जानिए, आखिर क्यों सता रही इतनी गर्मी, कहां से आ रहीं गर्म हवाएं
मई माह में पडऩे वाली गर्मी का आठ साल का रिकार्ड टूट चुका है।
कानपुर, जेएनएन। शहर में इन दिनों गर्मी अपने पूरे तेवर दिखा रही है। दिन की गर्मी ने बेहाल कर रखा है तो रात का चैन भी छिन गया है। आखिर इस प्रचंड गर्मी क्या कारण क्या है, इसे ज्योतिष और मौसम विज्ञान अलग अलग तरह से मान रहे हैं। मई माह में पारा पिछले आठ साल का रिकार्ड तोड़ चुका है। लू के थपेड़े और सूरज की गर्मी बाहर निकलने वालों को झुलसा रही है।
अब तक का सबसे गर्म दिन गुरुवार
मई माह में पडऩे वाली गर्मी का आठ सालों का रिकार्ड टूट चुका है। गुरुवार अबतक का सबसे गर्म दिन रहा है, अधिकतम तापमान 45.8 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया है। सीएसए कृषि विश्वविद्यालय के मौसम विभाग की मानें तो अभी गर्मी अपने तेवर दिखाएगी। मई माह को देखें तो वर्ष 2018 में अधिकतम तापमान 41.6 डिग्री दर्ज किया गया था, इसी तरह वर्ष 2017 में 43 डिग्री, वर्ष 2016 में 42.4 डिग्री, वर्ष 2015 में 41.6 डिग्री, वर्ष 2014 में 42.2 डिग्री, वर्ष 2013 में 43.1 डिग्री, वर्ष 2012 में 40 डिग्री, वर्ष 2011 में 41 डिग्री और वर्ष 2010 में 44.4 डिग्री दर्ज किया गया था।
अफगानिस्तान से आ रही हवाओं ने बढ़ाई गर्मी
मौसम विभाग के अनुसार 5.3 किमी/घंटा रफ्तार से चल रही उत्तर पश्चिमी हवाएं चल रही है। ये हवाएं अफगानिस्तान की ओर से आ रही हैं, जिसकी वजह से गर्मी का इजाफा हो रहा है। अफगानिस्तान के रेगिस्तान से उठने वाली हवाओं का रुख भारत की ओर है, जो यहां तक पहुंच रही हैं। इससे हवाओं में गर्माहट बढऩे से तापमान में इजाफा हो रहा है। मौसम विभाग के अनुसार इस सप्ताह आसमान साफ रहेगा।
नौतपा का भी प्रभाव
ज्योतिष के अनुसार सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते ही नौतपा शुरू होता है, जो 25 मई से शुरू हो चुका है। इस लिए भी गर्मी का प्रकोप बढ़ गया है। नौतपा साल के 9 दिन होते हैं, इस समय सूर्य हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक होता है। इसलिए इस दौरान सबसे अधिक गर्मी पड़ती है, जिसकी वजह से इन दिवसों को नौतपा कहते हैं। महोबा में कृषि विज्ञान केंद्र अध्यक्ष मौसम वैज्ञानिक डा. मुकेश चंद्र अग्रवाल कहते हैं कि पुरानी कहावतों को पूरी तरह झुठलाया नहीं जा सकता है। पूर्वजों ने ग्रह नक्षत्रों की चाल के अनुसार भविष्यवाणी की थी, जिसपर आज भी आमजन यकीन करता है। अब मौसम विज्ञान ने काफी तरक्की कर ली है और सटीक अनुमान दे रहा है।
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