्या 499, कब्जेदारी तय नहीं
पुलिस शूटिंग रेंच की भूमि को कब्जा मुक्त कराने पहुंचे अफसरों के सामने कई राज खुले। असल में जिस गाटा संख्या 499 में शूटिंग रेंज की जमीन है, यह करीब 40 बीघा का है, जिसमें 20 किसान व दर्जन भर अन्य कब्जेदार हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि अब तक तय नहीं है कि किसकी जमीन कहां पर है। गाटा संख्या के मानचित्र में किसी की भी कब्जेदारी तय नहीं है।
इसकी आड़ में तहसील प्रशासन की टीम ने पुलिस को प्रस्ताव दिया कि जो जमीन पहले नापी गई थी, उसमें कब्जा हो चुका है, अगर अधिकारी सहमत हों तो वह इसी गाटा संख्या में खाली पड़ी जमीन नापकर उन्हें दे सकते हैं। ऐसे में पुलिस अधिकारियों ने सवाल किया कि जब कब्जेदारी तय नहीं है तो प्लाट कैसे कट गए। बाद में यही तय हुआ कि जो जमीन पहले नापी गई थी, उसी को नापजोख कर दोबारा कब्जा लिया जाएगा।